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पक्षीराज - उपन्यास
Pooja Singh
द्वारा
हिंदी प्रेम कथाएँ
इंसानी दुनिया से अलग है एक दूसरी दुनिया" पक्षीलोक "यहाँ के लोग दिखते तो आम लोग जैसे ही है पर आम इंसान जैसे है भी नही इनका आधा चेहरा पक्षी जैसा है और बड़े बड़े पंख है ।ये लोग अपनी जिंदगी सुकुन से जिते है इन्हे किसी बात की दिक्कत नहीं थी क्योकि पक्षीलोक का "राजा अधिराज "बहुत ही दयालु है जोकि अपनी प्रजा को खुश रखता है।पर अधिराज के जीवन में ही कोई खुशी नहीं थी उसके जीवन के उथलपुथल का कारण है" कालाशौंक "कालाशौंक अधिराज कि दुश्मनी का कारण है अधिराज की मणि (शक्ति मणि और इच्छा मणि )ये
इंसानी दुनिया से अलग है एक दूसरी दुनिया""" पक्षीलोक """यहाँ के लोग दिखते तो आम लोग जैसे ही है पर आम इंसान जैसे है भी नही इनका आधा चेहरा पक्षी जैसा है और बड़े बड़े पंख है ।ये लोग ...और पढ़ेजिंदगी सुकुन से जिते है इन्हे किसी बात की दिक्कत नहीं थी क्योकि पक्षीलोक का "राजा अधिराज "बहुत ही दयालु है जोकि अपनी प्रजा को खुश रखता है।पर अधिराज के जीवन में ही कोई खुशी नहीं थी उसके जीवन के उथलपुथल का कारण है" कालाशौंक "कालाशौंक अधिराज कि दुश्मनी का कारण है अधिराज की मणि (शक्ति मणि और इच्छा मणि )ये
"मुझे माफ करना मेरा ध्यान कही और था "धीरे अधिराज ने कहा" कहॉं देखकर चल रहे थे मिस्टर सारी दवाई गिरा दी "उस लड़की ने कहा " मैं अभी उठा देता हूँ अपनी बहन को ढुंढने के चक्कर में ...और पढ़ेटक्करा गया माफ करना ""कोई बात नही "इतना कहकर वो चली जाती हैं तभी शशांक ने अधिराज से कहा "कहां खो गये पक्षीराज रांजीकी को नही ढुंढना ""ह हां।चलो शशांक यही आसपास ही मुझे रांजी के होने का आभास हो रहा है मुझे लगता है मेरी बहन यही आसपास है चलो""हां!चलो जल्दी राजमाता परेशान हो रही होंगी "काफी समय ढुंढने के बाद
अगली सुबह सतरपूर की राजकुमारी सागरिका आती है "प्रणाम राजमाता !""आओ !राजकुमारी कैसे आना हुआ !"तभी अधिराज आता है "सागरिका !(हैरानी से) इतनी सुबह ""जी !पक्षिराज पिताजी ने वार्षिक उत्सव आयोजित किया है और आपको विशेष रूप से आमंत्रित ...और पढ़ेहै जरुर आईऐ ""नही ...! हम नहीं आ सकते हमें कुछ विशेष कार्य है मां और रांजिकी आ जाऐंगे ..""पर पक्षिराज पिताजी ने विशेष रूप से आपको आमंत्रित किया है""राजकुमारी ज्यादा हट्ट मत कीजिये""ठीक है ! राजमाता आप आ जाईऐगा "इतना कहकर वो चली जाती है "मां ! हम भी शाम तक ही आऐंगे ....शशांक !इनका ध्यान रखना ""ठीक है! अधिराज "अधिराज अपने
अगले दिन अधिराज बिना किसी को बताऐ इंसानी दुनिया में पहुंच जाता है.... उसे तो बस ...आरुषि से मिलने की जल्दी है बस किसी तरह वो आज भी आरुषि से मिल ले पहले तो कुछ बात नही हो ...और पढ़ेथी लेकिन अब जरुर बात करेगा ...! यही सोचते सोचते वो कालेज की तरफ बढ़ रहा था ...जैसे ही वो कालेज में ऐंटर होता है सब लड़कियो का ध्यान उसकी तरफ जाता है ... आखिर क्यूं न जाए अधिराज था ही इतना हैंडसम ,चार्मिंग और तो और कैज्युल लुक ड्रेस अप ,बैक पर गिटार लिए ,होठो पर स्विट स्माइल तो बस सबको
अधिराज वापस अपने महल पहुंचता है और अपना काम पूरा करके अपने कमरे में पहुंचता हैं "। ..नीलदर्पण .... आरुषि को दिखाओ.... ये तो सो गयीा इतनी जल्दी... कोई बात नहीं कल मिलूंंगा इससे ........पता नहीं क्या खास बात ...और पढ़ेइसमेंं पहली नजर में ही अपना बना लिया ....."अगली सुबह अधिराज बिना किसी को बताऐ इंसानी दुनिया में पहुंच जाता है.....कंचन : आरुषि...! अर्जुन तुझे ढुंढ रहा हैं...!आरुषि : कहां है वो ....!कंचन : पार्क में गया हैं अभी ....!आरुषि : ठीक है...!********"" हेलो ..मिस्टर गिटारिस्ट....! """"आरुषि.. मैं तुम्हें ही ढुंढ रहा था..."" हां कंचन ने बताया मुझे ..तुम कब आये