Dockdown and coaching kota book and story is written by Rekha Pancholi in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Dockdown and coaching kota is also popular in फिक्शन कहानी in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
लोक डाउन एंड कोचिंग सिटी कोटा - उपन्यास
Rekha Pancholi
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
अचानक जिंदगी कुछ ऐसे ही बदल गई थी, मानो हर-हराता झरना एक ही रात में बर्फ में तब्दील हो गया हो। सड़के, बाजार, स्कूल, कॉलेज, मॉल, बसें- ट्रेनें सब मुंह बाएं खड़े थे, स्तब्ध से, हर जगह रेलम-पेल, धक्कम-धक्क मचाती वो भीड़ कहीं जैसे गुम हो गई थी । 135 करोड़ की जनसंख्या वाले इस देश की जनता को कोई इतना शांत कैसे करवा सकता है ? कभी सोचा नहीं था, वो घटित हो गया था। 135 करोड़ ! यह केवल जुमला नहीं था.... हमारे देश के प्रधानमंत्री का, 135 करोड़ की जनसंख्या ने हमेशा अपने होने का पुरजोर प्रमाण दिया था। लेकिन अब जैसे ऊपर वाले जादूगर ने जादू की छड़ी घुमा दी थी और सब को जैसे सांप सूंघ गया गया था। पर यह खामोशी अधिक समय नहीं रह सकती थी जैसे लहरों की आदत होती है, जैसे हवाओं की आदत होती है, बादल स्थिर नहीं रह सकते हम भी अपनी आदतों से मजबूर थे, या कह लीजिए लातों के भूत बातों से नहीं मानते ।अब लोक डाउन का पालन डंडे के बल पर प्रशासन द्वारा करवाया जा रहा था ।
अचानक जिंदगी कुछ ऐसे ही बदल गई थी, मानो हर-हराता झरना एक ही रात में बर्फ में तब्दील हो गया हो। सड़के, बाजार, स्कूल, कॉलेज, मॉल, बसें- ट्रेनें सब मुंह बाएं खड़े थे, स्तब्ध से, हर जगह रेलम-पेल, धक्कम-धक्क ...और पढ़ेवो भीड़ कहीं जैसे गुम हो गई थी । 135 करोड़ की जनसंख्या वाले इस देश की जनता को कोई इतना शांत कैसे करवा सकता है ? कभी सोचा नहीं था, वो घटित हो गया था। 135 करोड़ ! यह केवल जुमला नहीं था.... हमारे देश के प्रधानमंत्री का, 135 करोड़ की जनसंख्या ने हमेशा अपने होने का पुरजोर प्रमाण दिया
लेखिका - रेखा पंचोली * खतरनाक कोरोनावायरस और चीन वह अंदर आकर सोने का उपक्रम करने लगी किंतु नींद आंखों से कोसों दूर थी ।आजकल कई दिन ऐसे ही गुजर जाते कभी रात ...और पढ़ेनींद नहीं आती तो कभी दिन में बेचैनी सी महसूस होने लगती, यह कहां आ गए थे हम ऐसा तो कभी सोचा नहीं था, कि इतनी जल्दी ऐसे दिन आएंगे। किताबों में पढ़ा सुना था कि जब प्रलय आती है ,तो दुनिया खत्म हो जाती यह सब कुछ इतना ही विध्वंसक और प्रलयंकारी था। जिस तरह से कोरोनावायरस चीन से निकलकर पूरी दुनिया को अपनी चपेट
लेखिका- रेखा पंचोली * सुरभि का पैचअप हॉस्टल के लोन में सोशल डिस्टेंसिग के पालन के साथ खाने के पैकेट बांटते-बांटते अचानक सुरभि की नजर निखिल पर पड़ी, वह एक दूसरी कतार में खाने के पैकेट ...और पढ़ेरहा था मास्क चेहरे पर लगा होने के कारण वह शुरू में देख नहीं कर पाई थी । बाद में नजर आ जाने पर वह जानबूझकर निखिल की ओर पीठ करके खड़ी हो गई । बाहर निकलने लगे तो सुरभि को निखिल ने आवाज देकर रोक लिया। सुरभि चाह कर भी इग्नोर नहीं कर सकी । तुम तो बिल्कुल भूल ही गई सुरभि 6
सुरभि के घर में कोरोना का कहर :- सुरभि के घर में कोरोना का कहर :-- अंजलि के साथ में उसकी सहेली रुचि भी बाहर आ गई।आम के पेड़ पर ढेरों चिड़िया आ-जा रही थीं , मौसम सुहाना था ...और पढ़ेवे दोनों लोन में घूमने लगी | मकान की दीवार से अनिकेत ने लोन की तरफ देखा जहां अंजलि और रुचि लोन में टहल रही थी । आमतौर पर देर से उठने वाला अनिकेत आज जल्दी उठ गया था। शायद अंजलि और रुचि की खैर खबर लेने के लिए। सुरभि भी बाहर लोन में आ गई। चारों लोन में ही बैठ