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चुड़ैल के साथ! एक रात? - उपन्यास
बैरागी दिलीप दास
द्वारा
हिंदी डरावनी कहानी
प्रमुख पात्र: वीर और चुड़ैल।
प्रस्तावना: वीर का अनोखा अनुभव
वीर की रोचक व्यक्तित्व का परिचय
चुड़ैल की विशेषताओं का वर्णन
बरसात की रात थी। आकाश में बादल घिर आए और बूंदें धरती पर गिरने लगी। गहरे धुंधले रंग के बादल घने जंगल की तरफ उफान पर हावी हो गए। इस अंधकार में, जंगल के बीच एक एकांत स्थान पर एक वीर नामक युवक खड़ा था।
वीर एक अजीब सा युवक था। उसका व्यक्तित्व अनोखा और रहस्यमय था। उसकी आँखों में तेज़ी और उनमें कुछ अलग सा था, जो किसी को आकर्षित कर लेता। वीर के बाल काले थे और उनकी गहरी लंबाई उसके चेहरे को आकर्षक बनाती थी। वीर के व्यक्तित्व में गहराई थी, जैसे कि उसके अंदर कुछ नजर नहीं आता, कुछ अनुभव जो सामान्य मानवों को अनजान थे।
यह वीर के लिए एक रोचक रात थी। जब वह जंगल में घूम रहा था, उसने कुछ अद्भुत देखा। रात की गहराई में, उसने एक महिला को देखा जो जंगल के किनारे एक पेड़ के नीचे बैठी थी। उसके पास देखने के लिए वीर उसकी ओर जा पहुंचा और उसने देखा कि एक चुड़ैल है!
प्रमुख पात्र: वीर और चुड़ैल।प्रस्तावना: वीर का अनोखा अनुभववीर की रोचक व्यक्तित्व का परिचयचुड़ैल की विशेषताओं का वर्णनबरसात की रात थी। आकाश में बादल घिर आए और बूंदें धरती पर गिरने लगी। गहरे धुंधले रंग के बादल घने जंगल ...और पढ़ेतरफ उफान पर हावी हो गए। इस अंधकार में, जंगल के बीच एक एकांत स्थान पर एक वीर नामक युवक खड़ा था।वीर एक अजीब सा युवक था। उसका व्यक्तित्व अनोखा और रहस्यमय था। उसकी आँखों में तेज़ी और उनमें कुछ अलग सा था, जो किसी को आकर्षित कर लेता। वीर के बाल काले थे और उनकी गहरी लंबाई उसके चेहरे
नोवेल: चुड़ैल के साथ एक रातअध्याय 2: मार्गदर्शनवीर के दोस्तों से उसके अनुभव की बातचीतचुड़ैल की वास्तविकता का पता लगाने के लिए मार्गदर्शनवीर के दिल में उठते सवाल और उसकी उलझनवीर उन अनोखी घटनाओं के बारे में अपने दोस्तों ...और पढ़ेबातचीत करने के लिए उत्सुक था। उसने अपने दोस्तों को चुड़ैल के साथ बीती उस रात का वर्णन किया, जब उसने उसे पहली बार देखा था। उनके दोस्तों ने ध्यान से सुना और वीर के अनुभवों की प्रतिक्रिया की।"तुम कह रहे हो कि उसे चुड़ैल मिली है?" एक दोस्त ने उससे पूछा। "क्या तुम यकीन करते हो कि वह एक
** करौली गांव मे रात के कफन के नीचे शांत पड़ा था, चांदनी आकाश से निकलने वाली अलौकिक चमक में नहाया हुआ। संकरी पथरीली सड़कों पर घना कोहरा छाया हुआ था, जो एक वर्णक्रमीय सर्प की तरह समय-पहने भवनों ...और पढ़ेचारों ओर लिपटा हुआ था। हवा एक अप्राकृतिक शांति से भरी हुई थी, जो केवल एक उल्लू की दूर की आवाज से गूंज होती और शांति टूटती थी। गाँव के मध्य में, जंगल के किनारे एक जीर्ण-शीर्ण झोपड़ी में, सारा ने अपने सूती शॉल के किनारों को पकड़ रखा था। लकड़ी की मेज पर टिमटिमाती मोमबत्ती ने भयानक छाया डाली