टूटा दिल - उपन्यास
Samriti
द्वारा
हिंदी प्रेम कथाएँ
वो प्यार में था... लड़की ने उसे धोखा दे दिया...जब वो सब कुछ भूलने की कोशिश कर रहा था...आगे बढ़ना चाहता था... वो फिर से आ गयी...वो दोबारा उसे अपनाएगा या नही......पात्रों से मिले...सिद्धार्थ- वो सदमे में है... उसने ...और पढ़ेप्यार खो दिया है... नही...असल में... उसके प्यार ने उसे धोखा दिया है...अब शायद दोबारा प्यार करना उसके लिए मुश्किल है...युविका- सिद्धार्थ की पहली प्रेमिका... जो उसे छोड़ कर जा चुकी है...कृतिका- बहुत प्यारी सी लड़की... जिसका दिल बहुत नेक है... पर उसने एक ग़लती की है...क्या होगा जब ये मिलेंगे... क्या होगा जब इनको एक दूसरे के सच का
वो प्यार में था... लड़की ने उसे धोखा दे दिया...जब वो सब कुछ भूलने की कोशिश कर रहा था...आगे बढ़ना चाहता था... वो फिर से आ गयी...वो दोबारा उसे अपनाएगा या नही......पात्रों से मिले...सिद्धार्थ- वो सदमे में है... उसने ...और पढ़ेप्यार खो दिया है... नही...असल में... उसके प्यार ने उसे धोखा दिया है...अब शायद दोबारा प्यार करना उसके लिए मुश्किल है...युविका- सिद्धार्थ की पहली प्रेमिका... जो उसे छोड़ कर जा चुकी है...कृतिका- बहुत प्यारी सी लड़की... जिसका दिल बहुत नेक है... पर उसने एक ग़लती की है...क्या होगा जब ये मिलेंगे... क्या होगा जब इनको एक दूसरे के सच का
सिद्ध दिल्ली जा कर पढ़ना चाहता है तो वो अपनी माँ की मदद से अपने पापा को मना लेता है... पर तभी उसके पास युविका की कॉल आती है... अब वो बेचैन है...आगे...वो अपने बिस्तर पर लेटा है...पर उसका ...और पढ़ेबेचैनी से भरा हुआ है...वो जितना अपने आप को शांत करने की कोशिश कर रहा था उसका मन बार बार युविका के ख़यालों में खो रहा था...कितना प्यार किया था उसने युविका से... ४ साल उसके साथ था... उसने कभी सपने में भी नही सोचा था कि वो यूँ इस तरह से अलग हो जाएँगे... जब उसने युविका को पहली
सिद्ध ने युविका की वजह से अपना फ़ोन बंद कर दिया था। अब वो बेचैन था। उसकी माँ ने उसके फ़ोन बंद होने की वजह पूछी। आगे.......“आपको कैसे पता...???” सिद्ध ने आश्चर्य से पूछा।“ विशाल का फ़ोन आया था। ...और पढ़ेबताया कि तुम्हारा फ़ोन बंद है। वो घर आ रहा है।” माँ ने कहा।“ ओके ...” सिद्ध ने उनकी तरफ़ देखे बिना ही जवाब दिया।“तुम ठीक हो..??” माँ ने चिंता करते हुए पूछा।“ हाँ माँ...मैं ठीक हूँ... आप परेशान ना हो...” इस बार भी उसने बिना देखे ही बोल दिया।माँ तो बहुत अजीब लगा पर फिर भी उन्होंने कुछ नही
सिद्ध को युविका के ख़्याल आ रहे थे पर वो उसके बारे में सोचना नही चाहता था... वो अपने लेपटोप में लग जाता है।आगे...........रात के ११ बज रहे थे। सिद्ध बहुत परेशान था। उसका सिर दर्द के मारे फटा ...और पढ़ेरहा था। उसने लेपटोप बंद कर दिया और लेट गया। उसने आँखे बंद की पर वो फिर से युविका के बारे में ही सोचने लगा।•सिद्ध जब से घर आया था वो बस युविका के बारे में ही सोच रहा था। वो उससे बात करना चाहता था। उसने फ़ेसबुक पर उसका नाम ढूँढने की कोशिश की। १ घंटे की कोशिश के
सिद्ध युविका की वजह से बहुत परेशान हो जाता है। तब विशाल उसे दिल्ली चलने के लिए कहता है।आगे...विशाल अपना सामान लेने अपने घर चला जाता है और सिद्ध को भी पेकिंग करने के लिए कहता है।सिद्ध अपना समान ...और पढ़ेमें रख रहा होता है तभी उसकी माँ आती है।“सिद्ध....” माँ धीरे से कहती है।“हम्म.... क्या हुआ...???” सिद्ध परेशान हो कर पूछता है।“वो.... युविका आयी है...” माँ उसे बताती है।“मुझे उससे नही मिलना है....”“पर क्यूँ... तुम्हारी कोई लड़ायी हुई है क्या...???”सिद्ध कुछ नही कहता.....“ बता बेटा... मुझे नही बताएगा....??”“माँ.... कुछ नही हुआ है... अभी बस मुझे दिल्ली के लिए निकलना