Jine ke liye book and story is written by Rama Sharma Manavi in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Jine ke liye is also popular in महिला विशेष in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
जीने के लिए - उपन्यास
Rama Sharma Manavi
द्वारा
हिंदी महिला विशेष
प्रथम अध्याय----------- शोक संवेदना की औपचारिकता के निर्वहन हेतु आसपास के परिचित एवं रिश्तेदार आ-जा रहे थे।सामाजिक रूप से कल रात्रि आरती के पति विक्रम जी का देहावसान हो गया था जो आगरा में अपनी दूसरी पत्नी तथा दो पुत्रियों के साथ रहते थे।आरती का बेटा दीपक अपने पिता के दाह-संस्कार हेतु आज आगरा चला गया था, परन्तु आरती के जाने का तो प्रश्न ही कहां उठता था। हां,बस सामाजिक रूप से नाम को ही तो विक्रम पति रह गए थे क्योंकि कानूनन उनकेे मध्य तलाक नहीं हुआ था इसलिए नाम को ही सही प्रथम आधिकारिक पत्नी तो वह
प्रथम अध्याय----------- शोक संवेदना की औपचारिकता के निर्वहन हेतु आसपास के परिचित एवं रिश्तेदार आ-जा रहे थे।सामाजिक रूप से कल रात्रि आरती के पति विक्रम जी का देहावसान हो गया था जो आगरा में अपनी दूसरी ...और पढ़ेतथा दो पुत्रियों के साथ रहते थे।आरती का बेटा दीपक अपने पिता के दाह-संस्कार हेतु आज आगरा चला गया था, परन्तु आरती के जाने का तो प्रश्न ही कहां उठता था। हां,बस सामाजिक रूप से नाम को ही तो विक्रम पति रह गए थे क्योंकि कानूनन उनकेे मध्य तलाक नहीं हुआ था इसलिए नाम को ही सही प्रथम आधिकारिक पत्नी तो वह
पूर्व कथा जानने के लिए पढ़ें प्रथम अध्याय। दूसरा अध्याय--- आरती दिन भर तो घर के कार्यों में व्यस्त रहती, जब रात को कमरे में ...और पढ़ेतो ऐसा प्रतीत होता कि किसी अजनबी व्यक्ति के साथ रात गुजारने जा रही है।मुँह फेेरकर सोए विक्रम को देखकर बेहद झुंंझलाहट आती।कभी हाल-चाल पूछने की जहमत भी नहीं उठाता।अक्सर हृदय चीत्कार कर उठता कि क्या वह इस घर मेंं केवल सेविका बन कर आई है, क्या सारे कर्तव्य सिर्फ उसके लिए ही हैंं,क्या सिर्फ खाना-कपड़ा देेकर एक पति का कर्तव्य पूर्ण हो जाता है, क्या सिर्फ मांग में सिंदूर
गतांक से आगे.......….... तृतीय अध्याय--------------------------- समय अभी और कुठाराघात करने वाला था।अभी तो आरती के हृदय में धोखे का ख़ंजर आर पार होने वाला था। एक दिन किसी ...और पढ़ेवश देवर आगरा गए।कार्य न पूर्ण हो पाने के कारण सोचा कि भाई के यहाँ रुक जाता हूँ।अतः बिना पूर्व सुुुचना के वे विक्रम के घर पहुुुच गए।दरवाजा खटखटाया तो एक अत्यंत रूपवती महिला ने दरवाजा खोला गले में मंगलसूत्र, मांग में सिंंदूर,पैरों में बिछिया उनके विवाहिता होंंने का प्रमाण दे रहे थे।अचकचा कर राहुल ने पूछा कि यह विक्रम जी ही तो घर है न,मैं उनसे मिलना चाहता
पूर्व कथा जानने के लिए पिछले अद्ध्यायों को अवश्य पढ़ें…. गतांक से आगे……… चतुर्थ अध्याय------------//------- अब तक की जिंदगी में रातें तो कई जागकर काटी थीं, परन्तु इतनी लंबी, काली अंधेरी रात कभी नहीं ...और पढ़ेथी।जब परीक्षा के पहले रात भर जाग कर पढ़ती थी तो माँ नाराज होकर कहती थीं कि रात भर जागने से दिमाग थक जाएगा तो पेपर के समय नींद आने से ठीक से जबाब नहीं लिख पाएगी,परन्तु उसे लगता कि यदि वह सो गई तो याद किया हुआ सब भूल जाएगा। सहेलियों, रिश्तेदारों की शादियों में पूरी रात जागकर पूरे रस्मों-रिवाजों का आनंद उठाना उसे बेहद पसंद था।अपना विवाह
पिछली कहानी जानने के लिए पिछले अध्याय अवश्य पढ़ें। ------ पंचम अध्याय….--------------–-- समय अत्यंत धीमी गति से गुज़रता प्रतीत हो रहा था।जब खुशियां होती हैं तो समय भागता सा प्रतीत होता है, और दुःख ...और पढ़ेबोझिल पल पहाड़ से लगते हैं। एक वर्ष पश्चात हृदयाघात से ससुर जी की मृत्यु अचानक से हो गई, ब्लड प्रेशर के मरीज तो थे ही।हालांकि आरती उनका काफ़ी ध्यान रखती थी, परन्तु मृत्यु पर तो किसी का वश नहीं होता है, जब जहां जिस विधि आनी होती है, आ ही जाती है। पिता के अंतिम संस्कार पर दोनों भाई आए थे।त्रयोदशी के बाद राहुल