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बेस्ट फ्रेंड - उपन्यास
SURENDRA ARORA
द्वारा
हिंदी लघुकथा
बेस्ट फ्रेंड सुरेन्द्र कुमार अरोड़ा (1) 1. चमक अभी निकलेगी क्या ? पूछ क्यों रही है, ये तो रोज का ही रूटीन है। आज रहने दे न यार ! तुझे नहीं जाना क्या ? आज मन नहीं है। लगता है, बैंक - बेलेंस संभल नहीं रहा ? तेरा क्लायंट तो शहर का बहुत असरदार आसामी है। हर रात के बीस हजार और सुना है तुझे प्यार भी करने लगा है। तेरा मूड देख कर ही तुझे छूता है। हाँ ! कह तो ठीक रही है तू पर !
बेस्ट फ्रेंड सुरेन्द्र कुमार अरोड़ा (1) 1. चमक अभी निकलेगी क्या ? पूछ क्यों रही है, ये तो रोज का ही रूटीन है। आज रहने दे न यार ! ...और पढ़े तुझे नहीं जाना क्या ? आज मन नहीं है। लगता है, बैंक - बेलेंस संभल नहीं रहा ? तेरा क्लायंट तो शहर का बहुत असरदार आसामी है। हर रात के बीस हजार और सुना है तुझे प्यार भी करने लगा है। तेरा मूड देख कर ही तुझे छूता है। हाँ ! कह तो ठीक रही है तू पर !
बेस्ट फ्रेंड सुरेन्द्र कुमार अरोड़ा (2) 9. सबक " क्या कर रही हो माँ ?" " कुछ नहीं." " माँ कुछ नहीं का क्या मतलब लूँ ?" " कुछ नहीं मतलब कुछ नहीं, क्या तुम देख नहीं रहीं." " ...और पढ़ेरही हूँ तभी तो मतलब पूछ रही हुँ, मानती हूँ कि पापा को गए अधिक दिन नहीं हुए है.उनके बिना आपके दिन खाली हो गए हैं और रातें वीरान, पापा की कमी दुनिया की कोई नेमत पूरी नहीं कर सकती पर.........! " " पर क्या.....?" " माँ नियति ने मुझसे मेरे पापा को छीन लिया और मुझे डर है कि
बेस्ट फ्रेंड सुरेन्द्र कुमार अरोड़ा (3) 17. बेस्ट फ्रेंड " कार्तिक चलो बेटा, पहले खाना खा लो.बचा हुआ होम वर्क बाद में कर लेना. अपने पापा को भी बुला लो. " मम्मी ने कार्तिक की नोट बुक एक ओर ...और पढ़ेदी, " अरे यह क्या, तूने अभी तक एक भी सम साल्व नहीं किया. मेरे जाते ही ये ड्राइंग बनाने में मस्त हो गया. तेरी पढ़ाई हो या हो घर का कामकाज, सारी जिम्मेदारी मेरी ही तो है. तेरे पापा को तो आफिस से आकर लेपटॉप पर चेस खेलने से ही फुर्सत नहीं है. कभी नहीं सोचते कि मैं भी
बेस्ट फ्रेंड सुरेन्द्र कुमार अरोड़ा (4) 25. आजादी पिता के ऑफिस में आजादी के अवसर पर एक पारिवारिक मिलन का आयोजन किया गया था । पत्नी स्कूल-टीचर होने के कारण अपने स्कूल में व्यस्त थी । इसलिए पापा के ...और पढ़ेआयोजन में कार्तिक को जाना पड़ा ।आफिस में प्रवेश करते ही एक कोने में, जहाँ से जीना शुरू होता था, वहां की दीवार पान की पीकों से लाल हुई पड़ी थी । कार्तिक को थोड़ी सी तीखी गन्ध भी आई । उसकी नाजुक नाक में सुरसुरी होने लगी । " पापा, ये क्या है ? ये दीवार लाल क्यों है