विवरण
बस से उतर कर बाहर रिक्शे स्टैंड तक का सफर ऐसा लगा, जैसे एक हजार मीटर पैदल चलकर आया।
,, भाई यहां कोई वृद्ध आश्रम है क्या,,। एक बुजुर्ग रिक्शे वाले से पूछा।
,, जी एक नही, दस ऐसे आश्रम है यहां, लेकीन सभी मे रहने के लिए कुछ न कुछ काम जरूर करना पड़ता है, अब आप बताईए कौन से आश्रम में ले कर चलूं,,। बुजुर्ग रिक्शे वाले ने कहा
,, भाई जो भी आश्रम सबसे ठीक हो,,।
,, ठीक है बैठिए, दस रूपये लगेंगे,,। यह सुन कर मैंने रिक्शे में बैठने का प्रयास किया, लेकीन रिक्शे में चढ़ नही पाया, ऐसा लगा जैसे अभी गिर जाऊंगा। मेरी हालत देख कर रिक्शे वाले ने मेरी मदद की और मैं रिक्शे की सक्त सीट पर बैठ गया।
,, कहां से आए हो बाबू जी,,,। रिक्शे वाले ने पहला पैडल मारने के साथ साथ बोलना शुरू किया। लेकीन बहु के शब्द मेरे कानों में गूंजने लगे,, दीपक तुम तो जानते हो कि हमारा फ्लैट बहुत ही छोटा है, इसमें या तो तुम्हारे पिता जी रहेंगे या फिर हम, मैं अब और सहन नहीं कर सकती,,।