Sam Dam Dand Bhed book and story is written by Ratna Pandey in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Sam Dam Dand Bhed is also popular in फिक्शन कहानी in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
साम दाम दंड भेद - उपन्यास
Ratna Pandey
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
रमा शंकर पिछले 15 सालों से दीनदयाल के घर पर किराए से रह रहा था । रमा शंकर के पिता महादेव अपनी पत्नी गौरी के साथ गाँव में रहते थे, जहाँ उनका एक खेत था जिसमें उनके छोटे भाई का भी हिस्सा था। उसी खेत में एक पक्का मकान था, जिसमें दोनों परिवार साथ रहते और मिल जुल कर खेती करते थे। रमा शंकर गाँव से शहर आ गया था और एक सरकारी दफ़्तर में क्लर्क की नौकरी कर रहा था। रमा शंकर और उसकी पत्नी की कोई औलाद नहीं थी। दीनदयाल भी अपनी पत्नी पूनम और बेटे तरुण के साथ रहते थे। उनका चार बेडरूम का बड़ा मकान था। इतने बड़े मकान की उन्हें इस समय ज़रूरत नहीं थी इसलिए उन्होंने अपने दो कमरे किराए पर रमा शंकर को दे रखे थे।
रमा शंकर पिछले 15 सालों से दीनदयाल के घर पर किराए से रह रहा था । रमा शंकर के पिता महादेव अपनी पत्नी गौरी के साथ गाँव में रहते थे, जहाँ उनका एक खेत था जिसमें उनके छोटे भाई ...और पढ़ेभी हिस्सा था। उसी खेत में एक पक्का मकान था, जिसमें दोनों परिवार साथ रहते और मिल जुल कर खेती करते थे। रमा शंकर गाँव से शहर आ गया था और एक सरकारी दफ़्तर में क्लर्क की नौकरी कर रहा था। रमा शंकर और उसकी पत्नी की कोई औलाद नहीं थी। दीनदयाल भी अपनी पत्नी पूनम और बेटे तरुण के
दरअसल रामा की नीयत में खोट आ चुकी थी। उसे यह दोनों कमरे उसके ही लगने लगे थे। उन्हें खाली करने का उसका इरादा बिल्कुल नहीं था। लालच की दीमक ने उस पर पूरी तरह से हमला कर दिया ...और पढ़ेउसकी चिकनी चुपड़ी बातों को दीनदयाल अब तक समझ चुके थे कि रामा कमरे हड़प लेना चाहता है। उसने अपनी पत्नी से कहा, "पूनम लगता है तुम्हारी बात सही है। रामा हमारे कमरे खाली करना ही नहीं चाहता।" पूनम ने कहा, "हाँ हमने इतने वर्षों तक उन्हें रहने दिया। कभी किराया तक नहीं बढ़ाया, यह सोचकर कि अच्छे लोग हैं।
उधर दीनदयाल के बेटे तरुण के विवाह की तारीख भी नज़दीक आती जा रही थी। चिंतातुर होते हुए एक दिन पूनम ने दीनदयाल से कहा, "दीनू हम कितने बेवकूफ हैं जो हमने इतने वर्षों तक रामा भैया को अपने ...और पढ़ेमें रहने दिया वो भी किराया बढ़ाये बिना ही। अगर दो-तीन साल में ही खाली करवा लिया होता तो आज हमें अपने ही मकान के लिए ना तो उसकी खुशामद करनी पड़ती और ना ही इस तरह कोर्ट कचहरी के धक्के खाने पड़ते। अब ऐड़ियाँ घिस जाएंगी पर फैसला तो आने से रहा। अब तो यह समझ लो कि रामा
रामा के पिता महादेव ने अपनी दुःख भरी कहानी सुनाते हुए आगे कहा, " रामा अब हम दोनों यहीं तुम्हारे साथ रहेंगे। वहाँ गाँव में अब अपना कुछ भी नहीं है। भगवान उसे भी देख लेगा। उसने मुझे खेत ...और पढ़ेबेदखल कर दिया, घर भी तो अपना उसी खेत में था। मैं क्या करता? कहाँ जाता?" "अरे बाबूजी, आपने यह सब मुझे पहले क्यों नहीं बताया?" "क्या कर लेता तू?" "क्या हम... कोर्ट कचहरी करते?" "मुझे तो उस रास्ते से ही डर लगता है जो कचहरी की तरफ जाता है। सुना है ऐड़ियाँ घिस जाती है चक्कर काटते-काटते पर सुनवाई
रामा और महादेव के बीच बातचीत चल ही रही थी कि तभी अचानक दीनू उनके कमरे में आ गया और महादेव के पास बैठकर दुःखी होते हुए कहा, "अंकल मुझे मकान की इस समय बहुत ज़रूरत है। तरुण का ...और पढ़ेहोने वाला है, मैं उन्हें कहाँ रखूँगा। मैंने यह बात राम से कहा था पर…" "दीनू तेरी इसमें कोई ग़लती नहीं है। तूने भी तो कोर्ट केस तब ही किया होगा ना जब सीधी उंगली से घी नहीं निकला होगा। मैं समझ सकता हूँ, मुझे एहसास है दीनू कि तेरे ऊपर क्या गुज़र रही होगी। मैं अभी-अभी उसी परिस्थिति से