Mery Anku book and story is written by VANDANA VANI SINGH in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Mery Anku is also popular in प्रेम कथाएँ in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
मेरी अंकू - उपन्यास
VANDANA VANI SINGH
द्वारा
हिंदी प्रेम कथाएँ
मै वंदना सिंह बहुत कुछ समझ चुकें होंगे आप मेरे बारे में क्यो मेरी कहानियों से, एक यही जरिया जो आप लोगो से जोड़ रखा आपका ये सहयोग ही है ।जो मुझे कुछ लिखने की पेड़ना मिलती है। फिर नई प्रेम कहानी के साथ मै आप सब से जुड़ रही ये कहानी मेरे बचपन के दोस्त की है, बहुत दिनों तक हमारा कोई बात नहीं हुई जब उसने अपने बारे में बताया तो मुझे लगा कि उसकी कहानी से मै आप लोगो और खुद को कुछ सीखा सकती हूं।वरुण...मैं वरुण जिसने अभी जिंदगी को बस जीना सीखा हो अगर ऐसे
मै वंदना सिंह बहुत कुछ समझ चुकें होंगे आप मेरे बारे में क्यो मेरी कहानियों से, एक यही जरिया जो आप लोगो से जोड़ रखा आपका ये सहयोग ही है ।जो मुझे कुछ लिखने की पेड़ना मिलती है। फिर ...और पढ़ेप्रेम कहानी के साथ मै आप सब से जुड़ रही ये कहानी मेरे बचपन के दोस्त की है, बहुत दिनों तक हमारा कोई बात नहीं हुई जब उसने अपने बारे में बताया तो मुझे लगा कि उसकी कहानी से मै आप लोगो और खुद को कुछ सीखा सकती हूं।वरुण...मैं वरुण जिसने अभी जिंदगी को बस जीना सीखा हो अगर ऐसे
मुझे ये दिन आज याद दिया उसका जन्मदिन 2 फेबुरारी और उसके जवाब मुझे पूरे नौ महीने बाद मुझे उसका जवाब मिला दो अक्टूबर को जैसे वो मेरा इम्तेहा ले रही लेकिन प्यार तो हो चुका जो मुझे ...और पढ़ेहोने नहीं दे रहा था कैसे मै छोड़ जाता उसको कैसे भूल जाता वो जो मेरी सांसों में बस रही थी मेरी घुटन कुछ इस कदर बड जाती जिसे मुझे संभालने के लावा कोई रास्ता नहीं दिख रहा था लेकिन अब मेरी जिंदगी वो पल आ चुका था जिसका इंतजार में मै ने बहुत सी रतो को जाग कर बेचैनी में
अब बेचैनिया एसी हो गई थी हम रोज़ मिले तो भी कम था एसा कैसे जिएंगे कुछ समझ नहीं आ रहा था मै ने कंप्यूटर की पढ़ाई के बहने मिलने लगा और नजदीकियां बढ़ती रही जब ...और पढ़ेट्रैनिंग का स्थान निर्धाित हुआ 16 जून उस दिन बस ओ खुलकर रो नहीं पाई लेकिन आंसू उसकी नजरों में बने रहे वो मेरी आख़िरी मुलाक़ात थी हम घंटे भर इक दूसरे को देखते कब कॉफी काफी ठनडी हो गई हमे प पता ही नहीं चला हम बस देखते रहे एक दूसरे को। मै अगले दिन सामान लेने अपने प्रयोग जो ट्रैनिंग के