Udaas kyo ho ninni book and story is written by प्रियंका गुप्ता in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Udaas kyo ho ninni is also popular in सामाजिक कहानियां in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
उदास क्यों हो निन्नी...? - उपन्यास
प्रियंका गुप्ता
द्वारा
हिंदी सामाजिक कहानियां
आज पूरे बारह साल बाद इस कमरे के उस खुले हिस्से पर बैठी हूँ, जिसके लिए बरसों बाद भी कोई सही शब्द नहीं खोज पाई...। कुछ-कुछ छज्जे जैसा, पर छज्जा तो बिलकुल नहीं था वो...। छज्जे में तो आगे का कुछ हिस्सा ज़मीन से बिना किसी सीधे सहारे के पसरा होता है न, और यहाँ तो यह खुला भाग मेरे उस कमरे का ही एक हिस्सा था...जैसे बिना जाली वाली कोई खिड़की, ‘फ़र्श से अर्श तक’ जैसे किसी वाक्य को सार्थक-सी करती हुई...।
आज पूरे बारह साल बाद इस कमरे के उस खुले हिस्से पर बैठी हूँ, जिसके लिए बरसों बाद भी कोई सही शब्द नहीं खोज पाई...। कुछ-कुछ छज्जे जैसा, पर छज्जा तो बिलकुल नहीं था वो...। छज्जे में तो आगे ...और पढ़ेकुछ हिस्सा ज़मीन से बिना किसी सीधे सहारे के पसरा होता है न, और यहाँ तो यह खुला भाग मेरे उस कमरे का ही एक हिस्सा था...जैसे बिना जाली वाली कोई खिड़की, ‘फ़र्श से अर्श तक’ जैसे किसी वाक्य को सार्थक-सी करती हुई...।
आज सोचती हूँ, उस दिन अनुज दा मुझे समझाते तो शायद एक अनजान रास्ते पर यूँ बढ़ते मेरे कदम रुक गए होते, पर अनुज दा की ज़बान पर ताला तो खुद मैं ही डाल आई थी न...। घर छोड़ ...और पढ़ेजाते वक़्त दादी के बन्द दरवाज़े से बैरंग मुड़ जब मैं अनुज दा और सुधा दी से विदा लेने उनके कमरे में गई तो उन्होंने भरी आँखों से बस इतना भर कहा था...बहुत ग़लत किया है तुमने...और फिर पीठ फेर ली थी...। लगा था...कहीं गहरे ढेर सारी किरचें चुभी हुई असहनीय पीड़ा दे रही, पर उस दिन तो मेरे पास उस दर्द के लिए कोई मरहम भी नहीं था।