Bhayankar Yaad book and story is written by Sohail K Saifi in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Bhayankar Yaad is also popular in डरावनी कहानी in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
भयंकर याद - उपन्यास
Sohail K Saifi
द्वारा
हिंदी डरावनी कहानी
हमारे छोटे से जीवन मे कितनी ही घटनाए घटित हो जाती हैँ जिनसे हमें कुछ गहरी बिखरी यादें मिल पाती हैँ यादें भी बड़ी अजीब होती हैँ कुछ कड़वी तो कुछ मीठी और कुछ तो बड़ी ही विचित्र भयंकर रूप मे हमारे मन मे बसी होती हैँ सभी यादों का अपना अलग महत्व होता हैँ जैसे अच्छी यादें हमारे जीवन को सुखद बनाती हैँ तो वही बुरी यादें हमें सिख दिलाती हैँ सम्भलना सीखा जाती हैँ कुछ यादें दुख से भरा आनंद का अनुभव कराती हैँ कुछ संसार की
हमारे छोटे से जीवन मे कितनी ही घटनाए घटित हो जाती हैँ जिनसे हमें कुछ गहरी बिखरी यादें मिल पाती हैँ यादें भी बड़ी अजीब होती हैँ कुछ कड़वी तो कुछ मीठी और कुछ तो बड़ी ही विचित्र भयंकर ...और पढ़ेमे हमारे मन मे बसी होती हैँ सभी यादों का अपना अलग महत्व होता हैँ जैसे अच्छी यादें हमारे जीवन को सुखद बनाती हैँ तो वही बुरी यादें हमें सिख दिलाती हैँ सम्भलना सीखा जाती हैँ कुछ यादें दुख से भरा आनंद का अनुभव कराती हैँ कुछ संसार की
खेर कईसे तइसे हम लोगन ने वहाँ का करीब करीब आधा काम पूरा कर दिया था के एक रात किसी बात पर हमरी साथियो से मुँह जोरी हो गई मैं और छुटकू एक तरफ और बाकी सब एकइ ...और पढ़ेमे होगये थे खुन्दक मे छुटकू और हम रसोई मे अकेले सोने लग गये रसोई का किवाड़ भी भीतर से बंद कर लिया हम दोनों लोगन के पैर किवाड़ की ओर थे आधी रात को हमें छुटकू की सिसकियाँ और पुकारो की आवाज आई तो हम उठ बैठे छुटकू ने रोते हुए बोला भईया देखो ना कमीनो ने कैसा मजाक किया हैँ पैर
ये सब से हमलोगन को भुतबाधा की संका तो होवत थी मगर पक्का यकीन ना आवत था इत्तीफाकन से ऊ माँ बेटी मे आज बेटी ही रोटी हंडिया करन आई और हम सभी ने उसको घेर कर रात की ...और पढ़ेबता दी ओर उसको जोर देकर पूछन लगे के यहाँ क्या गड़बड़ हैँ बड़ी खुशामद के बाद वो जा के बोली के बहुत सालो पहिले इस मकान मे एक चौकीदार रहता था उसकी एक फुल सी बच्ची और एक सुन्दर पत्नी थी वैसे तो चौकीदार भला मानस था मगर उसमे शक करने की बड़ी गन्दी आदत थी आये दिन अपनी जोरू को