addbhut prem book and story is written by Saroj Verma in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. addbhut prem is also popular in प्रेम कथाएँ in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
अद्भुत प्रेम - उपन्यास
Saroj Verma
द्वारा
हिंदी प्रेम कथाएँ
कहीं दूर एक गांव में, शाम का समय,सूरज डूबने जा रहा है,सूरज की हल्की रोशनी से आकाश का रंग गहरे नारंगी रंग का हो गया है, पंक्षियो के झुंड भी दिनभर टहलकर अपने अपन आशियाने की ओर लौट रहे हैं,एक नहर के किनारे ,गन्ने के खेत से खुसर-पुसर की आवाजें आ रही हैं। थोड़ी देर और रूको ना सुलक्षणा, अभी तो आई थी,प्रकाश बोला, अच्छा, थोड़ी देर, पता है,तीन बजे की घंटी बजी थी,दीवार घड़ी में तब की निकली हूं,घर से!जरा अपनी कलाई में बंधी, घड़ी तो देखो कितना बजा रही है,सुलक्षणा बोली। प्रकाश ने देखा, घड़ी शाम के छै
कहीं दूर एक गांव में, शाम का समय,सूरज डूबने जा रहा है,सूरज की हल्की रोशनी से आकाश का रंग गहरे नारंगी रंग का हो गया है, पंक्षियो के झुंड भी दिनभर टहलकर अपने अपन आशियाने की ओर लौट रहे ...और पढ़ेनहर के किनारे ,गन्ने के खेत से खुसर-पुसर की आवाजें आ रही हैं। थोड़ी देर और रूको ना सुलक्षणा, अभी तो आई थी,प्रकाश बोला, अच्छा, थोड़ी देर, पता है,तीन बजे की घंटी बजी थी,दीवार घड़ी में तब की निकली हूं,घर से!जरा अपनी कलाई में बंधी, घड़ी तो देखो कितना बजा रही है,सुलक्षणा बोली। प्रकाश ने देखा, घड़ी शाम के छै
करूणा नहीं मानी, उसने सुलक्षणा की स्थिति से सबको अवगत कराया, मां बाप ने तो अपनी इज्जत बचाने के लिए हां कर दी, लेकिन फतेह सिंह ने करूणा से कहा_____ करूणा ये कैसे हो सकता है, मैंने कभी भी ...और पढ़ेनज़र से उसे नहीं देखा, तुम से वो पन्द्रह साल छोटी है और तुम मुझसे पांच साल छोटी हो,बीस साल का अंतर है,सुलक्षणा और मुझमें। करूणा बोली,जरा सोचिए ठाकुर साहब हमारे आंगन में भी किलकारियां गूंजेगी,इस घर को सम्भालने वाला कोई आ जाएगा। फतेह सिंह बोले, करूणा फालतू की ज़िद मत करो,तुम ही मेरी पत्नी हो और तुम ही रहोगी।
करूणा के जाने के बाद ठाकुर फतेह सिंह बहुत उदास रहने लगे, जीजी बहुत समझाती कि तेरे ऐसे उदास रहने से वो वापस तो नहीं आ जाएगी,तू ठीक से खाता-पीता भी नहीं, ऐसे कैसे चलेगा,तू घर का मुखिया हैं, ...और पढ़ेही ये घर चल रहा है, समझदारी से काम लें। कैसे भूल जाऊं, करूणा को, जीजी,ये मेरे बस में नहीं है,फतेह सिंह बोले। करूणा के जाने के बाद कान्हा का ख्याल पूरी तरह से फतेह सिंह और जीजी ही रखते थे,सुलक्षणा अब भी बच्चे से कटी-कटी रहती,प्यार तो करती थी कान्हा से लेकिन कभी कभी सोचती कि इसी बच्चे के
प्रकाश के आ जाने से सुलक्षणा बहुत ही परेशान हो गई थी और प्रकाश भी उसे वहां देखकर चकित था, उससे अकेले में मिलने के बहाने ढूंढने लगा,सुलक्षणा को ऐसे परेशान देखकर, जीजी ने पूछा ही लिया,क्या बात है?बहु ...और पढ़ेखोई-खोई और इतनी परेशान क्यो दिख रही हो, तभी सुलक्षणा जीजी के गले लगकर रो पड़ी, बोली जीजी मेरा अतीत मुझे जीने नहीं देता, मैं जितना भूलने की कोशिश करती हूं, घूम-फिर कर सामने आ ही जाता है, कहीं कान्हा के रुप में और कहीं............. रुक क्यो गई,अब आगे बोलेगी, जीजी बोली। सुलक्षणा बोली ये जो हमारे घर व्यापारी बनकर