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मिडिल बर्थ - उपन्यास
Ajay Kumar Awasthi
द्वारा
हिंदी प्रेम कथाएँ
रात काफी हो चुकी थी ट्रेन अभी अभी प्लेटफार्म में आकर रुकी थी और मैं अपनी बर्थ पर आकर बैठ गया ,मेरी लोवर बर्थ थी । मेरे सामने की मिडिल बर्थ पर एक लड़की बैठी थी,वो अब तक जाग रही थी और नीचे की बाकी सभी बर्थ पर लोग खर्राटे मार रहे थे । वो जाग रही थी और लगातार मुझे घूर रही थी । मैं अपने सोने की तैयारी कर रहा था पर बार बार मेरी नजर उस पर पड़ जाती, वो बेहद खूबसूरत थी और जब वो मुझे देख रही थी तो मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा
रात काफी हो चुकी थी ट्रेन अभी अभी प्लेटफार्म में आकर रुकी थी और मैं अपनी बर्थ पर आकर बैठ गया ,मेरी लोवर बर्थ थी । मेरे सामने की मिडिल बर्थ पर एक लड़की बैठी थी,वो अब तक जाग ...और पढ़ेथी और नीचे की बाकी सभी बर्थ पर लोग खर्राटे मार रहे थे । वो जाग रही थी और लगातार मुझे घूर रही थी । मैं अपने सोने की तैयारी कर रहा था पर बार बार मेरी नजर उस पर पड़ जाती, वो बेहद खूबसूरत थी और जब वो मुझे देख रही थी तो मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा
मिडिल बर्थ पार्ट - 2 जमशेदपुर जाना मेरे लिए मुश्किल नही था । लेकिन मैं वहाँ जा नहीं पा रहा था कारण मेरी अपनी रोजगार के सम्बंध में व्यस्तता थी ...और पढ़ेएक जवां दिल प्यार के लिए किस कदर तड़फने को मजबूर हो जाता है मुझे शैल से मिलने के बाद महसूस हुआ । उससे मिलने की बेताबी मुझे वर्तमान में रहने नही देती थी । मैं नित नई कल्पनाओं में खोया रहता, उससे प्यार के रंग बिरंगे सपने देखा करता और उसके ख्यालों में डूबा रहता । और एक दिन आखिरकार अपना बेताब दिल लिए मैं जमशेदपुर
मंदिर में भगवान के दर्शन के बाद हम वहीं पास के गार्डन की बेंच पर बैठ गए । गार्डन वाकई बहुत सुंदर था । और बहुत बड़ा भी जहाँ दूर दूर बहुत से प्रेमी जोड़े पास पास बैठे नजर ...और पढ़ेरहे थे । कुछ परिवार वाले अपने बच्चों के साथ पिकनिक मना रहे थे । कुछ बच्चे खेल रहे थे। बातों का सिलसिला आगे बढ़ाते हुए मैंने उत्सुकता से पूछा क्या आपने नावेल पूरा पढ़ लिया ? उसने कहा "हाँ " मैंने कहा कि आखिर उसका अंत कैसा रहा ? उसने कहा " इस कहानी का अंत दुःखद भी था
मिडिल बर्थ पार्ट 4 आज मैं उसके घर पर था । उनका घर बहुत सुंदर था । सामने आंगन में हरियाली थी आम का पेड़ था और बहुत से गमलों से आंगन सजा था । मैंने बेल बजाई उसने ...और पढ़ेदरवाजा खोला, उसे देख कर मैं स्तब्ध हो गया उसके चेहरे से मेरी नज़रे नही हट रही थी । उसकी भी नज़रे मुझपर टिक गई थी कुछ देर में अंदर से आवाज आई ,, कौन है शैल ? उसने कहा मेरे दोस्त हैं माँ जिन्हें बुलाया था, वे आएं हैं,,, फिर उसने मुझे अंदर बुलाकर ड्राइंग रूम में बिठा दिया