अनिल गर्ग लिखित उपन्यास मुर्दे की जान खतरे में

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मुर्दे की जान खतरे में द्वारा  अनिल गर्ग in Hindi Novels
अशोक विहार की कोठी में जब मैंने कदम रखा तो उस समय बंसल साहब की लाश ड्राइंग रूम में बिलकुल बीचोंबीच पड़ी हुई थी। पुलिस की...
मुर्दे की जान खतरे में द्वारा  अनिल गर्ग in Hindi Novels
जब मै इंस्पेक्टर शर्मा के पास थाने पहुंचा तब शाम के 7 बज चुके थे। अशोक बंसल की हत्या की दिन भर की दुश्वारियो से निपट कर...