Muje yaad rakhna book and story is written by आयुषी सिंह in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Muje yaad rakhna is also popular in डरावनी कहानी in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
मुझे याद रखना - उपन्यास
आयुषी सिंह
द्वारा
हिंदी डरावनी कहानी
आज ही हरिद्वार से देहरादून आया हूँ। सच में देहरादून की खूबसूरती के बारे में जितना सुना है उससे कहीं ज्यादा खूबसूरत जगह है यह। रास्ते भर प्रकृति की सुंदरता देखता आया पर यहाँ इस पुलिस क्वार्टर में देख रहा हूँ कि सारा सामान बिखरा पड़ा है और सफर की वजह से एक भी सामान रखने का मन नहीं हो रहा है यूँ तो मेरे सारे काम करने के लिए रामू काका हैं पर अपने कुछ काम तो करने ही हैं, खैर अब तो आदत सी हो गई है सामान रखने और समेटने की। क्या करें एस. पी. की जॉब
आज ही हरिद्वार से देहरादून आया हूँ। सच में देहरादून की खूबसूरती के बारे में जितना सुना है उससे कहीं ज्यादा खूबसूरत जगह है यह। रास्ते भर प्रकृति की सुंदरता देखता आया पर यहाँ इस पुलिस क्वार्टर में देख ...और पढ़ेहूँ कि सारा सामान बिखरा पड़ा है और सफर की वजह से एक भी सामान रखने का मन नहीं हो रहा है यूँ तो मेरे सारे काम करने के लिए रामू काका हैं पर अपने कुछ काम तो करने ही हैं, खैर अब तो आदत सी हो गई है सामान रखने और समेटने की। क्या करें एस. पी. की जॉब
" मुझे याद रखना " इतना कहकर वह गायब हो गई और यह सुनते ही मैं बुरी तरह से काँपने लगा और उस घने अंधेरे में भी मेरी आँखों के आगे अंधेरा छा गया और मैं बेहोश हो गया। ...और पढ़ेहोश आया तो देखा कि मैं हॉस्पीटल में हूँ और सामने अमन और रागिनी खड़े हुए हैं, मेरे बगल वाले बैड पर अर्जुन सोया हुआ है और उसके पैर पर प्लास्टर लगा हुआ है। मैंने अमन से पूछा " अर्जुन ठीक है न? और मुझे क्या हो गया था और वो कहा गई? " तो अमन बोला " सर अर्जुन
अब मेरी हालत ऐसी थी कि कमरे में मैं रुक नहीं सकता था और बाहर मैं जा नहीं पा रहा था, दरवाजा अभी तक नहीं खुल रहा था। कल के सफर और आज की थकान के कारण कुछ देर ...और पढ़ेमैं करवट करके सो गया। 3 बज रहे थे जब दोबारा मेरी किस्मत मेरे साथ खेलने लगी। मुझे लगा जैसे कोई मेरे पीछे बैठा है, पर जब मेंने पीछे मुड़कर देखा तो कोई भी नहीं था। मैं दोबारा लेट गया और सोचने लगा आखिर मैंने इस चुड़ैल का क्या बिगाड़ा है जो यह हाथ धोकर मेरे पीछे पड़ गई है।
वह चुड़ैल हवा में उड़कर मेरी कार के बोनेट पर बैठ गई और बिना देर किए उसने काँच तोड़ दिया और एक झटके में ड्राइवर का सिर धड़ से अलग कर दिया, और फिर एक ही झटके में उसके ...और पढ़ेकी एक एक बूँद पी गई। इतना सब देखने के बाद मैं जड़ हो गया था, मैंने सोचा आज तो मेरा मरना तय है और अगर आज मरना ही है तो क्यों न बचने की आखिरी कोशिश कर लूँ। यह सोचकर मैंने मंदिर की तरफ भागना शुरू किया और अब मुझे मंदिर न सिर्फ दिख रहा था बल्कि मैं मंदिर
अचानक से मेरेे फोन पर कॉल आया.....पुजारी जी का फोन था..... मैंने रिसीव किया तो वो बोले " बेटा मैंने महात्मा जी से तुम्हारे बारे में बात कर ली है उन्होने कहा है कि जितने भी लोगों को उस ...और पढ़ेने देखा है, सब जल्द से जल्द आ जाओ। " " ठीक है पुजारी जी मैं सबके साथ आता हूँ। "मैंने फोन रखा और सबको बता दिया कि " हम सबको आज ही देहरादून के लिए निकलना होगा। "मैंने इतना कहा ही था कि मेरे हाथ में बहुत तेज दर्द हुआ और खून निकलने लगा जैसे किसी ने कील चुभा