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सलाह - न फेरे दूरी अच्छी - उपन्यास
Kishanlal Sharma
द्वारा
हिंदी महिला विशेष
टन टन
दूर से घण्टे बजने की आवाज आई थी।रात के बारह बजने की उदघोषणा पास स्थित पुलिस स्टेशन से आई थी।मतलब आधी रात बीत चुकी थी।कमला नेहरू वीमेन होस्टल में रहने वाली सब औरते कब की सो चुकी थी।लेकिन सरोज की आंखों में नींद नही थी।वह कभी बिस्तर में लेट जाती। कभी उठ जााती और कमरे में इधर से उधर चक्कर लगाने लगती।वह काफी परेशअन और उदगिन नजर आ रही थी।उसे नींद न आने का कारण रश्मि थी।वह रशमि को लेकर चिंतित थी।
रश्मि ,सरोज की रूम पार्टनर थी।वह उसके साथ कमरा नम्बर तीस में रहती थी।वैसे होस्टल में रहने वाली किसी भी औरत का होस्टल में रहने वाली दूसरी औरत की निजी जिंदगी में दखल देने का कोई अधिकार नही था।कौन कहा जाती है?क्या करती है?कब आती जाती है?इस बारे में होस्टल की एक औरत दूसरी औरत से नही पूछ सकती थी।लेकिन रश्मि सरोज की हमराज थी।वे दोनों काफी दिनों से साथ रह रही थी।इसलिय सतोज की रश्मि से आत्मीयता हो गयी थी।इसलिए वह रश्मि के अभी तक न लौटने की वजह से परेशान थी।चिंतित थी।
टन टनदूर से घण्टे बजने की आवाज आई थी।रात के बारह बजने की उदघोषणा पास स्थित पुलिस स्टेशन से आई थी।मतलब आधी रात बीत चुकी थी।कमला नेहरू वीमेन होस्टल में रहने वाली सब औरते कब की सो चुकी थी।लेकिन ...और पढ़ेकी आंखों में नींद नही थी।वह कभी बिस्तर में लेट जाती। कभी उठ जााती और कमरे में इधर से उधर चक्कर लगाने लगती।वह काफी परेशअन और उदगिन नजर आ रही थी।उसे नींद न आने का कारण रश्मि थी।वह रशमि को लेकर चिंतित थी।रश्मि ,सरोज की रूम पार्टनर थी।वह उसके साथ कमरा नम्बर तीस में रहती थी।वैसे होस्टल में रहने वाली
"बड़ी हो तो,"रश्मि बोली।""तुमसे ज्यादा मैंने दुनिया देखी है।लोगो को ज्यादा जानती हूँ।इसीलिए मैं तुम्हे समझा रही हूँ।तुम जवान हो,सुंदर हो,"सरोज,रश्मि को समझाते हुए बोली,"अगर तुम अपने बॉय फ्रेंड को चाहती हो।उससे प्यार करती हो।वह भी तुम्हे चाहता है।तुमसे ...और पढ़ेकरता है।तो तुम उसके साथ घर क्यो नही बसा लेती।अगर तुम शादी कर लोगी तो तुम्हे होस्टल की जिंदगी से भी छुटकारा मिल जाएगा।तुम्हारा अपना घर होगा।""शादी की अभी जल्दी क्या है?अभी कौनसी मेरी उम्र निकली जा रही है।रमेश मुझे चाहता है।मुझसे प्यार करता है।और मुझे अपनी जीवन संगनी बनाने का वह वचन दे चुका है।अभी हम मौज मस्ती कर