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खौफ़...एक अनकही दास्तान - उपन्यास
Akassh Yadav Dev
द्वारा
हिंदी थ्रिलर
*"पार्ट-1"*रात के करीब दस बजे का समय था।हर तरफ खामोशी छाई हुई थी।"आह..... !आह....! मैं कहाँ हूं,मैं कौन हूँ ?!" कोलकाता शहर के आलीशान प्राइवेट सिटी हॉस्पिटल के एक बेड पर पड़ा मरीज धीरे धीरे कराह रहा था....। तीन नर्सें और एक डॉक्टर उसे चकित भाव से देखने लगे। जहां उनकी आंखों में उसे होश में आता देख कर चमक उभरी थीं,वही हल्की सी हैरत के भाव भी उभर आए थे..।वे ध्यान से गोरे चिट्टे, गोल चेहरे और घुंघराले बालों वाले युवक को देखने लगे,जिसकी उम्र तीस वर्ष के आस पास थी। उसके जिस्म पर हल्के नीले रंग का ब्रांडेड सूट था और
*"पार्ट-1"*रात के करीब दस बजे का समय था।हर तरफ खामोशी छाई हुई थी।"आह..... !आह....! मैं कहाँ हूं,मैं कौन हूँ ?!" कोलकाता शहर के आलीशान प्राइवेट सिटी हॉस्पिटल के एक बेड पर पड़ा मरीज धीरे धीरे कराह रहा था....। तीन ...और पढ़ेऔर एक डॉक्टर उसे चकित भाव से देखने लगे। जहां उनकी आंखों में उसे होश में आता देख कर चमक उभरी थीं,वही हल्की सी हैरत के भाव भी उभर आए थे..।वे ध्यान से गोरे चिट्टे, गोल चेहरे और घुंघराले बालों वाले युवक को देखने लगे,जिसकी उम्र तीस वर्ष के आस पास थी। उसके जिस्म पर हल्के नीले रंग का ब्रांडेड सूट था और
डॉक्टर गोयंका एलिना के वीभत्स लाश को देख कर बुरी तरह घबरा गए थे,लेकिन अभी भी उनमे होश बाकी था। वे बोझील कदमों से बाथरूम से बाहर निकले और जेब से अपने मोबाइल को निकलते हुए एक बार पीछे ...और पढ़ेकर बड़े ही अफसोस के साथ, मरी हुई एलिना को देखने लगे। फिर उन्होंने अपने मोबाइल से स्थानीय पुलिस थाने के नंबर में कॉल डायल किया, पर इससे पहले की एक भी रिंग उधर जाती उन्होंने तुरंत ही उस कॉल को कट कर दिया। और कुछ देर तक सोचने के बाद उन्होंने अपने कांटेक्ट लिस्ट में से उस नम्बर को ओपन
प्रिय पाठकजन... कहानी के दोनों भाग को पढ़कर अपना प्यार देने के लिए आप सभी को धन्यवाद। अब तक आपने पढ़ा तीस वर्षीय खूबसूरत रईस नौजवान लड़का एक सड़क हादसे में अपने होश खो चुका है, उसका इलाज़ जिस ...और पढ़ेमें हो रहा है, और पहली ही रात उसके देखभाल का जिम्मा जिस नर्स एलिना को दिया गया था उसी रात उसका खून किसीने बेरहमी से कर दिया। और तो और उसके लाश को भी एसिड में गलाकर ख़त्म भी कर दिया गया। फ़िर दूसरी सुबह उस होश खो चुके युवक के इलाज़ के लिए एक मनोचिकित्सक डॉक्टर डेनियल को
घर आकर अपने बिस्तर पर धम्म से गिरे साहिल का दिमाग एक दम सुन्न पड़ गया था,उसकी समझ में नही आ रहा था की ये सब क्या हुआ...? कुछ देर वो उस घटना के बारे में आंख बंद किये ...और पढ़ेरहा...फिर एक झटके से उसने आंख खोल दी। अचानक उसकी छठी इंद्री सजग हो गई....जो उसे खतरे की घँटी बजने के संकेत दे रही थी। उसके दिमाग मे सबसे पहले यही ख्याल आया,"सुबह जब लिसा की लाश मिलेगी, तो सब कुछ साफ हो जाएगा कि उसके साथ कल रात मैं ही था, फिर पुलिस मुझे अरेस्ट कर जब मेरी हड्डियां
लिसा के मोबाइल के कॉल डिटेल्स से ये साफ हो गया था कि लिसा के फोन पर आने वाला आखिरी कॉल साहिल का ही था,और इन दोनों के ही फोन का उस वक़्त एक ही लोकेशन पर होना इस ...और पढ़ेको और भी पुख्ता कर रहा था कि ,लिसा की हत्या के पीछे और कोई नही बल्कि साहिल ही है।और इस वक़्त इंस्पेक्टर कुंदन सिंह अपने पुलिस जीप में बैठे सेठ हरबंस लाल की कोठी की तरफ ही बढ़ रहे थे।आधे घँटे बाद ही ज़िप टायरों की चीखती हुई आवाज़ के साथ सेठ हरबंस लाल की कोठी के पोर्च पर