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भ्रष्टाचार - भाग 2

भाग 2 सफेद कॉलर काले करतुत

आज सुनील की कोर्ट में तारीख थी वह मन में सोच रहा था कि अब ईस बार यह आखिरी तारीख हो और इस तारीख से ही मुझे न्याय मिलना शुरू हो जाए तो मेरे बीते वक्त में मेरी मानसिक यातना और मेरी आर्थिक उपार्जन की बाबत का भरण पोषण हो जाएगा और यही सोचकर वह अपनी कोर्ट की तारीख के कागज देखकर अपना बैग लेकर बाइक पर सवार होकर कोर्ट के रस्ते जा रहा था तभी किसी का कॉल आता है और वह कोल उठाता है तो सामने से आवाज आती है कि इस बार सौदा कर लो वरना ऐसे ही तारीख पे तारीख आती रहेगी मान जाओ इस बार छोड़ो अपनी जिद करना सब हाथ से धो डालोगे
लेकिन सुनील बहुत ही प्रामाणिक था और उसे लगता था कि वह सच है फिर क्यों इन गुंडों को जवाब दें रोज कोई ना कोई बवाल होता था उसकी जिंदगी में उसके परिवार के लोगों को भी यह लोग बहुत ही हैरान करते थे इसीलिए उसने उन सभी को अपने गांव अपने पिताजी के पास भेज दिया था उसके बेटे की तो सुनील को बहुत ही याद आती थी लेकिन फिर भी कैसे भी करके गुजारा कर रहा था और उसे लगता था कि इस बार शायद कोर्ट का फैसला उसकी तरफ आ जाएगा लेकिन जिसके सामने वह लड़ रहा था वह बहुत ही पहुंच वाले थे इसीलिए हर बार सभी गवाहों को वह खरीद लेते थे और हर बार बस सुनील के हिस्से में मिलती थी तो सिर्फ और सिर्फ तारीख....
दरअसल सुनील सिविल इंजीनियर था और उसकी पढ़ाई पूरी होने के बाद उसने खुद का बिजनेस करने का सोचा था तभी उसकी पहचान उस शहर के नामांकित कुछ बिल्डर से हुई थी सुनील को लगा था कि पैसे उनके होगे लेकिन आईडिया मेरा होगा और फिर मैं अपने नई आईडिया से कुछ नया बना लूंगा और धीरे-धीरे में अपने सपनों को सच करूंगा लेकिन उसके इस बिजनेस में वह बड़े लोगों ने तो सुनील कि सिर्फ काबिलियत को ही खरीदना चाहते थे ताकि उसकी नाम पर वह अपना काम कर सके पैसों का वजन ईमानदारी पर भारी पड़ गया और दो-तीन टेंडर तो उन्होंने पास करवा लिए लेकिन सभी का काम सुनील की तरफ से तो पक्का था लेकिन कुछ बिगड़े हुए मटेरियल की वजह से सारे आरोप सुनील पर ही धरे के धरे रह गए और यह सभी बिल्डर अपने हाथों से कर दिए थे सुनील उसके लिए कोर्ट में गया था इसीलिए इस बड़े-बड़े लोगों से उसे बार-बार धमकी मिलती थी कि तुम अपना काम छोड़कर कहीं और चले जाओ और यह लकीर मन में खींच लो वरना अच्छा नहीं होगा लेकिन सुनील को लगता था कि मुझे एक दिन तो न्याय मिलेगा इसीलिए उसने उनके खिलाफ केस दर्ज किया था और अब उसकी सिर्फ तारीख की तारीफ ही आ रही थी कुछ फैसला नहीं आ रहा था अब कई सालों से ऐसी परेशानियों का सामना कर करके सुनील को एहसास हो गया था कि सफेद कॉलर के पीछे इन सभी की काली करतूत है और पैसों की दिखावे से उसकी ईमानदारी को भी खरीदना चाह रहे थे इन सफेद कॉलरओं की कालू करतूतों को सुनील ने अच्छी तरह पहचान लिया था....


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