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परम पूज्य स्वामी हरिओम तीर्थ जी महाराज - उपन्यास
रामगोपाल तिवारी
द्वारा
हिंदी आध्यात्मिक कथा
परम पूज्य स्वामी हरिओम तीर्थ जी महाराज 1 एक अजनबी जो अपना सा लगा परम पूज्य स्वामी हरिओम तीर्थ जी महाराज . रामगोपाल भावुक सम्पर्क- कमलेश्वर कोलोनी (डबरा) भवभूतिनगर जि0 ग्वालियर ;म0 प्र0 475110 मो0 9425715707, , 8770554097 शिव स्तुति अथ् श्री गणेशाय नमः। ऊँ नारायणाय परमेश्वराय विंदेश्वराय नमः शिवाय। हरि हराय दिगम्बराय वटेश्वराय नमः शिवाय। नित्याय शुद्धाय निरन्जनाय भस्मांगराय नमः
परम पूज्य स्वामी हरिओम तीर्थ जी महाराज 1 एक अजनबी जो अपना सा लगा ...और पढ़े परम पूज्य स्वामी हरिओम तीर्थ जी महाराज . रामगोपाल भावुक सम्पर्क- कमलेश्वर कोलोनी (डबरा) भवभूतिनगर जि0 ग्वालियर ;म0 प्र0 475110 मो0 9425715707, , 8770554097 शिव स्तुति अथ् श्री गणेशाय नमः। ऊँ नारायणाय परमेश्वराय विंदेश्वराय नमः शिवाय। हरि हराय दिगम्बराय वटेश्वराय नमः शिवाय। नित्याय शुद्धाय निरन्जनाय भस्मांगराय नमः
परम पूज्य स्वामी हरिओम तीर्थ जी महाराज 2 param pujy swami hariom tirth ji maharaj स्वामी मामा ...और पढ़े डबरा स्वामीजी अकेले कवि ही नहीं वल्कि श्रेष्ठ सटायर लेखक भी रहे हैं। उनकी कहानियाँ एवं सटायर इतने पैने कि आदमी बिषय पर सोचने को मजबूर होजाये।उनके सारे के सारे सटायर व्यवस्था की शल्य क्रिया करने में समर्थ मिलेंगे। नगर में लोग उन्हें कवि रूपमें स्वामी मामा के नाम से जानने लगे थे। मैं उन्हें स्वामीजी कहकर बुलाता रहा। किन्तु जब से मुझे उनका अनुग्रह प्राप्त हुआ है तब से मैं गुरुदेव को महाराज जी कहता हूँ। ‘‘एक
परम पूज्य स्वामी हरिओम तीर्थ जी महाराज 3 महाराजजी बोले- एक दिन मैं डॉक्टर के0 के0 शर्मा के यहाँ पहुँचा ही था कि अचानक मुझे दोनों आँखों से दिखना बन्द होगया -‘‘ नैना एक पल ...और पढ़ेतूं खुल जइयो।’’...... और यह प्रसंग सोचने लगा जब राम जी अपने चारों भाइयों के साथ वशिष्टजी के यहाँ से अघ्ययन करके अयोध्या लौटकर आये उस दिन एक दृष्टिहीन व्यक्ति गारहा था-‘‘नैना एक पल को तूं खुल जइयो।’’ यह प्रसंग सोचकर जैसे ही निवृत हुआ कि मुझे दोनों आँखों से दिखाई देने लगा। यह कहकर महाराजजी गुरु की महिमा गुनगुना रहे थे-
परम पूज्य स्वामी हरिओम तीर्थ जी महाराज 4 महाराजजी कह रहे थे-मैं अनेकों बार वुटवल गया हूँ, यह नेपाल में है। उस कस्वे के तीन ओर पहाड़ियाँ होने से मनोरम द्रश्य उपस्थित होजाता है। तिनाऊ ...और पढ़ेके ऊपर की ओर सकरा पाट है किन्तु नीचे की ओर चौड़ा होगया है। ऊपर के सकरे भाग में रोप ब्रिज बना है। नीचे के चौड़े पाट से कस्वा लगा है। ऐसे सुन्दर कस्वे में एक नेपाली दम्पति रहते थे। उनकी पत्नी को मैं दीदी कहता था। जब भी मैं वुटवल जाता उन्हीं के यहाँ ठहरता था। अपना दाम- पैसा दीदी
परम पूज्य स्वामी हरिओम तीर्थ जी महाराज 5 दिनांक 03-02-09 को महाराज जी ने यह प्रसंग ...और पढ़ेअहमदाबाद में मेरे बड़े भ्राता जनार्दन स्वामी जी कपड़े की मिल में सबसे बड़े इन्जीनियर थे। वहीं एक वंशीवाले संत रहते थे। स्वामीजी अक्सर उनके यहाँ जाया करते थे। यह बात मील के मालिक को पता चल गई । स्वामी जी से निवेदन किया-‘‘ आप कैसे भी वंशीवाले संत जी को घर ले आओ।’ जनार्दन स्वामी बोले-‘‘ सेठजी ,आप घर में रामायण का कार्यक्रम रखें मैं उन्हें लाने का प्रयास करुंगा। ’’ सेठजी ने रामायण का कार्यक्रम रखा। जनार्दन