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काला जादू - उपन्यास
roma
द्वारा
हिंदी थ्रिलर
हावड़ा के एक अस्पताल के मध्मम आकार के सफेद कमरे में बेड पर एक लगभग 26-27 साल का गेहुँए रंगत का शख्स जिंदगी और मौत से जूझ रहा था , उस बेड के दाईं तरफ एक सफेद मैडिसिन टेबल थी और बाईं तरफ एक काली स्टील की कुर्सी । उस बेड के ठीक पीछे कुछ स्विच लगे हुए थे, उन्हीं स्विच के साथ में एक छोटा सा पारदर्शी आॅक्सीजन ट्यूब लगा हुआ था, उस आॅक्सीजन ट्यूब से एक पतली तार लगी हुई थी जो कि एक पारदर्शी मास्क के साथ लगी हुई थी , वह आॅक्सीजन मास्क उस शख्स के मुँह पर लगा हुआ था , उसके शरीर पर काफी जख्मों के निशान थे जिनमें से कई पुराने थे तो कई नए ,उसके सिर पर एक पट्टी बंधी हुई थी , उसके बाएं हाथ की नस में टेप की सहायता से एक ड्रिप लगाई हुई थी जिसमें एक पतली साइट्रेट ट्यूब ( ग्लूकोज चढ़ाने के लिए इस्तेमाल होने वाली ट्यूब ) लगी हुई थी, वह ट्यूब उसी तरफ लगी हुई स्टील की रोड के ऊपर टंगी एक ग्लूकोज़ की बोतल में लगी हुई थी , जिसमें से ग्लूकोज़ उस ट्यूब की सहायता से उस शख्स की नसों में जा रहा था ।
काला जादू ( 1 )हावड़ा के एक अस्पताल के मध्मम आकार के सफेद कमरे में बेड पर एक लगभग 26-27 साल का गेहुँए रंगत का शख्स जिंदगी और मौत से जूझ रहा था , उस बेड के दाईं तरफ ...और पढ़ेसफेद मैडिसिन टेबल थी और बाईं तरफ एक काली स्टील की कुर्सी । उस बेड के ठीक पीछे कुछ स्विच लगे हुए थे, उन्हीं स्विच के साथ में एक छोटा सा पारदर्शी आॅक्सीजन ट्यूब लगा हुआ था, उस आॅक्सीजन ट्यूब से एक पतली तार लगी हुई थी जो कि एक पारदर्शी मास्क के साथ लगी हुई थी , वह आॅक्सीजन
काला जादू ( 2 )उस लड़की के जाने के बाद अश्विन अब भी अपनी पहले वाली जगह पर खड़ा उसकी बाल्कनी में निहारे जा रहा था मानो वह किसी के वहाँ आने का इंतजार कर रहा हो, लेकिन जब ...और पढ़ेदेर तक भी वहाँ कोई नहीं आया तब वह वापस अपनी किताब पढ़ने लगता है , लेकिन अब उसका ध्यान उसकी किताब में लग ही नहीं रहा था, वह बीच बीच में किताब से नजरें हटा कर उस बाल्कनी की तरफ देखने लगता है। लेकिन वहाँ कोई भी नहीं था , वह बार बार किताब में अपना ध्यान लगाने की
काला जादू ( 3 )इस दौरान अश्विन की नजर विंशती पर पड़ी, नीले सूट में वह बेहद खूबसूरत लग रही थी ।अश्विन और प्रशांत को देखकर विंशती ने एक एक प्लेट में पराठें , अचार ,दही, चटनी और आलू ...और पढ़ेकी सब्जी परोस कर उन दोनों की दी ,उसके बाद वह दोबारा परांठे बनाने लगती है ।"खाओ दादा.... "प्रशांत ने अश्विन से कहा। अश्विन नाश्ता करने के समय नजरे बचा बचा कर विंशती को देख रहा था उसने देखा कि इस दौरान वह चेहरे से बहुत गंभीर लग रही थी ।वह दोनों नाश्ता कर ही रहे थे कि तभी वही
काला जादू ( 4 )यह सुनकर अश्विन कुछ देर के लिए बिल्कुल शाँत रहा वह कभी विंशती को तो कभी उसके साथ आए लड़के को देखता।" क्या हुआ दादा? " प्रशांत ने पूछा। " तुम लोग ज्यादा जल्दी नहीं ...और पढ़ेरहे? आई मीन अभी तो बहुत छोटी है विंशती...... "अश्विन ने कहा। " दादा..... अभी शादी थोड़ी कोरवाया है.... शादी तो पोढ़ाई खत्म होने के बाद ही कोरवाएगा दोनों का..... अभी तो खाली इंगेजमेंट करवाया है.... " प्रशांत ने काॅफी का एक सिप लेते हुए कहा। " बट फिर भी यार...... इन दोनों को अभी से साथ में नहीं घूमना
काला जादू ( 5 )शाम हो चुकी थी इसलिए अश्विन अपना सामान उठाकर आॅफिस से बाहर चल पड़ता है ,वह लिफ्ट तक गया ही था कि पीछे से पीयूष आया और बोला " गुड इवनिंग सर..... "" गुड इवनिंग ...और पढ़े" अश्विन ने कहा। " घार जा रहे थे आप सार? "" नहीं वो घर पर बोर हो जाता हूँ, मुझे ज्यादा मोबाइल चलाना पसंद भी नहीं है इसलिए सोचा कि अपने लिए कुछ किताबें लेता चलूँ ।"" तो हम छोड़ देता हूँ ना अपना बाईक शे..... चोलिए कौन शा बुक श्टोर लेकर चले आपको? "पीयूष ने कहा। " आर