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इश्क वाला ️️️️Love - उपन्यास
Sunil Gupta
द्वारा
हिंदी प्रेम कथाएँ
आजकल बहुत बड़ा हीरो बन रहा है तू, कल हम तुझे बुला रहे थे और तू लड़की के साथ जा रहा था तो तूने पलट कर देखा भी नहीं अब बता बच कर कहां जाएगा? 4 लगभग 10 से 12 साल के बच्चे एक लड़के को जो कि 10 या 11 साल का ही रहा होगा, घेर कर खड़े थे सब के सब ने सफेद शर्ट और हरे कलर की पैंट के ऊपर एक लाल कलर का ब्लेजर डाला था सब के गले में नीली टाई लटकी हुई थी और वह ढीली ढाली थी , सब के पैरों में एक ही
आजकल बहुत बड़ा हीरो बन रहा है तू, कल हम तुझे बुला रहे थे और तू लड़की के साथ जा रहा था तो तूने पलट कर देखा भी नहीं अब बता बच कर कहां जाएगा? 4 लगभग 10 से ...और पढ़ेसाल के बच्चे एक लड़के को जो कि 10 या 11 साल का ही रहा होगा, घेर कर खड़े थे सब के सब ने सफेद शर्ट और हरे कलर की पैंट के ऊपर एक लाल कलर का ब्लेजर डाला था सब के गले में नीली टाई लटकी हुई थी और वह ढीली ढाली थी , सब के पैरों में एक ही
देव लगड़ाते हुए घर पहुचा अरे क्या हुआ , चोट कैसे लग गयी दिव्यांश बेटे ,देव को लगड़ाते हुए देख कर देव की मम्मी ने कहा कुछ नही मम्मी साइकिल से गिर पड़ा बस हल्की सी छोटी लग गयी ...और पढ़ेदिव्यांश ने सरासर झूठ बोला। कितनी बार कहा है थोड़ा सम्हाल कर साइकिल चलाया करो लेकिन तुम आंधी तूफान की तरह चलते हो देव की मम्मी ने देव को पकड़ कर अपने पास बैठाया और देखने लगी दिखाओ कहा कहा चोट लगी है , अरे मम्मा मैने दवाई लगा ली है ,वो मेरी दोस्त है ना तृषा ,उसने अपने घर
शाम को देव ने घर जाकर के सब कुछ अपनी बहन पूर्णिमा को बताया पूर्णिमा ने कहा ठीक है कल तुम्हारे साथ मैं चलूंगी तुम परेशान मत हो मैं देखती हूं । अगले दिन देव अपनी बहन पूर्णिमा ...और पढ़ेसाथ, वैभव अपने पापा के साथ और तृषा अपनी मम्मी के साथ स्कूल में पहुंचे। तीनों अपने अपने पैरंट्स के साथ शोभना मेडम से मीटिंग रूम में मिले जी मैडम कहिए आप ने हम सब को यहां पर क्यों बुलाया है आपको पता है मेरी कितनी जरूरी मीटिंग है और मैं उसे छोड़ कर आया हूं। वैभव के पापा ने शोभना मैडम
क्या हुआ मिष्ठी इतना उदास क्यों हो बताओ ना आज मैंने साइकिल की घंटी बजाई तब भी तुम बाहर नहीं आई ,और बुलाने पर बाहर आयी मम्मी पापा ने डांटा है क्या? तृषा के उदास चेहरे को ...और पढ़ेदेव ने पूछा नहीं देव ऐसी कोई बात नहीं है पहले स्कूल चलो फिर मैं तुम्हें बताती हूं। दोनों साइकिल से स्कूल पहुंचे और फिर अपने क्लास में चले गए दोपहर में जब लंच टाइम हुआ तो साथ में अपना अपना टिफिन लेकर के लंच करने आए तृषा का चेहरा अभी भी उतरा हुआ था और वह उदास लग गई थी आज उसका
उसी रात को तृषा अपने मम्मी पापा के साथ हमेशा हमेशा के लिए मेरठ में आकर के शिफ्ट हो गई तृषा के पापा का नाम संदीप था उन्होंने मेरठ के ही एक स्कूल में तृषा का एडमिशन करवा ...और पढ़ेनया माहौल ,नए दोस्त सब कुछ नया नया सा था इसीलिए तृषा इस नए माहौल में एडजस्ट नहीं कर पा रही थी। उसे अपना पुराना घर पुराना स्कूल , पुराने दोस्त, सब बहुत याद आ रहे थे। यहां पर उसकी किसी से कोई जान पहचान नहीं थी इसीलिए तृषा का मन बिल्कुल भी यहां पर नहीं लग रहा था। तृषा की