jiski laathi uski bhains book and story is written by Vijay Singh Tyagi in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. jiski laathi uski bhains is also popular in फिक्शन कहानी in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
जिसकी लाठी उसकी भैंस - उपन्यास
Vijay Singh Tyagi
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
जिसकी लाठी, उसकी भैंसकहावत तो यह सदा से ही चली आ रही है और यह निरर्थक भी नहीं है । गांव हो या शहर, मानव हो या पशु- हर जगह हमेशा से ही यह कहावत चलती आ रही है कि ' जिसकी लाठी , उसकी भैंस '।जब तक जिसकी लाठी में दम रहता है वह अपनी करनी में कसर नहीं करता। जिसकी जितनी चली, उसने खूब जोता। एक दिन वह भी आता है कि जब उसकी लाठी में घुन लग जाता है और वह कमजोर पड़ती चली जाती है। तो फिर किसी दूसरे की लाठी में शक्ति आ जाती है
जिसकी लाठी, उसकी भैंसकहावत तो यह सदा से ही चली आ रही है और यह निरर्थक भी नहीं है । गांव हो या शहर, मानव हो या पशु- हर जगह हमेशा से ही यह कहावत चलती आ रही है ...और पढ़े' जिसकी लाठी , उसकी भैंस '।जब तक जिसकी लाठी में दम रहता है वह अपनी करनी में कसर नहीं करता। जिसकी जितनी चली, उसने खूब जोता। एक दिन वह भी आता है कि जब उसकी लाठी में घुन लग जाता है और वह कमजोर पड़ती चली जाती है। तो फिर किसी दूसरे की लाठी में शक्ति आ जाती है
लल्लू ने जहान से कहा - ठीक है भैय्या, आज ही देते हैं।जहान ने पैसा लेकर जेब में रख लिया और काॅपी में उनका नाम लिख लिया। फिर उनको साथ लेकर कल्लन और श्यामू के पास गए, लल्लू ने ...और पढ़ेकहा - "अरे श्यामू भैया, प्रधान जी इस रास्ते पर खड़ंजा लगवा रहे हैं। सबसे पांच-पांच सौ रुपए का चंदा इकट्ठा कर रहे हैं। हमने अपने पांच सौ रुपए दे दिए हैं और अब तुम भी अपने पैसे देकर शीघ्र ही गांव में चंदा इकट्ठा करवाने के लिए चलो। खड़ंजा लगने के बाद गांव एकदम स्वर्ग बन जाएगा।"जहान ने उनके भी