Nadan Dil book and story is written by Divya Sharma in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Nadan Dil is also popular in फिक्शन कहानी in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
नादान दिल - उपन्यास
Divya Sharma
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
"वक्त किसी के लिए नहीं रुकता स्वप्निल।"हाँ निशा!सच में वक्त से बड़ा बेवफा कोई नहीं।"निराशा से स्वप्निल ने आह् भरी।एक खामोशी पसर गई दोनों के बीच।श्वेत धवल चाँदनी में निशा आँखों को भिगोती...सुबकती रही।स्वप्निल उसे तसल्ली देना चाहता था लेकिन हाथ रूक जाते।आँसुओं के वेग को अपने अंदर रोका हुआ था पता नहीं कब सैलाब बन उमड़ पड़े।"यह अंतिम मुलाकात होगी हमारी..........।"......."कुछ कहोगे नहीं!"वह बोली।"सिर्फ इतना कि बहुत प्यार करता हूं तुम्हें।"कह निशा को सीने से लगातार वह फफक पड़ा।दोनों के क्रंदन से शांत झील भी बेचैन हो रही थी।एक अजीब सा शोर था।"इस समय को रोक लो ना!रोक लो
वक्त किसी के लिए नहीं रुकता स्वप्निल। हाँ निशा!सच में वक्त से बड़ा बेवफा कोई नहीं। निराशा से स्वप्निल ने आह् भरी।एक खामोशी पसर गई दोनों के बीच।श्वेत धवल चाँदनी में निशा आँखों को भिगोती...सुबकती रही।स्वप्निल उसे तसल्ली ...और पढ़ेचाहता था लेकिन हाथ रूक जाते।आँसुओं के वेग को अपने अंदर रोका हुआ था पता नहीं कब सैलाब बन उमड़ पड़े। यह अंतिम मुलाकात होगी हमारी..........। ....... कुछ कहोगे नहीं! वह बोली। सिर्फ इतना कि बहुत प्यार करता हूं तुम्हें। कह निशा को सीने से लगातार वह फफक पड़ा।दोनों के क्रंदन से शांत झील भी बेचैन हो रही थी।एक अजीब सा शोर था। इस समय को रोक लो ना!रोक लो
पता नहीं क्या सुलग रहा था उसके अंदर।वह खामोशी से वैन की खिड़की से बाहर देखने लगी।कुछ दूरी पर कुछ बच्चों भीड़ में शूटिंग देखने के लिए खडे नजर आए।उन्हें निहारती मेघना को जैसे कुछ याद आया और वह ...और पढ़ेखींच कर सीट पर पसर गई।हर कश के साथ कुछ जला रही थी।हर बार धुंए के साथ अंदर की तपिश बाहर निकाल देती।धुएं के छल्ले बनाते उन उड़ते हुए छल्लों मे खुद को देख रही थी मेघना।सरपट दौड़ती हिरनी सी….ढलान पर उतरती अलहड़ सी मेघा….“ओ मेघा....!तेरी माँ बुला रही है।”सुंदर ने आवाज दी।“आती हुँ भाई...! हाथ में समेटे हुए कुछ बेर....मुठ्ठी
स्वप्निल मुझे डर लग रहा है अगर घरवालों को पता चल गया कि हम जिंदा है तो जिंदा जला देंगे हमें।"भयातुर हो लावण्या ने कहा।"ऐसा कुछ नहीं होगा मुझ पर भरोसा तो है ना!"उसके चेहरे को अपने हाथों में ...और पढ़ेस्वप्निल ने कहा।"हाँ!"अपनी आँखों में चिंता को छिपाती वह बोली।उसके चेहरे पर अपने चेहरे को झुका कर स्वप्निल ने माथे पर एक चुंबन दे दिया।दोनों की धड़कनें बढने लगी।होंठ दहक रहे।स्वप्निल के होंठ लावण्या के होंठों छूने लगे।वह शरमा कर हट गई।"क्या हुआ लावण्या?""कुछ नहीं।""फिर ऐसे दूर क्यों चली गयी करीब आओ ना!""नहीं स्वप्निल।यह नजदीकी हमें रूसवा कर देगी।अभी हमारी