main samay hun book and story is written by Keval in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. main samay hun is also popular in लघुकथा in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
में समय हूँ ! - उपन्यास
Keval
द्वारा
हिंदी लघुकथा
रुको राजन ,क्या तुम अक्षरवंशिका के सम्राट अभय हो ?"
"कौन हो तुम , ओर हमारे पथ में आकर हमें नाम से बुलाने का दंड जानते हो ?"
"तुम्हारा क्रोध ही तुम्हारे निर्दोष पुत्र कि जान लेगा"
"अपना मुख बंद करो मूर्ख ,हमे मृत्युदंड देने पर विवश मत करो"
"और तुम्हारी मृत्यु का कारण तुम्हारी बेटी राजकुमारी चंद्रवती होगी।"
"सैनिको ,बंदी बना लो इस दुष्ट को"
"दिखावे का क्रोध बंद करो राजन ओर 3 कदम पीछे हो जाओ अन्यथा हमे एक राजा को लात मारनी पड़ सकती है"
रुको राजन ,क्या तुम अक्षरवंशिका के सम्राट अभय हो ?"
"कौन हो तुम , ओर हमारे पथ में आकर हमें नाम से बुलाने का दंड जानते हो ?"
"तुम्हारा क्रोध ही तुम्हारे निर्दोष पुत्र कि जान लेगा"
"अपना मुख ...और पढ़ेकरो मूर्ख ,हमे मृत्युदंड देने पर विवश मत करो"
"और तुम्हारी मृत्यु का कारण तुम्हारी बेटी राजकुमारी चंद्रवती होगी।" "सैनिको ,बंदी बना लो इस दुष्ट को"
"दिखावे का क्रोध बंद करो राजन ओर 3 कदम पीछे हो जाओ अन्यथा हमे एक राजा को लात मारनी पड़ सकती है"
गुप्तचर : "महाराज हमे लगता है ये कोई चाल है दुश्मन राज्य के राजाओं की। आपका जीव बचाकर आपका विश्वास जीता ओर महल में घुस गया जो किसी गुप्तचर के लिए बहुत कठिन वस्तु है किसी भी महल की ...और पढ़ेको पार कर पाना।
दूसरा गुप्तचर : " महाराज ! हो सकता है वो तीर उसकी चाल का एक भाग हो आपका विश्वास जितने के लिए। अन्यथा उसे कैसे पता की शिकारी का छोड़ा हुआ बाण आपको ही लगेगा।"
सेनापति : "में गुप्तचर की बात से सहमत हूं महाराज "
(अबतक : अपरिचित श्रीमान के भड़काऊ शब्दो से महाराज क्रोधित हो कर उसे बंदी बनाने का आदेश देते है। फिरसे सभा आगे बढ़ती है राज दरबारी अपनी अपनी राय देते है । कोई उसे मायावी राक्षस तो कोई उसे ...और पढ़े, कोई दुश्मनी राजाओका महाराज अभयवंशी के खिलाफ षड्यंत्र का अनुमान लगता है। मगर राजगुरु को लगता है यह कोई साधारण मनुष्य से परे है। मगर सच किसीको पता नही होता। ( मानसिक रूप से थके महाराज मंदिर के सामने भगवान से उपाय मांगते है तभी सैनिक आकर महाराज को बताता है की वह आदमी बस यही वाक्य दोहरा
(अब तक : महाराज अपरिचित को मिलने कैदखाने में जाते है इस मक्सद से की उसे मिलेंगे उतर उस बात के जो उसे चाहिए थे मगर हुआ कुछ ऐसा की राजा की मुश्केलिया कई गुना बढ़ गई। उस अनजान ...और पढ़ेभविष्यवाणी करदी थी कि आज रात्रि को उसका राज्य संकट में है । दूसरी ओर महाराज की खीर में ज़हर मिलता है व सैनिको के विद्रोह की सूचना प्राप्त होती है। महाराज के ऊपर काले बादल मंडरा चुके है )अब आगे : जैसे कि महाराज के ऊपर ओर संकट आने वाले हो वैसे ही एक सैनिक भोजनखण्ड
(अबतक : अक्षरवंशिका के राजा अभयराज के गुप्तचर बंदी बना लिए गए है। गुप्त सूचनाए प्राप्त करनेके सारे स्रोत बंध हो गए है। अपरिचित महाराज को समजाता है कि उसके गुप्तचर सहीसलामत है। मध्यरात्रि को होने वाले युद्ध की ...और पढ़ेबना ली जाती है और वैसा ही हो रहा है जैसी युद्धनीति बनाई गई थी। दुश्मन सेना के घोड्सवर के घोड़े गीली मिट्टी में फिसल रहे है। ऊपर से राजन की सेना तीर से पीछे आ रहे बाणवीर को विन्ध रहे है जबकि उसे आगे चल रहे घोड्सवार को चाहिए था। सामने से अति प्रकाशित रोशनी धनुष की सेना