विवरण
वो हस्पताल के वेटिंग रूम में कुर्सी पर पीछे सिर टिका कर आंखें बंद कर के बैठी थी।
उसकी आंखों के कोर से आंसू निकल रहे थे। और उसके कंधों को भीगों रहे थे।
उसकी आंखों के आगे एक हफ्ते पहले के सीन चल रहे थे। और वो यही सोच रही थी कि उसकी क्या गलती थी ।
"वो एक लड़की है" क्या यही उसकी गलती है ।वो हर एक शख्स जिस पर वो आंख बंद करके भरोसा करती थी वहीं सब उससे सवाल कर रहे हैं। उस पर शक कर रहे हैं । यहां तक कि उसके मां बाप ने एक शब्द नहीं कहा उसके बचाव में।
क्यूं........... क्यूं आखिर क्यों मैं यहां हूं??? क्यों मुझे जवाब देना होगा ?? जब मैंने कोई गलती नहीं की तो क्यों मैं खुद को साबित करूं?
क्या मेरी स्वाभिमान इतना कमजोर है जो मैं खुद के लिए बोल नहीं सकती। नहीं ,,,,, नहीं,,,, नहीं ,,,,मैं,,,, मैं कोई सफाई नहीं दूंगी । मैं,,,, मैं ,,,,गलत नहीं हूं तो कोई सबूत नहीं दूंगी।