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भ्रष्टाचार - उपन्यास
Bindu _Maiyad
द्वारा
हिंदी प्रेरक कथा
आज सुबह से ही सुनीता बहुत ही खुश थी क्योंकि आज उसकी नौकरी का पहला दिन था और वह खुशी के मारे अपने आप को संभाल नहीं पा रही थी कई सालों से देखा हुआ उसका सपना आज सच होने जा रहा था वह और उसके पापा उसकी नई नौकरी के लिए सभी तैयारी कर चुके थे उसके पापा ने तो रेलवे या बस की जगह किराए की कार भी बुक करवा दी थी और वह सुबह से सुनीता से कई दफा बता चुके थे कि तू अपने सारे डाक्यूमेंट्स ले लेना चाहे तू अपना और कोई सामान भूल जाएगी तो चलेगा और फिर वहां पर तुझे अपनी नौकरी में आज ही से जॉइनिंग करना पड़े तो मैं सारा सामान बाद में भिजवा दूंगा लेकिन तु अपने सारे डॉक्यूमेंट ले लेना बेटा और सुनीता भी अपने पापा से कहती थी अरे पापा मैंने वह कई दिनों से एक फाइल में ही ईकट्ठा कर रखे हैं आप उसकी चिंता मत कीजिए आप अपनी सेहत की चिंता कीजिए आप अपनी सारी दवाईयां ले लीजिए और सुनीता की मां कहती है कि बेटा वह तो मैंने पहले से ही सब रख दी है तो सुनीता कहती है कि है फिर भी आप आप की किताबें और आपका कोई सामान न छूट जाए ध्यान रखिएगा बाकी सारी चीजें तो हम बाजार से भी ले लेंगे |
भाग 1- बेईमानी में भी ईमानदारी आज सुबह से ही सुनीता बहुत ही खुश थी क्योंकि आज उसकी नौकरी का पहला दिन था और वह खुशी के मारे अपने आप को संभाल नहीं पा रही थी कई सालों से ...और पढ़ेहुआ उसका सपना आज सच होने जा रहा था वह और उसके पापा उसकी नई नौकरी के लिए सभी तैयारी कर चुके थे उसके पापा ने तो रेलवे या बस की जगह किराए की कार भी बुक करवा दी थी और वह सुबह से सुनीता से कई दफा बता चुके थे कि तू अपने सारे डाक्यूमेंट्स ले लेना चाहे तू
भाग 2 सफेद कॉलर काले करतुत आज सुनील की कोर्ट में तारीख थी वह मन में सोच रहा था कि अब ईस बार यह आखिरी तारीख हो और इस तारीख से ही मुझे न्याय मिलना शुरू हो जाए तो ...और पढ़ेबीते वक्त में मेरी मानसिक यातना और मेरी आर्थिक उपार्जन की बाबत का भरण पोषण हो जाएगा और यही सोचकर वह अपनी कोर्ट की तारीख के कागज देखकर अपना बैग लेकर बाइक पर सवार होकर कोर्ट के रस्ते जा रहा था तभी किसी का कॉल आता है और वह कोल उठाता है तो सामने से आवाज आती है कि इस