Tarkeshwer Kumar लिखित उपन्यास उल्टे पैर

उल्टे पैर द्वारा  Tarkeshwer Kumar in Hindi Novels
यह कहानी मेरी कल्पना हैं और काल्पनिक हैं पूरी तरह से। इसका किसी सच्चाई से कोई वास्ता नहीं।बचपन में अक्सर हम जिद्द करते थ...
उल्टे पैर द्वारा  Tarkeshwer Kumar in Hindi Novels
तारक खिड़की पर देखता हैं की गोलू डरी हुई निगाहों से लगातार तारक के पीछे देख रहा था। डर के मारे तारक की आवाज़ मानो चली गई...
उल्टे पैर द्वारा  Tarkeshwer Kumar in Hindi Novels
गोलू बेहोश होकर अपने कमरे में गिर पड़ा था।यहां नाना जी ने पाया की तारक के पीठ पर चुड़ैल के नाखून के निशान थे जो नीले हो...
उल्टे पैर द्वारा  Tarkeshwer Kumar in Hindi Novels
कटे हुए सर से लदे पेड़ से जैसे ही थोड़ी आगे जाते हैं तो वहां।एक नदी मिलती हैं जिसमे और भी सर पड़े हुए थे।उनमें से एक सर...
उल्टे पैर द्वारा  Tarkeshwer Kumar in Hindi Novels
मशाल धीरे धीरे बुझती जा रही थी और वो शख्स नींद के अघोष में धीरे धीरे को रहा था। उतने में बुजुर्ग चिल्लाए के सोना नहीं ते...