EK CHITTHI PYAAR BHARI book and story is written by Shwet Kumar Sinha in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. EK CHITTHI PYAAR BHARI is also popular in पत्र in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
एक चिट्ठी प्यार भरी - उपन्यास
Shwet Kumar Sinha
द्वारा
हिंदी पत्र
प्रिय पापा, सबसे पहले तो मुझे क्षमा करें मैने आपके लिए आदरणीय के स्थान पर प्रिय शब्द का इस्तेमाल किया। दरअसल कई बातें थी जिन्हे कहने के लिए मुझे इस चिट्ठी का सहारा लेना पड़ा। नहीं तो खुद कई बार आपके समक्ष आकर भी बोल पाने की हिम्मत न जुटा पाया। सबसे पहले जो बात मुझे कहनी है वो है, पापा I LOVE YOU. बचपन से आजतक जो जिंदगी आपने मुझे दी, जो सुख–सुविधा मुहैया कराया, ताउम्र मैं आपका ऋण नहीं चुका सकता। सीमित पैसे होते हुए भी जिस शानो शौकत से आपने मुझे बड़ा किया, मेरी हर ख्वाईश पूरी
प्रिय पापा, सबसे पहले तो मुझे क्षमा करें मैने आपके लिए आदरणीय के स्थान पर प्रिय शब्द का इस्तेमाल किया। दरअसल कई बातें थी जिन्हे कहने के लिए मुझे इस चिट्ठी का सहारा लेना पड़ा। नहीं तो खुद कई ...और पढ़ेआपके समक्ष आकर भी बोल पाने की हिम्मत न जुटा पाया। सबसे पहले जो बात मुझे कहनी है वो है, पापा I LOVE YOU. बचपन से आजतक जो जिंदगी आपने मुझे दी, जो सुख–सुविधा मुहैया कराया, ताउम्र मैं आपका ऋण नहीं चुका सकता। सीमित पैसे होते हुए भी जिस शानो शौकत से आपने मुझे बड़ा किया, मेरी हर ख्वाईश पूरी
प्यारी बहना, रक्षाबंधन की सुबह तुम्हारी भेजी हुई राखी पहन ऑफिस तो चला गया, पर न जाने क्यूं कहीं कुछ कमी-सी रह गई। याद है बहना, बचपन में राखी के दिन हमदोनों सुबह से ही कितना उत्साहित रहा करते ...और पढ़ेपापा की लायी वो बड़ी वाली राखी देख आंखें खुशी से फैल जाया करती थी। सुबह से ही जैसे किसी जश्न का माहौल हुआ करता था। हलवा-पूरी, मिठाई और हाँ, मेरे पसंद वाली खीर की खुशबू से पूरा घर महक उठता था। चुपके से पापा का मुझे ग्यारह रुपए पकड़ा देना, फिर राखी बंधवाने के लिए जल्दी से तैयार होकर
प्रिय श्वेत शुभाशिर्वाद, तुम्हारा पत्र मिला। पढ़कर खुशी हुई कि तुम कठिन परिश्रम कर रहे हो। इसी तरह hard work करते रहो। जीवन में बहुत सारी कठिनाई आती है उससे पीछे नहीं हटना, उसको face करना है। पढ़ाई एवम ...और पढ़ेही तुम्हे एवम् तुम्हारे परिवार को establish करेगा। तुम्हारे पैर खींचने वाले बहुत होंगे पर अपने पैरों को अंगद के पैर बनाओ। अपने ज्ञान को ठोस बनाओ, बेमतलब का इधर उधर किसी के कहने में आकर समय और पैसा बर्बाद न करना। एक ही लक्ष्य है service प्राप्त करना और वो भी Govt. Service. इसके लिए लगन होना बहुत जरूरी
प्रिय प्रियतमा, आज एकबार फिर तुम्हारी नगरी में हूं। पर सबकुछ कितना बदल गया है यहां! या फिर शायद ये मेरी नजरों को धोखा भी हो सकता है क्योंकि तुम जो साथ नहीं हो अब।याद है, पहले हम और ...और पढ़ेसाथ–साथ कितना घुमा करते थे! तुम जब मुझसे मिलने आती थी, तो तुम्हे देखकर ही मेरी मीलों लंबी सफर की थकान छूमंतर हो जाया करती थी। फिर हमलोग कभी शहर में, तो कभी शहर से बाहर कितना घूमा करते थे! तुम्हारे बगैर बड़ी हिम्मत करके मैं पहली बार तुम्हारे शहर में आया और उन हरेक गली–कूची से होकर गुजरा, जिनपर