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माही - उपन्यास
Naziya Ansari
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
क्या कहा तुमने ? प्यार ? वो भी किसी अलग मजहब वाले लड़के से ! .... नहीं ऐसा नहीं हो सकता मैं आज ही तुम्हारे अब्बू से कह कर तुम्हारा रिश्ता पक्का करवाती हूं।
गुस्से में माही की अम्मी ने उससे कहा जब माही ने अपने और निलेश के बारे में उन्हें बताया
माही और निलेश की दोस्ती फेसबुक पर हुई । देखते ही देखते कब प्यार की खुशबू इन दोनों के बीच फैल गई दोनों को पता ही नहीं लगा ।
अब दोनो को एक दूसरे से मिलने की बेकरारी बढ़ने लगी। और आखिर वो दिन भी आ गया जिसका दोनों को बेसब्री से इंतजार था।
जी हां 24 जून जिस दिन ये पहली बार एक दूसरे से मिलने वाले थे। इधर माही परेशान थी की वो क्या पहने। और दूसरी तरफ निलेश जो की दिखने में काफी हैंडसम था पर फिर भी घबरा रहा था की उसे ऐसा क्या पहनना चाहिए जिसे देखते ही माही को पसंद आ जाए। दोनो को एक साथ याद आया की दोनो को लाल और काला दोनो ही रंग बहुत पसंद है
क्या कहा तुमने ? प्यार ? वो भी किसी अलग मजहब वाले लड़के से ! .... नहीं ऐसा नहीं हो सकता मैं आज ही तुम्हारे अब्बू से कह कर तुम्हारा रिश्ता पक्का करवाती हूं।गुस्से में माही की अम्मी ने ...और पढ़ेकहा जब माही ने अपने और निलेश के बारे में उन्हें बतायामाही और निलेश की दोस्ती फेसबुक पर हुई । देखते ही देखते कब प्यार की खुशबू इन दोनों के बीच फैल गई दोनों को पता ही नहीं लगा ।अब दोनो को एक दूसरे से मिलने की बेकरारी बढ़ने लगी। और आखिर वो दिन भी आ गया जिसका दोनों को
माही का निकाह हो जाता है और वो अपने नए घर आ जाती है। उसका शौहर काशिफ जो की काफी सुलझे हुए इंसान है वो अपनी बीवी की आंखो को देख कर ही महसूस कर लेते है की ये ...और पढ़ेमाही की मर्जी के खिलाफ है । वो माही से कहते है कि माही मैं तुमसे बड़े बड़े वादे तो नहीं कर सकता पर इतना ज़रूर कह सकता हूं की मेरी वजह से अब तुम्हारी आंखों से आंसू नहीं आने दूंगा। अगर तुम चाहो तो ये रिश्ता जो कि मजबूरी है तुम्हारी लिए तुम खत्म कर सकती हो। और अगर