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हक है सिर्फ मेरा - उपन्यास
simran
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
एक नई कहानी , नए किरदार बस प्यार वही जो हर किसी के नसीब में नहीं !
अब इस कहानी में प्यार की कोई जगह है या नही ये जानने के लिए हम एक सफर शुरू करते है " हक है सिर्फ मेरा "
वार्ष्णेय विला .....
मुंबई का सबसे बड़ा रिच विला , जहा पर सिर्फ दो फ्लोर थे । फर्स्ट फ्लोर पर स्विमिंग पूल था , जिम, थियेटर और किचन था और साथ ही लेफ्ट में एक स्टडी रूम जो किसी लाइब्रेरी से कम नही थी ।
तो वही सेकंड फ्लोर पर सिर्फ दो रूम्स थे एक गेस्ट रूम और एक मैन बेडरूम ,
वार्ष्णेय विला को बहुत अच्छे से डिजाइन किया गया था बिल्कुल मॉडर्न तरीके से । लेकिन बाहर से भी उतना ही स्टाइलिश और मॉडर्न था ।
हक है सिर्फ मेरा ........एक नई कहानी , नए किरदार बस प्यार वही जो हर किसी के नसीब में नहीं !अब इस कहानी में प्यार की कोई जगह है या नही ये जानने के लिए हम एक सफर शुरू ...और पढ़ेहै " हक है सिर्फ मेरा " वार्ष्णेय विला .....मुंबई का सबसे बड़ा रिच विला , जहा पर सिर्फ दो फ्लोर थे । फर्स्ट फ्लोर पर स्विमिंग पूल था , जिम, थियेटर और किचन था और साथ ही लेफ्ट में एक स्टडी रूम जो किसी लाइब्रेरी से कम नही थी ।तो वही सेकंड फ्लोर पर सिर्फ दो रूम्स थे एक
तभी दूसरी तरफ से एक औरत की आवाज आती है : क्या तुम मेरी एक बार बात सुनोगी ! तुम्हे कल एयरपोर्ट नही जाना है सीधा मेरे घर आना है । वो विघ्न वार्ष्णेय ने मना कर दिया है ...और पढ़ेएयरपोर्ट से लाने से । तुम कल सुबह ही आ जाना । हम कुछ जरूरी बाते करेंगे यहां।वो औरत इतना ही कहती है और झट से फोन को कट कर देती है ।वही आहुति गुस्से से ; क्या ड्रामा लगा रखा है । दिमाग ही खराब कर दिया है सुबह से ।अब आगे !कुछ देर बाद .....आहुति एक छोटे से
अगली सुबह ; आहुति जेसे ही अपने घर से बाहर जाने लगती है वैसे ही विश जी रोकते हुए : ए लड़की .... सुबह सुबह कहा जा रही है अब ! आहुति जेसे ही घर से बाहर कदम रखने ...और पढ़ेहै तो उसे विष जी की आवाज सुनाई देती है अगले ही पल वो गुस्से से चिढ़ते हुए विष जी की तरफ देखती है : आपको पता है जैसा आपका नाम है ना वैसी ही आपकी जुबान है । मै जब भी कोई काम करने जाति हू और जो आप टोकती है ना पीछे से उस दिन सारे काम मेरे
आहुति बिना सोचे समझे हा में सिर हिला देती है : ठीक है वो मुझे फरक नही पड़ता बस आप मुझे मेरे पैसे टाइम से देते रहना ! जानवी जी हा में सिर हिला देती है और अगले ही ...और पढ़ेधीरे से : तुम्हे मेरी बेटी की जगह लेनी है जो उस घर की होने वाली बहु है । और एक बात ; कल डिनर है तुम्हारे होने वाले ससुराल में तो कल शाम को यहां आना । मै तुम्हे सब समझाऊंगी । ठीक है ।आहुति बस हा में सिर हिला देती है ।आपकी बेटी का नाम क्या है ?
आहुति जेसे ही पीछे मुड़ कर देखती है तो वहा पर एक लड़का खड़ा था । जो काफी हैंडसम था । उसने इस वक्त डार्क ग्रे कलर का थ्री पीस सूट पहना था ।उसका फेयर कलर , मस्कुलर बॉडी ...और पढ़ेचेहरे पर हल्की से बीयर्ड। तभी वो लड़का सेल्समैन से कहते हुए : सुना नही तुमने मेने क्या कहा ये ड्रेस पैक करो ये mr वार्ष्णेय की होने वाली वाइफ के लिए है ! आहुति उस लड़के को गुस्से से देखते हुए : लगते तो आप एलिगेंट है , अच्छे खासे हैंडसैम है , फिर भी आपको तमीज नहीं है