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दो रास्ते - उपन्यास
S Sinha
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
“ आज मौसम बहुत अच्छा है , छुट्टी का दिन भी है . क्या आपको कभी बाहर घूमने का मन नहीं करता है ? दिन रात घर में घुस कर बैठे रहते हैं . आपके सारे दोस्तों का भी यही कहना है . “ एक साथ इतनी शिकायतें रीमा ने अपने पति अमर से कर डाली .
फिर भी अमर खामोश रहा . तब रीमा ने अपने बेटे को आवाज दे कर कहा “ संजू , चल हमलोग पार्क घूमने चलते हैं . “
अमर ने खामोशी तोड़ते हुए कहा “ एक मिनट रुको , हम सभी चलते हैं . तुम भी क्या कहोगी ? “
बड़े बेटे रंजीत ने कहा “ आप लोग घूम आईये . मैं अपने दोस्त के यहाँ जाऊंगा , स्कूल के होमवर्क के बारे में उस से बात करनी है . “
रीमा ने अपने दो साल की बेटी सीमा को गोद में लिया और संजू को कहा “ तुम अपनी बेबी साइकिल ले लो , पार्क में चलाने के लिए बहुत खुली जगह मिलेगी . “
भाग -1 कहानी - दो रास्ते “ आज मौसम बहुत अच्छा है , छुट्टी का दिन भी है . क्या आपको कभी बाहर घूमने का मन नहीं करता है ? दिन रात ...और पढ़ेमें घुस कर बैठे रहते हैं . आपके सारे दोस्तों का भी यही कहना है . “ एक साथ इतनी शिकायतें रीमा ने अपने पति अमर से कर डाली . फिर भी अमर खामोश रहा . तब रीमा ने अपने बेटे को आवाज दे कर कहा “ संजू , चल हमलोग पार्क घूमने चलते हैं . “ अमर ने खामोशी तोड़ते हुए कहा “ एक
भाग - 2 कहानी - दो रास्ते नोट - पिछले अंक में आपने पढ़ा कि अमर और रीमा का बेटा गुम हो जाता है . अमर पुलिस में रिपोर्ट लिखवाता है और सीनियर ...और पढ़ेसे अन्य राज्यों में भी बेटे की तलाश की गुहार लगता है , अब आगे … उधर रीमा का मन पीहर में भी नहीं लग रहा था और वहां भी वह उदास ही रहा करती .कुछ ही दिनों के बाद वह अमर के पास लौट आयी . धीरे धीरे रीमा ने हालात से समझौता कर लिया और अपने दिल का दर्द दिल में ही छुपा कर
भाग -3 कहानी दो रास्ते नोट - पिछले अंक में आपने पढ़ा कि एक तरफ अमर का बेटा गुम हो गया और दूसरी तरफ दूसरे प्रान्त में चोपड़ा परिवार का बेटा विजय ...और पढ़ेगुम हो जाता है , अब आगे ..... अमर के बेटे संजू और चोपड़ा के बेटे विजय दोनों को गुम हुए दो साल से कुछ ज्यादा ही बीत गए . उनके राज्यों को छोड़ कर एक तीसरे राज्य से अमर की पत्नी रीमा को एक सूचना मिली . उसकी एक सहेली गीता ने बताया कि संजू से मिलते जुलते चेहरे वाले एक
कहानी दो रास्ते भाग 4 नोट - पिछले अंक में आपने पढ़ा कि दूसरे शहर में रहने वाली रीमा की एक सखी गीता ने किसी औरत को संजू के साथ देखा था . ...और पढ़ेअपने पति अमर के साथ बेटे की तलाश में वहां जाती है , अब आगे …. उस झोपड़ पट्टी में ज्यादातर दिहाड़ी मजदूर , महरी , ठेले पर फल सब्जी आदि बेचने वाले लोग ही रहते थे . छोटे बड़ों बूढ़ों सभी को संजू की तस्वीर दिखा कर रीमा उस औरत के बारे में पूछती . उन्होंने घंटों काफी देर तक पचासों लोगों से पूछताछ
कहानी दो रास्ते अंतिम भाग - 5 नोट - पिछले अंक में आपने पढ़ा कि अमर और रीमा बेटे की तलाश में गए थे . उनका बेटा संजू मिलता है . इधर चोपड़ा दम्पत्ति का ...और पढ़ेबेटा विजय अभी तक नहीं मिला था और इसी सदमें में मिसेज चोपड़ा की मृत्यु हो गयी , अब आगे …. समय बीतता रहा . उधर सुमित्रा बेटे को खोने के बाद बुरी तरह विक्षिप्त हो गयी थी . इधर उधर सड़कों और गलियों में महीनों से एक ही कपड़े में घूमती फिरती . जहाँ जो भी उसके आगे फेंक देता उसी को खा