Shrapit - Ek adhuri Prem kahani book and story is written by DINESH DIVAKAR in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Shrapit - Ek adhuri Prem kahani is also popular in डरावनी कहानी in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
श्रापित - एक अधूरी प्रेम कहानी - उपन्यास
DINESH DIVAKAR
द्वारा
हिंदी डरावनी कहानी
आज से 2 साल पहले मैं अपने दोस्त की शादी में गया था जब मैं वहां पहुंचा तो मैने देखा मेरे दोस्त वहां पहले से ही मौजूद थे जब हम कॉलेज में थे तो हम बहुत शरारत किया करते थे उन्हें देखकर मैं बहुत खुश हुआ.
शादी के 2 दिन गुजरने के बाद तीसरे दिन हम बारात लेकर दुल्हन के घर पर पहुंच गए उन्होंने हमारा स्वागत किया और अंदर ले गए जब शादी के फेरे हो रहे था.
तब मेरी नजर एक खूबसूरत लड़की पर पड़ी उसे देखकर ऐसा लगा कि वह स्वर्ण की अप्सरा हो, सुनहरे बाल,काली काली आंखें, सुंदर चेहरा अब उसकी खूबसूरती का मैं क्या बखान करूं ऐसा लग रहा था कि भगवान ने उसे बहुत फुर्सत से बनाया हो.
उस पर मेरी पहली नजर पड़ी तो मैं सब कुछ भूल गया और उसे ही दिखने लगा तो उसकी नजर भी मुझ पर पड़ी और वहां से उठ कर चली गई मैं उसके पीछे गया वह जहां भी जाती मैं उसके पीछे पीछे चला जाता तो उसने रुक कर बोली-क्या बात है तुम मेरा पीछा क्यों कर रहे हो?
आज से 2 साल पहले मैं अपने दोस्त की शादी में गया था जब मैं वहां पहुंचा तो मैने देखा मेरे दोस्त वहां पहले से ही मौजूद थे जब हम कॉलेज में थे तो हम बहुत शरारत किया करते ...और पढ़ेउन्हें देखकर मैं बहुत खुश हुआ. शादी के 2 दिन गुजरने के बाद तीसरे दिन हम बारात लेकर दुल्हन के घर पर पहुंच गए उन्होंने हमारा स्वागत किया और अंदर ले गए जब शादी के फेरे हो रहे था. तब मेरी नजर एक खूबसूरत लड़की पर पड़ी उसे देखकर ऐसा लगा कि वह स्वर्ण की अप्सरा हो, सुनहरे बाल,काली काली
मैं डर गया और वहां से भागने लगा तभी वह मेरे पास आकर बोली प्रेम तुम मुझसे दूर क्यों भाग रहे हो ?तब मैंने थोड़ा हिम्मत जुटाया और बोला- क्योंकि तुम एक भुत हो तुम मुझसे क्या चाहती हो ...और पढ़ेउसने कहा- मददमदद कैसै मदद मैंने पूछा?तुमने मुझे पहचाना नहीं मैं हूं नेहा नेहा वही जिसे मैं प्यार करता था हां वही है जिसे तुम कभी प्यार किया करते थे याद है वो दिनमैं बोला- कैसे भूल सकता हूं उस दिन को जब हमारी मुलाकात हुई थी उस दिन जोरो की बारिश हो रही थी और मैं वहां से छाते