Baarish, Chaai aur Tum book and story is written by सिद्धार्थ रंजन श्रीवास्तव in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Baarish, Chaai aur Tum is also popular in प्रेम कथाएँ in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
बारिश, चाय और तुम - उपन्यास
सिद्धार्थ रंजन श्रीवास्तव
द्वारा
हिंदी प्रेम कथाएँ
"अरे यार अब ये चीनी का डिब्बा कहाँ रखा है? नीलू ने जाने कहाँ रखा है? फ़ोन मिला कर फिर से पूछना पड़ेगा।" आकर्ष किचन में डब्बो से उलझता हुआ बड़बड़ा रहा था।
अभी आकर्ष जेब में से फ़ोन निकाल कर निलांजना को कॉल करने ही वाला था कि सामने उसे चीनी का डिब्बा दिख गया।
"तुम सब उसके गुलाम हो, "चमचे" हो "चमचे" नीलू का नाम लेते ही खुद ब खुद सामने आ जाते हो। दरअसल तुम सब डरते हो नीलू से। " चाय बनाते बनाते आकर्ष खुद से ही बड़बड़ाए जा रहा था।
कुछ देर में चाय लेकर आकर्ष बालकनी में आ कर बैठ जाता है और बारिश की बूंदो को निहारता हुआ चाय की चुस्की लेने लगता है।
"वाह Mr. आकर्ष, नॉट बैड हाँ। नीलू जितना बढ़िया न सही लेकिन उसका एक चौथाई तो बना ही लेते हो तुम भी।" आकर्ष अकेले में खुद की पीठ थपथपा रहा था।
"अरे यार अब ये चीनी का डिब्बा कहाँ रखा है? नीलू ने जाने कहाँ रखा है? फ़ोन मिला कर फिर से पूछना पड़ेगा।" आकर्ष किचन में डब्बो से उलझता हुआ बड़बड़ा रहा था।अभी आकर्ष जेब में से फ़ोन निकाल ...और पढ़ेनिलांजना को कॉल करने ही वाला था कि सामने उसे चीनी का डिब्बा दिख गया।"तुम सब उसके गुलाम हो, "चमचे" हो "चमचे" नीलू का नाम लेते ही खुद ब खुद सामने आ जाते हो। दरअसल तुम सब डरते हो नीलू से। " चाय बनाते बनाते आकर्ष खुद से ही बड़बड़ाए जा रहा था।कुछ देर में चाय लेकर आकर्ष बालकनी में
आकर्ष बाहर आ कर देखता है बादल बहुत घने हो चुके होते हैं और हवा भी काफ़ी तेज़ चल रही होती है, बारिश किसी भी पल शुरू हो सकती थी।आकर्ष को बहुत ज़ोर की भूख भी लगी होती है ...और पढ़ेवो सोचता है अगर बारिश शुरू हो गयी तो वो भीग जायेगा। जब वो घर से निकला था तो मौसम बिलकुल साफ था इसलिए उसने रेन कोट या छाते के बारे में सोचा भी नहीं था। उसने अब ऑटो ढूढ़ना शुरू किया ताकि बारिश शुरू होने से पहले वो ऑटो में बैठ जाये और उस बेकार बारिश में उसे भीगना
"आपके हाथ में ये जो फोल्डर है उस पर आप का नाम लिखा है और फोल्डर देख के कोई भी अंदाजा यही लगाएगा की आप इंटरव्यू दे कर आ रहे हैं।" उस लड़की ने एक प्यारी सी मुस्कान के ...और पढ़ेआकर्ष से पूछा "ओह्ह.. हाँ इंटरव्यू ठीक था, बाद में बताने को कहा है।" आकर्ष ने जवाब दिया, "आपका क्या नाम है?" डरते डरते आकर्ष ने पूछ ही लिया "निलांजना.. निलांजना सक्सेना।" उस लड़की ने जवाब दिया "निलांजना, wow.. बहुत प्यारा नाम है।" आकर्ष ने तारीफ में कहा "थैंक्स।" निलांजना ने उसका अभिवादन किया उसके बाद दोनों कुछ देर चुप
"मथुरा, मैं मथुरा में रहता हूँ। कल रात की ट्रेन है मेरी।" आकर्ष ने जवाब दिया "मथुरा? अरे वाह। मैं भी आगरा की रहने वाली हूँ, मतलब हम पहले वहाँ रहते थे पर अब दिल्ली में ही रहते हैं। ...और पढ़ेमम्मी और पापा अभी भी ज्यादा तर समय आगरा में ही गुजारते हैं। पापा का बिज़नेस दिल्ली और आगरा दोनों जगह है और उन्हें दिल्ली ज्यादा पसंद नहीं है।" निलांजना एक साँस में बोलती गयी "अच्छा, ये तो बड़ी अच्छी बात है।" आकर्ष ने कहा "क्या अच्छी बात है? तुम्हे कल रात को जाना है और मिलने का समय नहीं