बंद तालों का बदला: - उपन्यास
Swatigrover
द्वारा
हिंदी डरावनी कहानी
पाँचो दोस्त अमृतसर स्टेशन पर उतर रात साढ़े दस बजे उतर चुके थे । पेपर के बाद हुई दो चार छुट्टियाँ ...और पढ़े मज़ा हमेशा ही किसी ऐसे ही कोई घूमने का प्लान बनाकर लिया करते थे। विपुल और विनय को हमशा ज़िन्दगी में कुछ रोमांचक करने की ख़ोज में लगे रहते तभी उन्होंने बाकि दोस्त प्रखर, सुदेश और निशा जोकि सुदेश की गर्लफ्रेंड थी सबको माउंटआबू चलने के लिए ही कहा था पर प्रखर की ज़िद पर इस बार वाघा बॉर्डर देखने का मन था तो अमृतसर पहुंच गए । प्रखर के पापा भी कारगिल की लड़ाई में शहीद हो
पाँचो दोस्त अमृतसर स्टेशन पर उतर रात साढ़े दस बजे उतर चुके थे । पेपर के बाद हुई दो चार छुट्टियाँ ...और पढ़े मज़ा हमेशा ही किसी ऐसे ही कोई घूमने का प्लान बनाकर लिया करते थे। विपुल और विनय को हमशा ज़िन्दगी में कुछ रोमांचक करने की ख़ोज में लगे रहते तभी उन्होंने बाकि दोस्त प्रखर, सुदेश और निशा जोकि सुदेश की गर्लफ्रेंड थी सबको माउंटआबू चलने के लिए ही कहा था पर प्रखर की ज़िद पर इस बार वाघा बॉर्डर देखने का मन था तो अमृतसर पहुंच गए । प्रखर के पापा भी कारगिल की लड़ाई में शहीद हो
निशा ने सारा दिन शॉपिंग की। फ़िर शाम को सारे दोस्त वाघा बॉर्डर पहुँचे । देश की सेना को देख प्रखर को अपने ...और पढ़ेपिता की याद आई । सभी दोस्तों ने उसे गले लगाया और भारत माता की जय और वन्देमान्त्रम के नारे लगाते हुए सभी एक ढाबे में खाना खा रहे थे । रात हुई और घूमते-फिरते पता ही नहीं चला कि कब वक़्त गुज़र गया । और रात के बारह बज गए । जब होटल पहुंचे तो होटल के मालिक ने कहा कि-"आप सभी को रूम खली करना पड़ेगा । क्योंकि पुलिस आयी थी उनके कुछ लोग यहाँ
पसीने से लथपथ प्रखर जैसे ही बरामदे में पहुँचा उसने देखा कि चार पाँच लोग काली-पीली शक्ल वाले लोग बरामदे में घूम रहे है, वह लड़की भी ...और पढ़े थीं । तथा पहले से भी ज्यादा डरावनी लग रही थीं । चेहरा नीला पड़ा हुआ था । उसकी तरफ़ सभी बढ़ रहे थें । ऐसे लग रहा था सब उसके शरीर के अंदर घुस जायेंगे । और वह कुछ नहीं कर पाएंगा। तभी वह ज़ोर से चीखा और वहाँ सो रहे निशा और सुदेश भी जाग गए और भागते हुए नीचे आए और तभी विपुल और विनय हँसते हुए कैमरा लेकर
कहीं यह घर भी भूतिया तो नहीं है । थोड़ा अंदर चलते है अगर यहाँ छुपा जा सकता है तो फिलहाल ...और पढ़े में भी कोई बुराई नहीं है । सभी अंदर के कमरों की तरफ़ चल पड़ते हैं । प्रखर और सुदेश अपने-अपने फ़ोन की लाइट जला कर अँधेरे में चलने की कोशिश करते हैं । जैसे ही एक बंद कमरे का दरवाज़ा खोलते है तो अंदर देखते है कि चारपाई पर एक आदमी लेटा हुआ होता है। उन्हें देखते ही वह जाग जाता हैं उन तीनो को लगता है शायद यह आदमी कोई भूत हो इसलिए जब वो भागने
जहाँ-जहाँ वो भागता जा रहे थें । वही नीचे ज़मीन से सड़े-गले हाथ निकलते जा रहे थें। एक हाथ ने ...और पढ़े का पैर पकड़ लिया । वह ज़ोर से चिल्लाई तो सुदेश ने अपने पैर से मारना शुरू कर दिया। फिर अपने बैग से कोई धारधार चीज़ निकाल उस पैर में चुभो दिया\। तभी पैर छूट गया और फिर दोनों भागने लगे। तभी वही डरावनी शक्लों ने प्रखर को घेर लिया। तभी वही वो जो चोर डरावना आदमी था उसने प्रखर के सामने आकर कहा कि "तुम्हे तो कोई तुम्हारा अपना ही बचा सकता है ।" और प्रखर की तरफ