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तीन औरतों का घर - उपन्यास
Rajni Gosain
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
"गली के कोने में हरे सफ़ेद रंग की मटमैली सी सफेदी लिए जो मकान हैं, वो देखिये जिसके आँगन में ईंट गारे की बनी दीवार से बाहर झांकता बड़ा सा नीम का पेड़ दिख रहा हैं! वहीं मकान हैं फरीदा, जमालो, हामिदा का ये तीनो औरतें उसी घर में रहती हैं!" मौहल्ले का नौ दस साल का लड़का मौलवी साहब को हाथ के इशारे से मकान का पता बताते हुए बोला! "शुक्रिया बच्चे अल्लाह तुम्हें खुश रखे!" मौलवी साहब रुमाल से मुँह का पसीना पोछते हुए बोले! मई की गर्म लू, तेज धूप में पैदल चलकर वो थक चुके
"गली के कोने में हरे सफ़ेद रंग की मटमैली सी सफेदी लिए जो मकान हैं, वो देखिये जिसके आँगन में ईंट गारे की बनी दीवार से बाहर झांकता बड़ा सा नीम का पेड़ दिख रहा हैं! वहीं मकान ...और पढ़ेफरीदा, जमालो, हामिदा का ये तीनो औरतें उसी घर में रहती हैं!" मौहल्ले का नौ दस साल का लड़का मौलवी साहब को हाथ के इशारे से मकान का पता बताते हुए बोला! "शुक्रिया बच्चे अल्लाह तुम्हें खुश रखे!" मौलवी साहब रुमाल से मुँह का पसीना पोछते हुए बोले! मई की गर्म लू, तेज धूप में पैदल चलकर वो थक चुके
तीन औरतों का घर - भाग 2 कही मैं बस सोचता ही रह जाऊं और हामिदा का डोला कोई और ही ले जाए!" साबिर को ये सोचते ही कंपकंपी छूट गई! उस दिन साबिर के दिल को मानो ...और पढ़ेचैन नहीं मिल रहा था! कभी वह दुकान में रखी सुराही से पानी निकालकर गट गट पानी पीने लगता कभी बीड़ी सुलगाने लगता और कभी नुक्कड़ की चाय की गुमटी से चाय मंगाता! उसके दिलो दिमाग पर हामिदा हावी थी! वह सोचता 'कहीं मेरा प्यार एक तरफ़ा तो नहीं! हामिदा के दिल में भी उसके लिए कुछ ख़ास हैं या नहीं!
तीन औरतों का घर - भाग 3 अभी तक साबिर पिछली मुलाक़ातों के गुणा भाग करके ही हामिदा के दिल का हाल समझने की कोशिश कर रहा था! हामिदा भी उसे चाहती हैं या नहीं? इसी उधेड़बुन में दो ...और पढ़ेदिन निकल गए! साबिर के दिन बेचैनी में कटते और रातें हामिदा के ख्याल में! "क्यों न मैं ही हामिदा के घर जाकर उसकी अम्मी और फूफी से निकाह की बात कर लूँ!" यह सोचकर ही उसे पसीना आ गया और पिछले दिनों की बात उसके दिमाग में कौंध गई! दो महीने पहले ही वह हामिदा के घर कढ़ाई के
तीन औरतों का घर - भाग 4 दुनिया जहान की सारी दौलत साबिर के हाथों में थी! जब शफी ने हामिदा का खत साबिर के हाथ में पकड़ाया! कांपते हाथों से साबिर ने खत खोला! खत भी जैसे ...और पढ़ेकी लरजती आँखों ने लिखा हो! केवल एक लाइन ही लिखी थी लेकिन इश्क़े दास्ताँ पूरी कह दी हो! साबिर आपका पैगाम कबूल हैं! तुम्हारे इन्तजार में हामिदा साबिर ने खत को चूम लिया! हामिदा का जवाब पढ़कर साबिर का दिल झूमने लगा था! "भाईजान देखकर तो लग रहा हैं! जवाब ‘हाँ' में आया हैं! मेरे चिप्स....." शफी खुश होते हुए
तीन औरतों का घर भाग- 5 रात के दो पहर बीत चुके थे! दोनों घर में सन्नाटा पसरा था! हामिदा के घर से सभी रिश्तेदार जा चुके थे! सिर्फ मामू रुके थे! बरामदे में बैठी अम्मी फूफी और मामू ...और पढ़ेबीच गहन बातचीत चल रही थी! "हामिदा के मामू तुमने पिछले दिनों एक रिश्ता भेजा था! लड़का कमाता खाता तो ठीक हैं! लेकिन सुना था पहली बीवी का इंतकाल हो गया! बाल बच्चो वाला हैं!" "एक ही तो बच्ची हैं तीन एक साल की! उस लड़के की उम्र भी ज्यादा नहीं हैं! दिखने में इस साबिर से जरा भी कम