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हम हैं अधूरे - उपन्यास
Priyanka
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
एग्जाम के दिनों में, नेक्स्ट एंबीशन के बारे में, पढ़ाई के बारे में, गोल्स के बारे में, फ्यूचर के बारे में बस ऐसे ही बातें होती रही सुदीप और मोक्षा के बीच और दोनों में दोस्ती भी हो गई। अन्तिम दिन दोनों ने अपने मोबाइल नंबर भी एक्सचेंज किए । दोनों के बीच पहेले तो सिर्फ पढ़ाई की ही बातें होती पर जैसे जैसे वक़्त बीतता गया इन दोनों की दोस्ती भी गहराती गई।
सुदीप हॉस्टल में रहता था जहां उसका रूम मेट था अनीश। और अब तो अनीश और मोक्षा की भी जान पहेचान हो गई थी। तीनो आपस में बहुत घुल मिल गए थे और अच्छे दोस्त बन गए थे। ये तीनो उम्र के उस दौर में थे जहां एक दूसरे के प्रति आकर्षण होना लाज़मी था।
एग्जाम के दिनों में, नेक्स्ट एंबीशन के बारे में, पढ़ाई के बारे में, गोल्स के बारे में, फ्यूचर के बारे में बस ऐसे ही बातें होती रही सुदीप और मोक्षा के बीच और दोनों में दोस्ती भी हो गई। ...और पढ़ेदिन दोनों ने अपने मोबाइल नंबर भी एक्सचेंज किए । दोनों के बीच पहेले तो सिर्फ पढ़ाई की ही बातें होती पर जैसे जैसे वक़्त बीतता गया इन दोनों की दोस्ती भी गहराती गई।
सुदीप हॉस्टल में रहता था जहां उसका रूम मेट था अनीश। और अब तो अनीश और मोक्षा की भी जान पहेचान हो गई थी। तीनो आपस में बहुत घुल मिल गए थे और अच्छे दोस्त बन गए थे। ये तीनो उम्र के उस दौर में थे जहां एक दूसरे के प्रति आकर्षण होना लाज़मी था।
( हम हैं अधूरे में अब तक आपने देखा के मोक्षा अपने मम्मी पापा की लाडली बेटी थी जो ब्यूटी विथ ब्रेन का परफेक्ट कॉम्बिनेशन थी। सुदीप जो के उसके है कॉलेज में पढ़ता है उससे दोस्ती होने के ...और पढ़ेइंप्रेस होती है। अनीश जो सुदीप का दोस्त और हॉस्टल में रूम मेट है, अब सुदीप के साथ साथ मोक्षा का भी अच्छा दोस्त बन जाता है और कुछ वक़्त में मोक्षा से प्यार करने लगता है। पर जब उसे पता चलता है के मोक्षा सुदीप के लिए फीलिंग्स रखती हैं तो वो अपने प्यार को छुपा अपने जज़्बात समेट
मोक्षा से बात करने के बाद सुदीप भी थोड़ा उलझन में पड़ गया था कि अगर अनीश की कही बात सच हो गई तो फिर मोक्षा को संभालना वाकई बहुत मुश्किल हो सकता है क्यों कि वो मोक्षा के ...और पढ़ेस्वभाव से परिचित था। वो अच्छे से समाजता था के मोक्षा उसके इनकार को नहीं झेल पाएगी। फिर भी बात की सच्चाई जानने के लिए कल उससे मिलना जरूरी था और हो सके तो मोक्षा को समझाना भी... मोक्षा सुदीप के इंतज़ार में एक घंटा पहले ही कॉफी शॉप में आकर बैठ गई और यहां सुदीप इसी उधड़बुन में
मोक्षा के मम्मी पापा को भी लग रहा था के वो बात की शुरुआत किस तरह करें? आपस में खूब विचार विमर्श करने के बाद उन्होंने बात की जड़ तक जाने का तय किया और मोक्षा से बात करने ...और पढ़ेकमरे में गए। "मोक्षा बेटा, आपसे जरा बात करनी है।" मोक्षा के पिता ने कहा। " अरे मम्मी पापा आप? आप कब आए कमरे में? मेरा ध्यान ही नहीं था। कहिए पापा क्या बात है?" मोक्षा उस वक़्त भी सुदीप को याद करते आंसू बहा रही थी। अपने मम्मी पापा को देख आंसू छुपाने की कोशिश करने लगी। " बेटा
फैसला हो चुका था। प्यार पर सिद्धांत की जीत हुई। जबरन सुदीप का प्यार पाने की कोशिश में मोक्षा पहले से ही टूट गई थी। और अब सिद्धांतो की बलि चढ़कर वो सुदीप को नहीं पाना चाहती थी। ...और पढ़ेमोक्षा के माता पिता को उनकी बेटी के फ़ैसले पर गर्व था पर इस फ़ैसले से मोक्षा अंदर से मरने लगी थी, उसकी जीने की इच्छा ख़त्म होने लगी थी। मोक्षा अब अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रही थी। हर बार उसकी आंखे सुदीप की याद में नम हो जाती। मोक्षा के माता पिता जानते