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फ़ेसबुकिया लव - उपन्यास
Kishanlal Sharma
द्वारा
हिंदी प्रेम कथाएँ
न चाहते हुए भी विजय और मीना को अपनी बेटी की जिद्द के आगे झुकना पड़ा।
नीरजा डॉक्टर थी।वह मुम्बई के एक अस्पताल में सर्विस करती थी।दिन में उसे अस्पताल में एक मिनट की भी फुरसत नही मिलती थी।रात को घर आकर ही वह राहत की सांस ले पाती।रोज रात को बिस्तर में लेटने पर वह मोबाइल देखना नही भूलती थी।फ़ेसबुक, ट्विटर,कू आदि सोशल मीडिया पर नज़र नही डाल लेती।तब तक उसे नींद नही आती थी।
एक दिन उसे राहुल की फ्रेंड रिक्वेस्ट मिली।उसने उसका प्रोफाइल चेक किया।राहुल डॉक्टर था।वह ऑस्ट्रेलिया में अस्पताल में सर्विस कर रहा था।वह खुद भी डॉक्टर थी।इसलिए उसने उसकी रिक्वेस्ट स्वीकार कर ली थी।
राहुल से दोस्ती होने के बाद रोज रात को चैट करने लगे।शुरू में औपचारिक बाते ही वे दोनों करते थे।फिर कुछ समय बाद उनमे व्यक्तिगत बाते होने लगी।।वे एक दूसरे को पूरे दिन की बाते बताते समय अस्पताल की बाते भी बताने लगे।छोटी से छोटी बात भी वे आपस मे शेयर करने लगे।किसी किसी रात को तो घण्टों गुज़र जाते थे और उनकी चैट खत्म ही नही होती थी।
न चाहते हुए भी विजय और मीना को अपनी बेटी की जिद्द के आगे झुकना पड़ा।नीरजा डॉक्टर थी।वह मुम्बई के एक अस्पताल में सर्विस करती थी।दिन में उसे अस्पताल में एक मिनट की भी फुरसत नही मिलती ...और पढ़ेको घर आकर ही वह राहत की सांस ले पाती।रोज रात को बिस्तर में लेटने पर वह मोबाइल देखना नही भूलती थी।फ़ेसबुक, ट्विटर,कू आदि सोशल मीडिया पर नज़र नही डाल लेती।तब तक उसे नींद नही आती थी।एक दिन उसे राहुल की फ्रेंड रिक्वेस्ट मिली।उसने उसका प्रोफाइल चेक किया।राहुल डॉक्टर था।वह ऑस्ट्रेलिया में अस्पताल में सर्विस कर रहा था।वह खुद भी डॉक्टर थी।इसलिए
"ऐसा करने की क्या जरूरत है"" जरूरत है।लड़का यहां होता तो भी छानबीन करनी पड़ती।वह ऑस्ट्रेलिया में है तो और भी ज्यादा जरूरत है।जो वो बता रहा है वो सही भी है या नही?"बेटी की वात सुनकर विजय ...और पढ़ेशंका ज़ाहिर की थी।"पापा राहुल जो कह रहा है वो सही है।मैं काफी दिनों से उसके सम्पर्क में हूँ।हम फेसबुक पर एक दूसरे से जुड़े है।बातें भी करते है।,"बेटी नेट की दुनिया रँगीली है।फ़ेसबुक पर जो भी दिखता है वो सब सच नहीं होता।"विजय ने बेटी की बात सुनकर उसे समझाना चाहा था"पापा मैं अब बच्ची नही हूँ।डॉक्टर हूँ।मुझे भी अपने