Dr. Satish Raj pushkrna ji ki laghukathao par mera book and story is written by Kalpana Bhatt in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Dr. Satish Raj pushkrna ji ki laghukathao par mera is also popular in लघुकथा in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
डॉ सतीश राज पुष्करणा जी की लघुकथाओं पर मेरा अभ्यास - उपन्यास
Kalpana Bhatt
द्वारा
हिंदी लघुकथा
डॉ. सतीश राज पुष्करणा ड्राइंग-रूम उमेश बाबू के ड्राइंग-रूम में प्रवेश करते हुए दीनानाथ ने कहा, “उमेश बाबू! ड्राइंग-रूम है तो बस आपका ! इतना सुन्दर, सुसज्जित तथा रख-रखाव वाला | एक-एक खिलौना ऐसा-कि मानो अभी बोल उठेगा |”भर्राई-सी धीमी, बुझी-सी आवाज़ उमेश बाबू के मुँह से निकली, “बोल उठेगा ! पर बोलता नहीं है ! कभी नहीं बोलेंगे ये खिलौने ! छह माह पहले मेरे घर में भी एक खिलौना था, जो बोलता था | तब ये सारे खिलौने बोलते थे| मेरा ड्राइंग-रूम भी औरों की तरह ही था | मेरी पत्नी भी व्यस्त थी | बस, उस खिलौने के जाते
डॉ. सतीश राज पुष्करणा ड्राइंग-रूम उमेश बाबू के ड्राइंग-रूम में प्रवेश करते हुए दीनानाथ ने कहा, “उमेश बाबू! ड्राइंग-रूम है तो बस आपका ! इतना सुन्दर, सुसज्जित तथा रख-रखाव वाला | एक-एक खिलौना ऐसा-कि मानो अभी बोल उठेगा |”भर्राई-सी ...और पढ़ेबुझी-सी आवाज़ उमेश बाबू के मुँह से निकली, “बोल उठेगा ! पर बोलता नहीं है ! कभी नहीं बोलेंगे ये खिलौने ! छह माह पहले मेरे घर में भी एक खिलौना था, जो बोलता था | तब ये सारे खिलौने बोलते थे| मेरा ड्राइंग-रूम भी औरों की तरह ही था | मेरी पत्नी भी व्यस्त थी | बस, उस खिलौने के जाते
अभ्यास क्रम 2जनरेशन गैप अपने पुत्र अरुण को डॉक्टर बनाने के लिए राधे ने रिक्शा चलाते-चलाते जवानी में ही बुढ़ापे को न्योता दे दिया था | क्योंकि उसकी स्वर्गीय पत्नी की हार्दिक इच्छा थी कि बड़ा होकर अरुण डॉक्टर ...और पढ़ेताकि अरुण की तरह अन्य बच्चे मातृहीन न हों|राधे का पसीना रंग लाया| समय आने पर अरुण डॉक्टर बन गया | उसकी शादी भी कर दी गयी | अरुण की पत्नी ने आते ही इच्छा जाहिर की कि इस घर को छोड़कर किसी सुन्दर बंगले में चलें| इससे पर्सनालिटी में भी अंतर पड़ता है | अरुण ने भी सहमती दे दी