Vikram Singh लिखित उपन्यास आवारा अदाकार

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आवारा अदाकार द्वारा  Vikram Singh in Hindi Novels
आवारा अदाकार विक्रम सिंह (1) ’’मुश्किलें दिल के इरादे आजमाती हैं, स्वप्न के परदे निगाहों से हटाती हैं। हौसला मत हार गिरक...
आवारा अदाकार द्वारा  Vikram Singh in Hindi Novels
आवारा अदाकार विक्रम सिंह (2) सही मायने में वह सुबह में दिखती ही नहीं थी। क्योंकि वह सुबह देर से उठती थी। दरअसल वो सुबह स...
आवारा अदाकार द्वारा  Vikram Singh in Hindi Novels
आवारा अदाकार विक्रम सिंह (3) उसने कहा, ’’अब तुम दोनों निकल जाओ।’’ वह चुप रहा। बबनी ने ही कहा,’’बस दीदी! थोड़ी देर में चले...
आवारा अदाकार द्वारा  Vikram Singh in Hindi Novels
आवारा अदाकार विक्रम सिंह (4) ’’जी’’ ’’कितना दे रहे हैं?’’ ’’जी बस चार हजार।’’ ’’आप को कितना मिलता है?’ ’हमको पन्द्रह हजा...
आवारा अदाकार द्वारा  Vikram Singh in Hindi Novels
आवारा अदाकार विक्रम सिंह (5) उस पूरे दिन गुरूवंश मुँह लटकाये घूमता रहा। न किसी से बात कर रहा था न ही किसी से मिलजुल रहा...