Gruhasth Snayasi book and story is written by PARIKH MAULIK in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Gruhasth Snayasi is also popular in जीवनी in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
गृहस्थ संन्यासी - उपन्यास
PARIKH MAULIK
द्वारा
हिंदी जीवनी
एक बुक है जिसका में जिक्र कर रहा हूं। गृहस्थ संन्यासी जो बहुत पोपुलर है, जिसका आज सेमिनार आयोजित किया गया है और उसमें उसके लेखक खुद प्रस्तुत होने वाले हैं, जो स्टेज पर जा कर बुक के विषय मे बताने वाला हैं, उसकी राह देखते हुए पत्रकार और उसके चाहक बहुत तल्लीनता से उसके आने का इंतजार कर रहे हैं। तभी माइक में घोषणा होती है कि अभी अभी खबर मिली है की वो आ रहे हैं बहुत जल्द आपके समक्ष प्रस्तुत होंगे और अपने शब्दो में अपनी किताब के बारेमे बताएंगे। तभी दरवाजे खुलने की आवाज सुनाई दी, लोग इधर उधर देखने लगे और तभी एक 70 साल का बुजुर्ग इंसान अपने तीन पेरो के सहारे धीरे धीरे आ रहा है। आतेही उसका सम्मान किया जाता है। वो अपने जुके हुए हाथो को थोड़ा जोर दे कर माइक को अपने मुंह से लगा कर कहता है। आप सब कैसे हैं? सब भी अपनी ओर से जवाब देते हैं, बहुत अच्छे। अपनी किताब के बारे में बताते हुए कहता है कि!
यह बुक मैने किसी और पर नहीं बलकि खुद ही पर लिखी है मेरी जो सोच है कि कोई भी स्त्री किसिभी पुरुष को प्रभावित करती है तो वे सिर्फ और सिर्फ़ अपने बाह्य सुंदरता और उसको ढके वस्त्रों से ही करती है।
एक बुक है जिसका में जिक्र कर रहा हूं। गृहस्थ संन्यासी जो बहुत पोपुलर है, जिसका आज सेमिनार आयोजित किया गया है और उसमें उसके लेखक खुद प्रस्तुत होने वाले हैं, जो स्टेज पर जा कर बुक के विषय ...और पढ़ेबताने वाला हैं, उसकी राह देखते हुए पत्रकार और उसके चाहक बहुत तल्लीनता से उसके आने का इंतजार कर रहे हैं। तभी माइक में घोषणा होती है कि अभी अभी खबर मिली है की वो आ रहे हैं बहुत जल्द आपके समक्ष प्रस्तुत होंगे और अपने शब्दो में अपनी किताब के बारेमे बताएंगे। तभी दरवाजे खुलने की आवाज सुनाई दी,
ऐसे ही दिसंबर महीने में उसकी प्रशिक्षण की तैयारी शुरू कर दी जाती हैं और वे जनवरी से अपनी नौकरी की शुरुआत करती है। अब जब वे नौकरी जाने लगती है, तो उसका सुमित से बात करना कम हो ...और पढ़ेहै। पुरादिन वे नौकरी पर और रात को थकी हुई होने से सो जाती हैं, अब इस तरफ बात कम होती है और उसी के दफ्तर में आते हुए एक कर्मचारी से मुलाकात होती हैं रोज़ नोकरी की वजह से दोनो का मिलना बढ़ रहा था और यहां बात कम और जगड़े बढ़ रहे थे कुछ ही दिनों में उसने
वे घर छोड़कर आ गया था उसके पास कुछ भी नहीं था। वो अकेला चाय की टपरी पर जाता है और चाय पिता है अब आसपास के लोग उसे जानते थे तो वे पैसे नहीं लेते। वो उस रात ...और पढ़ेकी टपरी के पास ही सो जाता हैं उसे उस रात के अनुभव से चाय की टपरी खोलने का ख्याल आया उसने अपने दोस्तो से मदद लें कर नदी के किनारे बगीचे के पास चाय की टपरी खोली धीरे धीरे वो जमने लगी। आया दिन वो अपने बेटे को देखने स्कूल जाया करता था एक रोज उसका बेटा स्कूल नहीं
देखते है आगे की सुमिन और सुनंदा के रास्ते अलग हो जाते है या वापस नई शुरू आत करते हैसुनंदा के बरेमे ये सब सुनकर सुमित रह ना सका और जाकर राहुल का कॉलर पकड़ लिया उसे बोला कि ...और पढ़ेजो भी हो तुम ने इसके साथ जो भी किया वो तुम इन लोगो के सामने बोलकर उसकी इज्जत उतार रहे हों, तो ये बात तुम्हारी पत्नी को भी पता होनी चहिए, सुमित ने आवाज़ लगाई जैमिनी सुना तुमने ये सब? सुमित ने पहले ही राहुल की पत्नी को बता दिया था तभी वहा जैमिनी आ पहुंची उसने आते ही