Kanupriya Gupta लिखित उपन्यास जासूसी का मज़ा

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जासूसी का मज़ा द्वारा  Kanupriya Gupta in Hindi Novels
रसोई से सुबह सुबह आती कचोरी और हलवे के घी की खुशबू किसी खास अवसर के होने की गवाही दे रही थी. चटोरों के शहर इंदौर के वैशा...
जासूसी का मज़ा द्वारा  Kanupriya Gupta in Hindi Novels
पार्ट - २ अब तक आपने पढ़ा की “द इगल “ मटर कचोरी और हलवे की खुशबु से महक रहा है और चौधरी दंपत्ति की ज़िन्दगी में ठहराव सा आ...
जासूसी का मज़ा द्वारा  Kanupriya Gupta in Hindi Novels
बैठक में से चौधरी जी की आवाज़ आई "सुनती हो ज़रा बाहर का चक्कर लगाकर आते है" ये कहकर जब चौधरी जी और आनंद घर के बाहर गए तो फ...
जासूसी का मज़ा द्वारा  Kanupriya Gupta in Hindi Novels
चौधरी जी थोड़ी देर बाद घर वापस आए तो क्या देखते है चौधराइन सर पर चुन्नी बांधे एक हाथ माथे पर टिकाए सोफे पर पड़ी है उनने मज...
जासूसी का मज़ा द्वारा  Kanupriya Gupta in Hindi Novels
चौधरी कार्ड का फोटो खीचकर बाद में अच्छे से देखने का मन बनाए बैठे थे और मान बैठे थे की सीमा जी ने कुछ देखा नहीं पर जैसे क...