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नंदिनी - उपन्यास
Sonali Rawat
द्वारा
हिंदी प्रेरक कथा
‘‘नंदिनी अच्छा हुआ कि तुम आ गईं. तुम बिलकुल सही समय पर आई हो,’’ नंदिनी को देखते ही तरंग की बांछें खिल गईं.
‘‘हम तो हमेशा सही समय पर ही आते हैं जीजाजी. पर यह तो बताइए कि अचानक ऐसा क्या काम आन पड़ा?’’
‘‘कल खुशी के स्कूल में बच्चों के मातापिता को आमंत्रित किया गया है. मैं तो जा नहीं सकता. कल मुख्यालय से पूरी टीम आ रही है निरीक्षण करने. अपनी दीदी नम्रता को तो तुम जानती ही हो. 2-4 लोगों को देखते ही घिग्घी बंध जाती है. यदि कल तुम खुशी के स्कूल चली जाओ तो बड़ी कृपा होगी,’’ तरंग ने बड़े ही नाटकीय स्वर में कहा.
फिल्म देखना चाह रहा था और इतना मनमोहक साथ मिल जाए तो कहना ही क्या,’’ तरंग बड़ी अदा से मुसकराया.
‘‘चलो, खुशी की समस्या तो सुलझ गई. क्यों खुशी, अब तो खुश हो?’’ तरंग ने अपनी बेटी की सहमति चाही.
‘‘नहीं, मैं खुश नहीं हूं, मैं तो बहुत दुखी हूं. मेरे स्कूल में जब मेरे सभी साथियों के साथ उन के मम्मीपापा आएंगे तब मैं अपनी नंदिनी मौसी के साथ पहुंचूंगी,’’ खुशी रोंआसी हो उठी.
‘‘चिंता मत करो खुशी बेटी. मैं तुम्हारे स्कूल में ऐसा समां बाधूंगी कि तुम्हारे सब गिलेशिकवे दूर हो जाएंगे,’’ नंदिनी ने खुशी को गोद में लेने का यत्न करते हुए कहा.
‘‘नंदिनी अच्छा हुआ कि तुम आ गईं. तुम बिलकुल सही समय पर आई हो,’’ नंदिनी को देखते ही तरंग की बांछें खिल गईं.‘‘हम तो हमेशा सही समय पर ही आते हैं जीजाजी. पर यह तो बताइए कि अचानक ऐसा ...और पढ़ेकाम आन पड़ा?’’‘‘कल खुशी के स्कूल में बच्चों के मातापिता को आमंत्रित किया गया है. मैं तो जा नहीं सकता. कल मुख्यालय से पूरी टीम आ रही है निरीक्षण करने. अपनी दीदी नम्रता को तो तुम जानती ही हो. 2-4 लोगों को देखते ही घिग्घी बंध जाती है. यदि कल तुम खुशी के स्कूल चली जाओ तो बड़ी कृपा होगी,’’
‘‘छोड़ो भी जीजाजी, क्यों बात का बतंगड़ बनाते हो. मैं अब चलूंगी,’’ नंदिनी उठ खड़ी हुई.‘‘इस तरह बिना खाएपिए? रुको मैं कोई ठंडा पेय ले कर आता हूं.’’‘‘नहीं, मुझे कुछ नहीं चाहिए,’’ नंदिनी ने अपना बैग उठा लिया.‘‘ठीक है, ...और पढ़ेमैं तुम्हें घर तक छोड़ करआता हूं.’’‘‘मैं अपनी कार से आई हूं.’’‘‘अपनी कार में जाना भी अकेली युवती के लिए सुरक्षित नहीं है,’’ तरंग तुरंत साथ चलने के लिए तैयार हो गया और क्षणभर में ही दोनों एकदूसरे के हाथ में हाथ डाले मुख्य द्वार से बाहर हो गए.द्वार बंद कर जब नम्रता पलटी तो खुशी और पू