Khat wala PYAAR book and story is written by Ek_Gunjati_AAWAZ in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Khat wala PYAAR is also popular in लघुकथा in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
खत वाला PYAAR - उपन्यास
Ek_Gunjati_AAWAZ
द्वारा
हिंदी लघुकथा
मे आज आपके सामने एक कहानी लेकर आई हुँ । आशा करती हुँ की, आपको मेरी यह कहानी पसंद आयेगी । तो शुरु करती हुँ । में कभी भी इतनी सुबह उठती नही हुँ पर पता नही क्यो आज इतनी सुबह नीन्द उड गइ। उठकर देखती हूँ कि, माँ सबके लिए नास्ता बना रही होती हैं। दादी माँ भगवान श्रीकृष्ण की पूजा कर रही होती हैं । पापा भी इतनी सुबह उठकर टहलने चले गए होते हैं। अरे.....में तो अपने भाई के बारे मे तो
मे आज आपके सामने एक कहानी लेकर आई हुँ । आशा करती हुँ की, आपको मेरी यह कहानी पसंद आयेगी । तो शुरु करती हुँ । ...और पढ़े में कभी भी इतनी सुबह उठती नही हुँ पर पता नही क्यो आज इतनी सुबह नीन्द उड गइ। उठकर देखती हूँ कि, माँ सबके लिए नास्ता बना रही होती हैं। दादी माँ भगवान श्रीकृष्ण की पूजा कर रही होती हैं । पापा भी इतनी सुबह उठकर टहलने चले गए होते हैं। अरे.....में तो अपने भाई के बारे मे तो
और वह खत लेकर मैं मेरे रूममेंं चली गइ और मेने वह खत बिस्तर के नीचे रख दिया और मैं घर के सारे काम करने चली गई और घर के सारे काम लिपटाकर मैं फिर से अपने रूम में ...और पढ़ेगई और मैंने बिस्तर के नीचे से वह खत निकाला । वह खत को पलटा कर देखती हूं तो क्या देखती हूं ? उसने सिर्फ इतना ही लिखा था की, " मेरी प्यारी सी ज़िंदगी........ "
खत वाली बात को लेकर 2 दिन हो गए थे और सब नॉर्मल हो चुका था और मुझे ऐसा लगने लगा था कि शायद किसी ने मेरे साथ मजाक ही किया होगा । पर 2 दिन के बाद ठीक ...और पढ़ेवक्त सुबह फिर से खत आया तो तब मैं हैरान रह गई और खत लेने बाहर आइ और फिर से खत वाले भैया के कागज पर मैंने साइन करके वह खत लेकर उसको मैंने रवाना किया और खत लेकर फिर से अपने ही कमरे में चली गई और उसमें लिखा था कि......... अरे, मैंने तुमको खत
( लड़की मन में ही सोचती हैं कि क्या इस से बात करना ठीक होगा.......... ) एकबार बात करके ...और पढ़ेहूँँ....... कुछ लिखनेे ही जा रही होती हैं और तुरंत ही उसके दिमाग की घंटी बजने लगी और खुद से ही सवाल कर बैठी.......अरे रुक....... कर क्या रही हो तुम १ उसको जानती नहींं.... पहचानती नहीं...... और उसको खत क्यों भेज रही हो थोड़ा ठंडे दिमाग से सोचो और बाद में खत भेजो.......( अब लड़की सोचती हैं कि चलो थोड़ा सा ही सही पर उस के साथ मजाक किया जाए और आगे
लड़का लिखता है कि,......हे.......गॉववाली लड़की ....गांव वाली लड़की ......गांव वाली लड़की..... गांव वाली लड़की....... हमारे गांव में आकर खेत करेगी क्या ??अगर ना आता हो तो मैं सिखा दूंगा वैसे तुमने अपना नाम नहीं बताया कोई बात नहीं कैसे ...और पढ़ेकरके मैं तुम्हारा नाम तुम्हारे ही मुहसे निकलवा लूंगा !!देख गांव की छोरी , कोई बात नहीं हाल-चाल क्या है वह बता ,क्या पढ़ाई कर रही हो , या फिर कोई नौकरी कर रहे हो या फिर ऐसे ही गांव में घर पर ही बैठे रहते हो, ह...... यह बात बता पूरा दिन तू करती क्या हो वह तो मैंने