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बेवजहा के ख़्याल - उपन्यास
Merikhanii
द्वारा
हिंदी प्रेम कथाएँ
मैंने जब तक ताजमहल नही देखा था तो मुझे लगता था की दुनिया कुछ भी कहे ताजमहल इतना भी खूबसूरत नही है, क्योंकि ताज की तस्वीर मेरे कमरे की दीवार से लगी थी और मैं यही हक़ीक़त मानता था कि वो बस इतना ही खूबसूरत है औऱ शायद आज भी। यही मानता हूँ।
ज़हन में ख़्वाब ऐसे ही बस जाते है, तुम हक़ीक़त में कैसी भी हो, हम सारी उम्र तुम्हे अपने ख़्वाब की नज़रों से ही देखते रहेंगे, शायद ये पागलपन है
मैंने जब तक ताजमहल नही देखा था तो मुझे लगता था की दुनिया कुछ भी कहे ताजमहल इतना भी खूबसूरत नही है, क्योंकि ताज की तस्वीर मेरे कमरे की दीवार से लगी थी और मैं यही हक़ीक़त मानता था ...और पढ़ेवो बस इतना ही खूबसूरत है औऱ शायद आज भी। यही मानता हूँ।ज़हन में ख़्वाब ऐसे ही बस जाते है, तुम हक़ीक़त में कैसी भी हो, हम सारी उम्र तुम्हे अपने ख़्वाब की नज़रों से ही देखते रहेंगे, शायद ये पागलपन हैवाकईं जो दिल मे घर कर जाता है क़तई बाहर नही निकलता, तुम्हे देख लिया तो लगा है। जैसे
मेरा एक दोस्त कहता था उसका बचपन से ख़्वाब था कि दिल्ली के किसी अच्छे कॉलेज में पढ़े और उसकी एक गर्लफ़्रेंड हो जिसे वो रोज़ शहर घुमाए।मैं उससे कहता था मैं कहानियों के जैसा होना चाहता हूँ जिसे ...और पढ़ेकॉलेज से कोई मतलब न हो और वो जंगल मे रहने वाली किसी खूबसूरत लड़की से मुलाक़ात करे और उसके साथ पहाड़ो पर घूमे। और बेफिक्र होकर पूरा जंगल घूम जाए और वापस उसी जगहा आ जाये जहाँ से सफर सुरु किया था हर रोज की मानिंद और फिर कुछ दिन तक यही सब करता रहूँ बेपरवाह होकर किसी की
कुछ भी मेरे मनमुताबिक नही होता ,किसी काम से ये सोच कर बाहर जाता हूँ कि पैदल चलने से फिट रहूँगा भले ही एटीएम से पैसे निकालने हो तो उस दिन उस एटीएम में पैसे नही होंगे यानी घर ...और पढ़ेबाइक उठाओ फिर दूसरे एटीएम जाओ तब गुस्सा आता है बेवजह की दौड़ हो गईं।अच्छा मेरी आदत नही है इंतजार करने की लेकिन जब किसी का बड़ी शिद्दत से इंतजार करने लग जाता हूँ तो , वही शख्स मुझे इंतजार कराने के अलावा मुझे कुछ नही देता ,और में मायूस होकर रह जाता हूँ ,इंतजार की बेचैनियाँ समेट कर ।