Aatmglani book and story is written by Ruchi Dixit in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Aatmglani is also popular in लघुकथा in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
आत्मग्लानि - उपन्यास
Ruchi Dixit
द्वारा
हिंदी लघुकथा
माई थब थाई दये !! तैं दंदी है | तै हमछे बात न कलिहै | आज यह स्वर कानो मे गूँज कर एक अपराध बोध के साथ हृदय को दृवित करे जा रहा है | बात उन दिनो की है जब हमारी काम वाली जो कि बहुत सालो से लगी थी, ने काम छोड़ दिया कारण उसके पति का बुलावा आ गया था, वैसे यह पहली बार न था , अक्सर ससुराल और मायके का चक्कर उससे कई सारी छुट्टियाँ करवा जाता, किन्तु हमने भी न जाने क्यों तमाम दिक्कतों के बावजूद कभी किसी और को उसकी जगह पर न
माई थब थाई दये !! तैं दंदी है | तै हमछे बात न कलिहै | आज यह स्वर कानो मे गूँज कर एक अपराध बोध के साथ हृदय को दृवित करे जा रहा है | बात उन दिनो की ...और पढ़ेजब हमारी काम वाली जो कि बहुत सालो से लगी थी, ने काम छोड़ दिया कारण उसके पति का बुलावा आ गया था, वैसे यह पहली बार न था , अक्सर ससुराल और मायके का चक्कर उससे कई सारी छुट्टियाँ करवा जाता, किन्तु हमने भी न जाने क्यों तमाम दिक्कतों के बावजूद कभी किसी और को उसकी जगह पर न
आगे....बार -बार कोमल का मेरी तरफ देखना वहीं मेरी नजर का इत्तेफाकन उससे टकरा जाना जैसे वह मुझसे कुछ कहना चाह रही हो मगर संकोचवश रूक जाती है फिर जैसे थोड़ी सी हिम्मत कर आग्रहपूर्ण शब्दों में "दीदीजी मेरा ...और पढ़ेआज ही कर दीजिये | मेरा घरवाला कह रहा था परसो तक नही रुकेगा | जो भी तेरा काम हो आज के आज निपटा लियो |" आज पहला अवसर था जब कोमल ने खुद तनख्वाह की माँगी की हो , महीना पूरा होने से पहले ही तनख्वाह उसके हाथ मे होती थी | पता नही क्यों पर उसका इस तरह