रामगोपाल तिवारी (भावुक) लिखित उपन्यास मूर्ति का रहस्य | हिंदी बेस्ट उपन्यास पढ़ें और पीडीएफ डाऊनलोड करें होम उपन्यास हिंदी उपन्यास मूर्ति का रहस्य - उपन्यास उपन्यास मूर्ति का रहस्य - उपन्यास रामगोपाल तिवारी (भावुक) द्वारा हिंदी बाल कथाएँ (33) 3.8k 9k 3 पुराने किलांे और महलों के बारे में कई तरह की अफवाहें प्रचलित हैं, ऐसी ही एक इमारत का रोचक और रहस्यपूर्ण किस्सा आज हम आपको सुनाते हैं। ..तो हो जाइये तैयार किस्सा सुनने के लिये ! ...और पढ़े ग्वालियर जिले में हरसी से भितरवार जाने वाली सड़क पर ग्राम सालवई नाम की एक छोटी सी बस्ती है। बस्ती से एक किलोमीटर की दूरी पर ऊंची पहाड़ी के शिखर पर प्राचीन और जीर्णशीर्ण सा एक किला दिखता है। यही किला सालवई के प्रसिद्ध किले के रूप में विख्यात है। पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें पूर्ण उपन्यास मूर्ति का रहस्य - 1 1.1k 2k मूर्ति का रहस्य 1 बाल उपन्यास रामगोपाल भावुक सम्पर्क- कमलेश्वर कोलोनी (डबरा) भवभूतिनगर जि0 ग्वालियर ;म0 प्र0 475110 मो0 9425715707, 8770554097 एक पुराने किलांे और महलों ...और पढ़ेबारे में कई तरह की अफवाहें प्रचलित हैं, ऐसी ही एक इमारत का रोचक और रहस्यपूर्ण किस्सा आज हम आपको सुनाते हैं। ..तो हो जाइये तैयार किस्सा सुनने के लिये ! ग्वालियर जिले में हरसी से भितरवार जाने वाली सड़क पर ग्राम सालवई नाम की एक छोटी सी बस्ती है। बस्ती से एक किलोमीटर की दूरी पर ऊंची पहाड़ी अभी पढ़ो मूर्ति का रहस्य - 2 444 951 मूर्ति का रहस्य - दो गाँव में तीज-त्यौहार आते हैं तो लोग सारे डर और आतंक भूल कर उनमें रम जाते हैं। ऐसा ही हुआ। दशहरे का पर्व बीता तो हर वर्ष की तरह गाँव की लड़कियाँ सुअटा ...और पढ़ेखेल खेलने लगी। सेठ बैजनाथ की पुत्री चन्द्रवती अपनी सहेलियों के साथ सुअटा सजाने लगी। उन सबने पहले गीली-मिट्टी सान कर दीवाल के सहारे एक पुतला बनाया। कोड़ियाँ लगा कर उसकी दोनों आँखें बना दी। उसके पैरों में महावर लगा दिया। सुअटा सजाने की जिम्मेदार कृष्णा ने उसके माथे पर रोरी का सुन्दर तिलक लगाया। उसको जनेऊ पहनाया। उसके माथे अभी पढ़ो मूर्ति का रहस्य - 3 513 1k मूर्ति का रहस्य तीन फरवरी का महीना था । बसन्त ऋतु थी एक दिन एक जीप सालवाई गाँव के हनुमान चौराहे पर आकर रूकी। जीप पर लिखा था-‘‘पुरातत्व सर्वेक्षण दल ग्वालियर’’ जीप देखकर लोग सिमट आये। पता ...और पढ़ेकी खोज में पुरातत्व विभाग वाले अफसर आये हैं। लोगों ने पहचाना उनमें एक व्यक्ति तो वो था जो इस गाँव में पिछले एक वर्ष से चक्कर काट रहा है। यहाँ के लोग इन्हें त्यागी जी के नाम से जानते हैं। इनका पूरा नाम है विश्वनाथ त्यागी। वे इस वक्त खादी का पाजामा एवं कत्थई रंग का नेताओं जैसे अभी पढ़ो मूर्ति का रहस्य - 4 327 876 मूर्ति का रहस्य चार गाँव में नया सरकारी हाई स्कूल शुरू हुआ था जिसमें विज्ञान के नये शिक्षक अशोक शर्मा, एक दिन पहले ही उपस्थित हुऐ थे। उस दिन वे विज्ञान के पीरियड में कक्षा में आये। शुरू ...और पढ़ेछात्रों से परिचय जानने के बाद, वे अपने विषय पर आते हुए बोले-‘‘विज्ञान का अध्ययन हमारे चित्त में जन्मे अन्धविश्वासों को निकाल देता है। विज्ञान के कारण हमारी जो प्रगति हुई है उससे आप सब परिचित ही हैं। चन्द्रावती ने अपनी सीट से खड़े होकर उत्सुकता प्रगट की-’’सर जी भूत-प्रेतों की बातें विज्ञान की दृष्टि में कितनी सार्थक है।’’ अभी पढ़ो मूर्ति का रहस्य - 5 363 957 मूर्ति का रहस्य 5 रमजान किले के ऊपर सीधा दरगाह पर जा पहँुचा। उसने वहाँ अगरबत्ती लगाई और नमाज की मुद्रा में सलाम करने बैठ गया। उसी समय पीछे से आकर किसी ने उसे जकड लिया। ...और पढ़ेजान रहा था यही होगा। कुछ ही क्षणों में उसने अपने आपको कैदखाने में पाया उसे स्वास लेने में कष्ट का अनुभव हो रहा था सीड़न की बदबू से उसका मस्तिष्क फटा जा रहा था। अंधेरे कमरे में कुछ भी नहीं सूझ रहा था। उसके हाथ पाँव बंधे थे, और वह हिल डुल भी नहीं पा रहा था सो अभी पढ़ो मूर्ति का रहस्य - 6 297 744 मूर्ति का रहस्य छः सेठ रामदास की दूती शान्ति कही चाय के बहाने, कही नाश्ते के बहाने बार बार तलघर में आ जाती और लौट कर चन्द्रावती की स्थिति से सेठ जी को अवगत कराती। पंडित कैलाशनारायण शास्त्री को ...और पढ़ेरामदास ने अपने विचारों से अवगत कराया-‘‘पंण्डित जी यह फौजी का लडका मुझे विश्वास योग्य नहीं लगता। बहुत ही चतुर चालाक है । ’’ पंडित कैलाशनारायण ने सेठ रामदास के विचार जानने के उद्धेश्य से पूछा-‘‘और आपकी चन्द्रावती ।’’ ‘‘ वह भी मुझे बदमाश लग रही है । देख नहीं रह,े हमें कैसे कैसे घुमा रही है।’’ रामदास ने कहा अभी पढ़ो मूर्ति का रहस्य - 7 237 624 मूर्ति का रहस्य -सात चन्द्रावती को जैसे ही पास-पढ़ौस के लोगों ने घर में देखा, गाँव भर में शोर हो गया । किले से पहली बार कोई जीवित लौटकर आया है। गाँव के लोग चन्द्रा के हाल चाल जानने ...और पढ़ेघर आने लगे । काशीराम कड़ेरे ने चन्द्रावती से पूछा-‘‘कहो बिटिया ठीक से तो हो ?’’ चन्द्रावती ने उत्तर दिया - ‘‘रमजान भैया की कृपा से सब ठीक है । अब तो वहाँ रमजान भैया सबसे बडे़ भूत बन बैठे हैं । वहाँ सब भूतों को उनकी बातें मानना पड़ती हैं । आप लोग चिन्ता नहींें करें । एक दो अभी पढ़ो मूर्ति का रहस्य - 8 201 510 मूर्ति का रहस्य आठ बिस्तर पर पड़े पड़े रमजान सोच रहा था -‘‘चन्दा की वजह से समय का पता ही नहीं चलता था। उसे गाँव पहुँचाया भी या नहीं । क्या पता उसे यही किसी तलघर में कैद ...और पढ़ेरखा हो?’’ यदि वह गाँव पहुँच गयी तो उसने अपना काम शुरू कर दिया होगा । लोगों के चिŸा से उसने भय के भूत को निकाल दिया होगा । खड खड़ की आहट हुई। रमजान लगा- ये वही लोहे का दरवाजा खड़क रहा है।‘ वह बिस्तर से उठ कर बैठ गया। उसने देखा, विश्वानाथ त्यागी सीढ़ियों अभी पढ़ो मूर्ति का रहस्य - 9 201 579 मूर्ति का रहस्य - नौ: रमजान विश्वनाथ त्यागी के चेहरे के भावों से सब कुछ समझ गया कि श्रीमान को यहाँ भी कुछ समझ नहीं आया तो बोला - ‘‘ क्यों त्यागी जी यहाँ आपकी पुरातत्व वाली जानकारी काम ...और पढ़ेआई ?’’ रमजान ने बिना उत्तर सुने आगे बढकर उस मूर्ति की आँखों में झाँक कर देखा और उस इबारत को कई बार पढ़ा ‘‘ छोटा भाई बडे भाई को मारे तो पावे ।’’ मूर्ति से हट कर रमजान भी उन्हीं के पास आकर खडा हो गया । सेठ राम दास ने अपनी बात रखी - ‘‘ मै तो इन अभी पढ़ो मूर्ति का रहस्य - 10 - समाप्त 195 726 मूर्ति का रहस्य दस: त्यागी और रामदास को मोहरों की तरफ ताकता देख, वहाँ से खिसकने के मनसूबे से रमजान और चंद्रावती तलघर से बाहर निकलने के लिये, सीढ़ियों की तरफ मुड़े। इसी समय उन्हे सीड़ियों पर कुछ ...और पढ़ेसुनाई पड़ीं। विश्वनाथ त्यागी ने गरज कर कहा - ‘‘कोई नीचे आने की कोशिश न करना। अन्यथा उसका वही हाल होगा जो बड़े सेठ का हुआ है।’’ ‘‘चुप वे ऽऽऽ, बड़ा चालाक बनता है, ये रामदास तो निरा मूर्ख है। जो तेरी बातों मे फँस गया। तूने तो उसे ही मार डाला होता। अब तुम सब मजा चखो।’’ अभी पढ़ो अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी કંઈપણ रामगोपाल तिवारी (भावुक) फॉलो