Yashoda Yashoda लिखित उपन्यास विचित्र मोहब्बत अरुंधति कि...!

विचित्र मोहब्बत अरुंधति कि...! द्वारा  Yashoda Yashoda in Hindi Novels
रात में चांद अपने पूरे आकार में चमक रहा था, और आज की ये रात अमावस की काली अंधेरी रात थी! मिर्ज़ा पुर रेलवे फाटक के उस पा...
विचित्र मोहब्बत अरुंधति कि...! द्वारा  Yashoda Yashoda in Hindi Novels
रात में चांद अपने पूरे आकार में चमक रहा था, और आज की ये रात अमावस की काली अंधेरी रात थी! मिर्ज़ा पुर रेलवे फाटक के उस पा...
विचित्र मोहब्बत अरुंधति कि...! द्वारा  Yashoda Yashoda in Hindi Novels
पता किस धुन में थी की घर से इतनी दूर निकल आई और उसे पता ही नहीं चला, वहीं दूर एक घना और बहुत ही सुंदर सा पेड़ था, उस पेड...
विचित्र मोहब्बत अरुंधति कि...! द्वारा  Yashoda Yashoda in Hindi Novels
और उस खुशबू के पीछे पीछे चल पड़ती है!चलते चलते उसी अनोखे वृक्ष के पास पहुंच जाती है और बड़े ही गौर से उस वृक्ष को देखने...