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क्या नाम दूँ ..! - उपन्यास
Ajay Shree
द्वारा
हिंदी सामाजिक कहानियां
क्या नाम दूँ ..! अजयश्री प्रथम अध्याय “आखिर तुमने मुझे समझ क्या रखा है ! आज पाँच साल तक साथ रहने के बाद तुम कह रहे हो कि मैं तुम्हारे लायक नहीं हूँ ..इन पाँच सालों में शायद ही कोई दिन ऐसा हो जब तुमने मुझे इस छत के नीचे मेरी कोरी सफ़ेद चादर पर धब्बे न दिए हो एक, दो, तीन, चार, पाँच...गिनती कम पड़ जायेगी, पर तुम्हारी हवस की सिलवटें इस चादर पर आज भी दिखती हैं और तुम कहते हो मैं तुम्हारी पत्नी बनने के काबिल नहीं हूँ ” “क्या नहीं किया मैंने इस
क्या नाम दूँ ..! अजयश्री प्रथम अध्याय “आखिर तुमने मुझे समझ क्या रखा है ! आज पाँच साल तक साथ रहने के बाद तुम कह रहे हो कि मैं तुम्हारे लायक नहीं हूँ ..इन पाँच सालों में शायद ही ...और पढ़ेदिन ऐसा हो जब तुमने मुझे इस छत के नीचे मेरी कोरी सफ़ेद चादर पर धब्बे न दिए हो एक, दो, तीन, चार, पाँच...गिनती कम पड़ जायेगी, पर तुम्हारी हवस की सिलवटें इस चादर पर आज भी दिखती हैं और तुम कहते हो मैं तुम्हारी पत्नी बनने के काबिल नहीं हूँ ” “क्या नहीं किया मैंने इस
गातांक से आगे.... क्या नाम दूँ ..! अजयश्री द्वितीय अध्याय सूरज आज भी अपने समय और जगह पर था, बस दिन बदल गया पण्डित जटाशंकर मिश्र की टन-टन घंटी की अवाज के साथ बाबू टोला चिरगोड़ा में रोज ...और पढ़ेकी तरह “त्रयंबकम यजा महे... “महामृत्यंजय मन्त्र का जाप सुनाई दे रहा था पूजा ख़त्म करने बाद दलान में रखी चौकी पर बैठते हुए पं.जटाशंकर मिश्र ने आवाज लगाईं “परदेसिया ...!” “जी मालिक आया “ कहते हुए आवाज सुनते ही सब काम छोड़कर उनका नौकर परदेसी दौड़ पड़ा पहले से रखे गुड़ को खाकर लोटे से पानी पीने के बाद
क्या नाम दूँ ..! अजयश्री तृतीय अध्याय एक्सरे रिपोर्ट देखने के बाद डॉक्टर ने किरन से पैर धीरे-धीरे हिलाने को कहा | किरन कराहते हुए दोनों पैर की उँगलियाँ हिलाने की कोशिश करने लगी, पर दाहिने पैर को दो ...और पढ़ेसे ज्यादा नहीं हिला पायी | ””गुड बहुत बढ़िया | ” आदर्श की तरफ पलटते हुए डॉक्टर ने कहा “आप...?” “जी मैं इनका पति | “ डॉक्टर आदर्श को लेकर बाहर आ गये और बोले-“देखिए, बायाँ पैर तो बच गया | दाहिने पैर में घुटने के नीचे फ्रैक्चर है, प्लास्टर करना होगा और सबसे अहम् बात की कमर के ऊपर
क्या नाम दूँ ..! अजयश्री चतुर्थ अध्याय “मैं कब कहती हूँ कि तुम मुझसे प्यार नहीं करते, उसी प्यार का वास्ता ; मुझसे सचमुच प्यार करते हो तो अम्मा-बाबूजी को बता दो और दूसरी शादी कर लो ;वैसे भी ...और पढ़ेकोई नया काम नहीं करने जा रहे हो, सदियों से होता चला आ रहा है | क्या राजा दशरथ की तीन रानियाँ नहीं थी और कृष्ण की तो लाखों पटरानियाँ थी | विज्ञानं ने इतनी तरक्की कर ली की क्या नहीं हो सकता | आजकल तो किराये पर कोख मिल जाती है | शाहरुख-गौरी, आमिर-किरण के बेटे इसके वर्तमान उदाहरण