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जु़र्म - उपन्यास
Pragati Gupta
द्वारा
हिंदी थ्रिलर
बरसों से बिजली की चमक और बादलों की गड़गड़ाहट संग होती, तेज बारिश अपरा के लिए दहशत का सबब थी| जब कभी तेज बारिश होने का अंदेशा होता, वो खुद को कमरे में कैद कर, कामों में व्यस्त कर लेती| ताकि बारिश होने का एहसास कम से कम हो| शादी के बाद न जाने कितनी बार अतिन ने उसके साथ भीगने की ख्वाहिश की…
‘अपरा चलो न बाहर गार्डन में,दोनों साथ-साथ भीगकर बारिश का आनंद लेते हैं|’
‘अतिन! मुझे बारिश में भीगना अच्छा नहीं लगता| आप तो जानते ही हैं बारिश मुझे आनंद नहीं देती, डराती है| आप और बच्चे खूब मज़े लीजिए| मैं आप सबके लिए गरमा गरम पकोड़े बनाकर, आपके आनंद को दुगना करती हूँ|’ अपरा हमेशा ही अतिन के इस आग्रह को बहुत प्यार से नकार देती|
‘मैं हूँ न अपरा तुम्हारे साथ| तुम्हारा डर खुद-ब-खुद भाग जाएगा|’...
अतिन के मनावने करने पर भी अपरा इनकार करती तो एकांत मिलने पर अतिन पूछते...
1 ------ बरसों से बिजली की चमक और बादलों की गड़गड़ाहट संग होती, तेज बारिश अपरा के लिए दहशत का सबब थी| जब कभी तेज बारिश होने का अंदेशा होता, वो खुद को कमरे में कैद कर, कामों में ...और पढ़ेकर लेती| ताकि बारिश होने का एहसास कम से कम हो| शादी के बाद न जाने कितनी बार अतिन ने उसके साथ भीगने की ख्वाहिश की… ‘अपरा चलो न बाहर गार्डन में,दोनों साथ-साथ भीगकर बारिश का आनंद लेते हैं|’ ‘अतिन! मुझे बारिश में भीगना अच्छा नहीं लगता| आप तो जानते ही हैं बारिश मुझे आनंद नहीं देती, डराती है| आप
2. मां की लगातार आवाज़ें जब व्यस्त अनुष्का तक पहुंची, वो घबराकर दौड़ती हुई अपरा के कमरे में पहुंच गई| और आते ही बोली... “आप कब से मुझे पुकार रही थी माँ?... सॉरी... मैं आपकी आवाज़ सुन नहीं पाई| ...और पढ़ेअपने कामों में इतना खो हुई थी कि कब बारिश शुरू हुई, आभास भी नहीं हुआ| सॉरी मम्मा अब मैं आ गई हूं न, आप बिल्कुल परेशान मत होइए|” बेटी का बार-बार सॉरी बोलना और बच्चों के जैसे समझाना अपरा को कचोट रहा था| उसको मन ही मन आत्मग्लानि हो रही थी| ताउम्र बच्चों का संबल बनने वाली, खुद बेटी
3. अपरा अपनी बेटी के लाड़ में खोई-खोई, कॉलेज के समय में पहुंच गई| उसने अपना हाथ अनुष्का के हाथ से छुड़ाकर उसके बालों में उंगलियों से शुरू कर सहलाना शुरू कर दिया| और बोली... ‘अनुष्का! तुम्हें तो पता ...और पढ़ेहै, तुम्हारे नाना-नानी मुरादाबाद में रहते थे| उन्होंने कॉलेज की पढ़ाई के लिए मुझे दिल्ली भेज दिया था| मुझे हॉस्टल में रहना पड़ा| कॉलेज का फाइनल ईयर था| हम चार दोस्तों का बहुत अच्छा ग्रुप था| उस शाम बहुत तेज़ बारिश हो रही थी| हम दोस्तों ने योजना बनाई कि बारिश में कहीं दूर किसी थड़ी पर बैठकर चाय पीते