एक रूह की आत्मकथा

(194)
  • 280.8k
  • 29
  • 143.2k

मैं कामिनी हूँ,मिस कामिनी ।हाँ,इसी नाम से दुनिया मुझे जानती है।दुनिया...विशेषकर ग्लैमर की दुनिया।जगमगाती ....चकाचौंध से भरी ग्लैमर की दुनिया। जानती है ....नहीं.. नहीं .…जानती थी।अब मैं इस दुनिया का हिस्सा नहीं हूँ।मेरी बेरहमी से हत्या कर दी गई है। मेरी हत्या को स्वाभाविक मृत्यु दिखाने की कोशिश की जा रही है,पर मेरे करोड़ों चाहने वालों ने हंगामा खड़ा कर दिया है।अब पुलिस और तमाम जाँच -एजेंसियां मेरी हत्या के सूत्रों की तलाश कर रही हैं।मैं सब कुछ देख रही हूँ।जी चाहता है चीख -चीख कर सबको सारा सच बता दूँ,पर मेरी जुबाँ को मानो लकवा मार गया है।मेरे हाथ- पैर हिलते ही नहीं।मेरा खूबसूरत जिस्म काला- स्याह पड़ चुका है।मेरे हत्यारे खुद हत्यारे की तलाश का दिखावा कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर मैं इतनी छाई हुई हूँ,जितनी जिंदा रहते भी नहीं थी।मेरे बारे में तमाम झूठी -सच्ची कहानियाँ गढ़ी जा रही हैं।आम अफवाहें हैं। मुझे खराब स्त्री कहने वाले लोगों की संख्या ज्यादा है।मैं शराबी,ड्रगिस्ट,अय्याश औरत कही जा रही हूँ।।मेरी महत्वाकांक्षा को गलत साबित करने वालों की एक भीड़ है।

Full Novel

1

एक रूह की आत्मकथा - 1

(भाग एक )मैं कामिनी हूँ,मिस कामिनी ।हाँ,इसी नाम से दुनिया मुझे जानती है।दुनिया...विशेषकर ग्लैमर की दुनिया।जगमगाती ....चकाचौंध से भरी की दुनिया। जानती है ....नहीं.. नहीं .…जानती थी।अब मैं इस दुनिया का हिस्सा नहीं हूँ।मेरी बेरहमी से हत्या कर दी गई है। मेरी हत्या को स्वाभाविक मृत्यु दिखाने की कोशिश की जा रही है,पर मेरे करोड़ों चाहने वालों ने हंगामा खड़ा कर दिया है।अब पुलिस और तमाम जाँच -एजेंसियां मेरी हत्या के सूत्रों की तलाश कर रही हैं।मैं सब कुछ देख रही हूँ।जी चाहता है चीख -चीख कर सबको सारा सच बता दूँ,पर मेरी जुबाँ को मानो लकवा मार गया ...और पढ़े

2

एक रूह की आत्मकथा - 2

भाग दोमेरा मन अब घर -गृहस्थी के ग्लैमर में ही सुख पा रहा था।सच कहूँ तो मेरा आत्मविश्वास कम गया था।मुझे नहीं लगता था कि मैं ग्लैमर की दुनिया में सफल हो पाऊंगी,पर मेरे पति रौनक लगातार मुझे प्रोत्साहित कर रहे थे।वे मुझसे किया वादा हर हाल में पूरा करना चाहते थे।सबसे पहले तो उन्होंने मेरे वज़न को कम करने की दिशा में काम किया।शादी के बाद मेरा वज़न बढ़ गया था।वे मुझे अपने साथ जिम ले जाने लगे।खान -पान को कंट्रोल कर दिया।वे मुझे सुबह जॉगिंग पर भी ले जाते।उनके घर वालों को ये सब बिल्कुल अच्छा नहीं ...और पढ़े

3

एक रूह की आत्मकथा - 4

एक महीने मैं कोमा में रही।समर और मेरे घर वाले लगातार मेरी सेवा में लगे रहे।हॉस्पिटल का पूरा खर्च ने ही उठाया। मैं भीतर से सब कुछ महसूस करती थी पर मेरा शरीर निष्क्रिय था।पूरे शरीर में नलियां ही नलियां।वे नलियां ही मुझे मरने नहीं दे रही थीं।समर घण्टों मेरे सिरहाने के पास वाली कुर्सी पर बैठा मुझसे बातें करते रहता।उसे विश्वास था कि मैं सब सुन रही हूँ।वह मुझे बेहतरीन भविष्य के सपने दिखाता।सुनहरे अतीत की याद दिलाता और वर्तमान में लौट आने को कहता,पर मुझमें वर्तमान का सामना करने की न तो ताकत थी न हिम्मत ।रौनक ...और पढ़े

4

एक रूह की आत्मकथा - 3

मैं अंधविश्वासी नहीं थी फिर भी सिंदूर गिरने से मेरा मन किसी भावी आशंका से कांप उठा था ।मैं हुई अपने कमरे में आई। मेरे पति रौनक अभी तक सुख की नींद में सोए पड़े थे।मैंने उनके माथे पर बिखरे बालों को प्यार से उनके सिर के पीछे समेटा तो चौंक पड़ी।उनका माथा बर्फ़ की तरह ठंडा था।मेरे मुँह से जोर की चीख निकली और फिर जैसे मुझे काठ मार गया।मेरी चीख सुनकर सबसे पहले मेरी सास दौड़ती हुई आई। उनके पीछे घर के अन्य सदस्य थे।वे मुझे जमीन पर शून्य पड़ी देखकर सब कुछ समझ गए थे। फिर ...और पढ़े

5

एक रूह की आत्मकथा - 5

'एक बात कहूँ बुरा तो नहीं मानेंगी कामिनी भाभी'-समर ने सकुचाते हुए मुझसे कहा। -कहो न,क्या कहना है?मैंने अपनी के अतिरेक पर विराम लगाते हुए पूछा। 'ये बच्चा....ये ....ये ....आपके कैरियर में बाधा बन जाएगा।'समर यह कहते समय हकला रहा था। -कैसे?मैंने गुस्से से समर को देखा। 'ग्लैमर की दुनिया में माँ बन चुकी महिला नहीं चल पाती।सारी सुंदरता और टैलेंट के बाद भी। उसके प्रशंसकों की नजरें बदल जाती हैं।यह एक क्रूर सच है।' --तो मुझे क्या करना चाहिए?मैंने तीब्र दृष्टि से समर की ओर देखा। 'मैं क्या कहूँ?आप खुद समझदार हैं।' -तो तुम चाहते हो कि मैं ...और पढ़े

6

एक रूह की आत्मकथा - 6

कितना बड़ा झूठ है कि जिंदगी में बस एक ही बार प्यार होता है।जिंदगी शेष हो तो प्रेम अशेष ही नहीं सकता। समर से मुझे प्यार हो जाएगा ,ये तो मैंने कभी सोचा ही नहीं था।ठीक है कि वह मुझे अच्छा लगता था ,पर वह रौनक की जगह ले लेगा,यह मेरे लिए अकल्पनीय था। उसने रौनक के जाने के बाद मेरी हर तरह से देखभाल की थी।मेरा इतना साथ दिया था कि मेरे भीतर की स्त्री उससे प्रभावित हो गई थी। मुझे विश्वास हो गया था कि समर को मेरे जिस्म से नहीं मेरे व्यक्तित्व से लगाव है।रौनक के ...और पढ़े

7

एक रूह की आत्मकथा - 7

-देखो,यूँ चुपचाप घर में बैठे रहने से कुछ नहीं होगा।अब तुम स्वस्थ हो और गर्भ भी अभी ज्यादा उभार नहीं है।तुम विज्ञापनों में काम कर सकती हो।उसमें ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ेगी।ज्यादा समय काम नहीं करोगी तो दो नुकसान होंगे ।पहला कि लोग तुम्हें भूल जाएंगे दूसरा कि तुम्हें खुद आलस आ जाएगा। उस दिन समर ने आते ही मुझे समझाया। उसकी बात सच थी।मैं खुद घर में बैठकर बोर हो गई थी।डॉक्टर ने भी मुझे काम करते रहने की सलाह दी थी।इससे दो फायदे थे ।पहला घर से बाहर निकलकर खुद को साबित करने का मौका ,दूसरा ...और पढ़े

8

एक रूह की आत्मकथा - 8

गोआ के नवरंग होटल के इस कमरे पर पुलिस का पहरा है।मेरी मौत की जांच -पड़ताल चल रही है।पुलिस केस से जुड़ी सारी डिटेल सीबीआई को हैंडओवर कर दिया है. इसमें सारे सबूत, गवाहों के बयान, फोरेंसिक जांच की रिपोर्ट का भी जिक्र है। समर पुलिस हिरासत में है।उसे शक के दायरे में गिरफ्तार किया गया है।मेरे घरवालों ,जिसमें ससुराल व मायका दोनों पक्ष शामिल है-ने समर के ख़िलाफ़ बयान दिया है ।उनके बयान के अनुसार समर ने ही मुझे बहला -फुसलाकर गुमराह किया और फिर मेरी हत्या कर दी। हत्या का मुख्य कारण मेरी वह सम्पत्ति है,जिस पर ...और पढ़े

9

एक रूह की आत्मकथा - 9

नशा! नशा !!नशा!!!जाने यह शराब का नशा था कि क्लब के रोमांटिक वातावरण का या फिर समर के प्यार या फिर लंबे समय से पुरुष -सुख से वंचित एक युवा नारी देह का!मैं मदहोश थी या बेहोश,पता नहीं।कोई अलग ही दुनिया थी।अब तक जी गई दुनिया से अलग।सब कुछ गोल -गोल घूम रहा था और मैं उसके साथ चक्कर खा रही थी।कब समर मुझे होटल के कमरे में ले आया।कब मेरे कपड़े बदले,मुझे कुछ पता नहीं था।मदहोशी में बस इतना पता चल रहा था कि रौनक मेरे पास लेटा है।वह मुझे चूम रहा है ।मेरे अंग -अंग सहला रहा ...और पढ़े

10

एक रूह की आत्मकथा - 10

'चोर की दाढ़ी में तिनका' यानी दोषी सशंकित रहता है। घर वापसी पर यह मुहावरा समर पर लागू हो था। उस दिन उसकी पत्नी लीला उसकी आशा के विपरीत घर में मौजूद थी। उसने उसे देखते ही कहा--तो घूम -घुमाकर वापस आ गए। समर चौंक गया--क्या कह रही हो? 'अच्छा,समझ नहीं पाए क्या?'जहरीली हँसी के साथ लीला ने कहा। -क्या नहीं समझ पाए? समर जान-बूझकर अनजान बन रहा था।उसे पता था कि लीला के किसी जासूस ने गोवा में कामिनी के साथ उसके वक्त बिताने की बात बता दी है। 'अपनी चहेती के साथ गोवा में क्या कर रहे ...और पढ़े

11

एक रूह की आत्मकथा - 11

बच्चों के हॉस्टल चले जाने के बाद लीला और भी उदास हो गई थी।वह दिन -भर अपने बंगले में सी घूमती रहती।रोज न तो वह शॉपिंग पर जा सकती थी ,न सैर -सपाटे पर।शाम से देर रात तक के लिए तो क्लब था ....शराब था....दोस्त थे,पर दिन में सभी अपने -अपने काम में व्यस्त रहते थे।किसी के पास उसके लिए वक्त नहीं था।वही एक बेकार थी।काश, उसने प्रेम -प्यार के चक्कर में अपनी पढ़ाई अधूरी नहीं छोड़ दी होती।वह भी कोई नौकरी करती तो व्यस्त तो रहती।खालीपन इंसान को खोखला कर देता है।ऊपर से खाली दिमाग शैतान का घर ...और पढ़े

12

एक रूह की आत्मकथा - 12

मैं नहीं जानती थी कि देह की भूख इतनी प्रबल होती है।यह पेट की भूख से भी ज्यादा खतरनाक है।पेट का भूखा भक्ष्य-अभक्ष्य का ख्याल नहीं रख पाता।कई दिन का भूखा खाने में अपनी रूचि और स्वाद को भी किनारे रख देता है।कच्चा-पक्का,गन्दा -साफ,जात- कुजात,धर्म -सम्प्रदाय कुछ भी उसे नहीं दिखता।ये सब पेट -भरे का शग़ल है।भूखे को पेट भरने को कुछ चाहिए।जहाँ और जैसे मिले या जिससे मिले।ये छोटा- सा पेट इंसान पर इतना हावी हो जाता है कि एक समय के बाद इंसान इंसान से जानवर या राक्षस हो जाता है। इसी पेट के लिए लोग जीवन ...और पढ़े

13

एक रूह की आत्मकथा - 13

मैं नहीं जानती थी कि देह की भूख इतनी प्रबल होती है।यह पेट की भूख से भी ज्यादा खतरनाक है।पेट का भूखा भक्ष्य-अभक्ष्य का ख्याल नहीं रख पाता।कई दिन का भूखा खाने में अपनी रूचि और स्वाद को भी किनारे रख देता है।कच्चा-पक्का,गन्दा -साफ,जात- कुजात,धर्म -सम्प्रदाय कुछ भी उसे नहीं दिखता।ये सब पेट -भरे का शग़ल है।भूखे को पेट भरने को कुछ चाहिए।जहाँ और जैसे मिले या जिससे मिले।ये छोटा- सा पेट इंसान पर इतना हावी हो जाता है कि एक समय के बाद इंसान इंसान से जानवर या राक्षस हो जाता है। इसी पेट के लिए लोग जीवन ...और पढ़े

14

एक रूह की आत्मकथा - 14

लीला समर के व्यवहार से बहुत आहत थी।वह समझ नहीं पा रही थी कि समर को सही रास्ते पर ले आए?समर पहले भी दूसरी औरतों में दिलचस्पी लेता था,पर यह उसका स्थायी भाव नहीं था।वह किसी भी दूसरी स्त्री से बंधकर नहीं रहता था।पर कामिनी के प्रसंग में वह जरूरत से ज्यादा गंभीर हो गया था।जाने उस स्त्री में ऐसा क्या था कि वह लगभग उसका गुलाम हो गया था?उसे समर से ज्यादा कामिनी पर गुस्सा था।उसका वश चलता ,तो वह उसकी हत्या कर देती,पर समर के रहते ऐसा सम्भव नहीं था।फिर पकड़े जाने पर उसे आजीवन जेल में ...और पढ़े

15

एक रूह की आत्मकथा - 15

लीला की बातें मेरे मन पर आघात कर रही थीं।मुझे खुद पर क्रोध आ रहा था कि क्यों समर प्रेम में पड़ गई हूं?क्या मैंने कभी ऐसा चाहा था कि किसी स्त्री के दुःख का कारण बनूं?किसी स्त्री से उसका हक छीनू? दूसरी स्त्री कहलाऊँ?किसी स्त्री को ये हक दूं कि वह मुझ पर अपने पति को छीनने का आरोप लगाए?नहीं ..कभी नहीं..पर परिस्थितियों ने मुझे ऐसे भंवर में डाल दिया है जो मुझे निरन्तर नीचे की ओर ले जा रही है।पति के रहते और उसके न रहने के बाद भी मुझ पर कई आरोप लगाए गए पर उससे ...और पढ़े

16

एक रूह की आत्मकथा - 16

राजेश्वरी देवी कामिनी से जी- जान से ख़फ़ा थीं।कामिनी ने न केवल उनके बेटे को उनसे छीना था ,बल्कि प्रतिष्ठित खानदानी प्रतिष्ठा को मिट्टी में मिला दिया था।ऊपर से बेटे की अर्जित सम्पत्ति की इकलौती मालकिन बनी बैठी थी।वह कमा भी खूब रही थी पर इतना धन किस काम का!मजे तो उसका आशिक समर उड़ा रहा था।अगर वह इसी तरह धन उड़ाता रहा तो एक दिन कामिनी कंगाल हो जाएगी और फिर अपनी बेटी के साथ खानदानी सम्पत्ति पर अपना हक जमाने आ जाएगी।उन्हें अपनी पोती अमृता से प्यार तो था,पर वे चाहती थीं कि वह अपनी माँ की ...और पढ़े

17

एक रूह की आत्मकथा - 17

लीला पुनीत के स्टूडियो पर पहुँची तो स्टूडियों की भव्यता देखकर चौक पड़ी।वह कोई आम स्टूडियो नहीं था।उसका प्रवेश- ही कला का अद्भुत नमूना था।द्वार पर द्वारपाल की वेशभूषा में एक आदमी खड़ा था।लीला ने झिझकते हुए पुनीत से मिलने की इच्छा जाहिर की, तो उसने उसे एक बार गौर से देखा और एक रजिस्टर पर हस्ताक्षर कराकर भीतर जाने को कहा।प्रवेश -द्वार के बाद एक बड़ा -सा कक्ष था।शायद वह प्रतीक्षा -कक्ष था क्योंकि वहां सोफों पर कुछ नवयुवतियाँ अपनी बारी की प्रतीक्षा में थीं।नवयुवतियों ने लीला को देखा तो बड़ी नज़ाकत से मुस्कुराईं।प्रत्युत्तर में लीला भी मुस्कुरा ...और पढ़े

18

एक रूह की आत्मकथा - 18

लीला ने रेहाना के दरवाजे पर दस्तक दी तो देर तक दरवाजा नहीं खुला।लीला ने सोचा कि लगता है वह सो गई है । दरवाजे के पास लगी कॉलवेल भी खराब थी।क्या करे लौट जाए?नहीं ,इतनी दूर आई है तो मिलकर ही जाएगी।उसने फिर जोर से दरवाजा खटखटाया।अबकी उसे रेहाना के पैरों की आहट सुनाई दी।अस्तव्यस्त कपड़ों में रेहाना ने दरवाजा खोला तो लीला को देखकर चौक गई।--'तुम!अचानक!बिना किसी सूचना के!कैसे!'-"अब सब कुछ बाहर ही पूछ लोगी कि भीतर भी आने दोगी।"कहती हुई लीला भीतर आ गई।रेहाना उसके और वह उसके घर बेतकल्लुफ़ी से आती -जाती रही हैं।उन दोनों ...और पढ़े

19

एक रूह की आत्मकथा - 19

मेरी बेटी अमृता और समर के बेटे अमन के बीच दोस्ती बढ़ती जा रही है।एक ही बोर्डिंग स्कूल में के कारण उन्हें मिलने- जुलने का भी अवसर मिल जाता है।हालांकि अमन का यह आखिरी साल है।वह इस वर्ष बारहवीं पास कर लेगा।अमृता अभी दसवीं हैं।समर की बेटी निर्मला भी उसकी क्लासमेंट है।समर अपने पिता की तरह ही बहुत स्मार्ट है।निर्मला उसकी अपेक्षा सीधी -सादी है। अमृता तो सचमुच अमृत है ।मरते हुए को भी देख ले तो वह जी उठे। लीला से मुलाकात के बाद मेरी सोच की दिशा थोड़ी बदली है।अभी तक मैं सिर्फ अपने और समर के ...और पढ़े

20

एक रूह की आत्मकथा - 20

मैं समर के साथ 'लिव इन' में रहने लगी।लीला समर को तलाक नहीं दे रही थी और बिना तलाक हम शादी नहीं कर सकते थे।हमारे साथ रहने से मेरे ससुराल वाले,मायके वालों के साथ हम दोनों के बच्चे भी नाराज थे।अमृता मेरी बेटी कुछ समय मुझसे नाराज रही फिर मान गई।वह मुझसे बहुत प्यार करती थी।उसे पता था कि उसकी माँ किन हालातों से गुजरी है और अभी उसकी उम्र भी इतनी नहीं है कि अकेले जीवन निकाल दे।वह यह भी जानती थी कि उसके समर अंकल ने उसकी माँ के बुरे दिनों में उसका साथ दिया था और ...और पढ़े

21

एक रूह की आत्मकथा - 21

कामिनी और अपने पति समर को एक साथ रहते देख लीला के सीने पर सांप लोट रहा था।वह बार रेहाना के घर दौड़ रही थी।उससे समाधान सुझाने को कहती पर रेहाना क्या कहती?उसके अपने ही जीवन में इतनी घटनाएं घट चुकी हैं कि वह खुद से ही दूर भागती रहती है। अभी अभी लीला उसके घर से गई थी।रेहाना मानसिक रूप से इतना थक गई थी कि आज उसने ऑफिस से छुट्टी लेने का मन बना लिया और बिस्तर पर लेट गई।थोड़ी देर में ही वह गहरी नींद में थी।अचानक उसके सपनों में उसका अतीत एक फ़िल्म की रील ...और पढ़े

22

एक रूह की आत्मकथा - 22

रेहाना एक स्त्री थी,कोई पेड़ नहीं |उसके जीवन में रमेश के आने की वजह से जो तूफान आया उसने कुछ बदल डाला |उसके शौहर अनीस उसकी जिंदगी से चले गए|उनके जाने का कारण सिर्फ वही जानती थी| उसने उनसे यह सच बता दिया था कि उसके मन ने किसी और को स्वीकार कर लिया है|उनका पुरूष अहं यह स्वीकार न कर सका|उन्हें एक बार भी नहीं लगा कि इसके जिम्मेदार वे भी थे|उन्होंने उसके प्रेम को लस्ट बताया|शरीर की भूख बताया|वे भूल गए कि जब वे खुद जीते -जागते शरीर के रूप में उसके पास मौजूद थे फिर वह ...और पढ़े

23

एक रूह की आत्मकथा - 23

रेहाना के घर के ठीक पीछे एक मकान था ,जिसमें उन दिनों बतौर किराएदार एक गरीब हिन्दू परिवार रहता परिवार में नौवीं कक्षा में पढ़ने वाली एक किशोरी भी थी| अलग बाथरूम न होने के कारण पीछे बने छोटे से आँगन में ,जहां हैंडपाइप था –वह परिवार नहाया करता था |आँगन ऊपर से खुला था|अगल-बगल की छतों से वह आँगन साफ दिखता था|सुबह स्कूल जाने से पहले वह किशोरी आँगन में निश्चिंत होकर नहाती थी |उस समय आस-पास की छतों पर कोई नहीं होता था |वह इस बात से बेखबर थी कि दो जोड़ी अधेड़ आँखें उसे रोज निहारती ...और पढ़े

24

एक रूह की आत्मकथा - 24

कामता प्रसाद ने रेहाना को बताया कि अनीस को देखते ही उनके छोटे बच्चे मुस्कुराने लगते थे कि अब सीधे दीदी के कमरे में घुसेंगे|यह सब सुनना- कहना बहुत बुरा लगता है |आपके नाते ही उनसे रिश्ता जुड़ा था|आप ही उन्हें इस तरह समझा दीजिए कि उन्हें बुरा भी न लगे| रेहाना ने उन्हें आश्वस्त किया पर खुद संकोच में पड़ गयी कि अनीस से इस तरह की घटिया बातें कैसे करे ?जब वे घर आए तो सहज भाव से उसने बस इतना ही कहा-"आप मेरे साथ ही कामता प्रसाद जी के घर जाया करें|" उसके इतना कहते ही ...और पढ़े

25

एक रूह की आत्मकथा - 25

अनीस ने जो कुछ रमेश के बारे में कहा था ,सच साबित हो रहा था| मर्द एक-दूसरे को कितनी तरह जानते- समझते हैं –खग जाने खग ही की भाषा|वह तो औरतों की ही भाषा नहीं समझ पाती थी ,मर्द की भला क्या समझती ?सच जानने के बाद अनीस उसे छोड़ना चाहते थे और रमेश उसे अपनाना नहीं चाहता था |वह पलायन कर गया था |उससे सारे रिश्ते तोड़कर वह जाने कहाँ जा छिपा था ?वह दोनों के बीच फंसी हुई थी|दोनों उसके जीवन के सत्य थे, पर शायद वह दोनों के लिए ही महज एक औरत थी| रमेश के ...और पढ़े

26

एक रूह की आत्मकथा - 26

कामिनी की माँ नन्दा देवी अपने बेटे स्वतंत्र को लेकर बहुत चिंतित थीं ।स्वतंत्र के पास कोई नौकरी.... कोई नहीं था।उसकी शादी हो चुकी थी और उसकी दो बेटियाँ भी हो चुकी थीं।परिवार की आर्थिक स्थिति डाँवाडोल थीं ।वे चाहती थीं कि कामिनी स्वतंत्र को कोई काम दिला दे या फिर अपना ही प्राइवेट सेक्रेटरी बना ले।पर कामिनी को अपने काम और समर से इतनी फुर्सत ही नहीं मिलती थी कि वह अपने मायके की तरफ से भी कुछ सोचे। नंदा देवी सोचतीं कि इसी घर में पली -बढ़ी कामिनी को इस घर के प्रति किसी जिम्मेदारी का अहसास ...और पढ़े

27

एक रूह की आत्मकथा - 27

सी बी आई मेरी हत्या के मामले की बारीकी से जांच कर रही है।वह पुलिस की जांच से संतुष्ट है।पुलिस ने मेरे रिश्तेदारों से पूछताछ करने के बाद समर को हत्यारा मान लिया था।समर को गिरफ़्तार कर जेल में डाल दिया गया था।लीला रोती- बिलखती अपने बेटे अमन के साथ जेल पहुँची थी।वह यह मानने को तैयार ही नहीं थी कि समर हत्यारा हो सकता है।वह समर के जमानत के लिए सारे प्रयास कर रही थी।रेहाना भी अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रही थी कि समर की जमानत हो जाए। हत्या कुबूलवाने के प्रयास में पुलिस समर पर ...और पढ़े

28

एक रूह की आत्मकथा - 28

सी बी आई भी परेशान थी।हत्यारे ने हत्या से सम्बंधित कोई सबूत नहीं छोड़ा था।कमरे की हर चीज पर तो कामिनी की अंगुलियों के निशान थे या फिर समर के।किसी तीसरे की मौजूदगी के कोई निशान नहीं थे।अगर समर हत्यारा नहीं था तो जो भी कामिनी का हत्यारा था।वह बहुत शातिर था।उसने बहुत सावधानी और चालाकी से हत्या के सारे सबूत मिटा दिए थे। मेडिकल जांच में कामिनी के शरीर में अल्कोहल के साथ ड्रग्स की मात्रा भी मिली थी।उसके साथ दुराचार भी किया गया था।चूंकि वह समर के साथ रह रही थी और यौन क्रियाओं की आदी थी,इसलिए ...और पढ़े

29

एक रूह की आत्मकथा - 29

दिलावर सिंह ने प्रथम के गाल पर जोर का एक तमाचा जड़ दिया और उसे एक तरफ़ ढकेलते हुए का दरवाजा खोल दिया।बाशरूम के एक कोने में उकडू बैठे नग्न युवक को देखकर उनकी हँसी छूट गई।वे देर तक हँसते रहे।उनके साथी भी हँस रहे थे।प्रथम शर्म से पानी -पानी हुआ जा रहा था। दिलावर सिंह ने मुश्किल से हँसी रोकी और प्रथम की ओर मुखातिब हुए। "तो यह है तुम्हारी गर्ल या फिर ब्वॉयफ्रेंड...।" "जी, तो इसमें गलत क्या है?ये मेरी अपनी आजादी है।मैं कोई गलत काम नहीं कर रहा।हमारा कानून भी दो युवाओं को स्वेच्छा से सम्बन्ध ...और पढ़े

30

एक रूह की आत्मकथा - 30

कामिनी की हत्या से पूर्व उसका रेप हुआ। उसके अंगूठे का निशान लिया गया फिर उसकी हत्या की गई-यह समर के लिए घातक सिद्ध हुआ।उसे दिल का दौरा पड़ गया।तत्काल उसे बड़े हॉस्पिटल ले जाया गया।यह तो संयोग अच्छा था कि उस समय ड्यूटी पर मौजूद सिपाही जाग रहा था और उसने समर के धड़ाम से नीचे गिरने की आवाज़ सुन ली थी।आनन- फानन में एम्बूलेंस आ गया और उसमें समर को बड़े हॉस्पिटल पहुँचा दिया गया।हार्ट सर्जन आनंद ने तुरत ही उसे ओटी में ले आने का आदेश दिया और फिर जल्द ही उसका ऑपरेशन हो गया। ऑपरेशन ...और पढ़े

31

एक रूह की आत्मकथा - 31

कुफ़री के जाखू हिल के शिखर पर जाखू मंदिर है। मंदिर तक पहुंचने का रास्ता बहुत खतरनाक है।उबड़-खाबड़,पतली खुरदरी और उनके दोनों तरफ़ खाइयाँ।जरा- सा भी पैर फिसले तो फिर इंसान का पता भी न चले।सभी बच्चे खच्चरों पर सवार थे।एक खच्चर पर एक बच्चा बैठा था ।खच्चर पर लगी काठी से बच्चों को सुरक्षित बांध दिया गया था ताकि वे उछलकर गिर न सकें।खच्चर को चलाने वाले चालक उसका लगाम पकड़े पैदल ही चल रहे थे।अमृता को बहुत डर लग रहा था ।उस पतली पगडंडी पर एक ही खच्चर जा सकता था।सभी खच्चर पीछे से एक -दूसरे से ...और पढ़े

32

एक रूह की आत्मकथा - 32

अपने जीवन से अनीस और रमेश के जाने के बाद रेहाना ने फैसला कर लिया कि अब वह अकेली रहेगी।अब उसकी जिंदगी में दूसरा पुरूष नहीं आएगा। पर वह नहीं जानती थी कि एक स्त्री का अकेला रहना इतना कठिन हो सकता है। ''तुम्हारा जीवन एक रोमांचक उपन्यास है |'' एक दिन लीला ने उससे कहा था ।कभी -कभी वह भी सोचती है कि लीला ने कितना सत्य कहा था |सचमुच उसका जीवन एक उपन्यास ही है| जिसके कई अध्याय हैं |हर अध्याय अपने आप में एक पूरा जीवन है |अध्याय के पात्र अलग हैं ।उनकी परिस्थितियाँ अलग हैं ...और पढ़े

33

एक रूह की आत्मकथा - 33

समर और कामिनी के सभी रिश्तेदारों से मिलने ,उनसे लंबी बातचीत करने के बाद दिलावर सिंह समझ गए थे इनमें से कोई भी कामिनी का हत्यारा नहीं है।हालाँकि सबके पास हत्या की अपनी वज़ह थी। नब्बे प्रतिशत वज़ह तो कामिनी की दौलत ही थी। दिलावर सिंह को आज के लोगों की उपभोक्तावादी मानसिकता पर कोफ़्त हुई।सभी धन के पीछे भाग रहे हैं।सभी चाहते हैं कि बिना मेहनत किए किसी प्रकार धन मिल जाए।छल -कपट,चोरी- बेईमानी,हत्या- लूट कुछ भी करना पड़े।नैतिकता,मानवता,धर्म किसी का भी विचार नहीं । कोई नहीं सोचता कि संसार में खाली हाथ आए हैं और खाली हाथ ...और पढ़े

34

एक रूह की आत्मकथा - 34

स्वतंत्र की पत्नी उमा अपने पति स्वतंत्र से परेशान थी।फिर भी उसे छोड़ना नहीं चाहती थी क्योंकि वह जानती कि पुरुष के संरक्षण से आज़ाद स्त्री को ग़ुमराह करने वाले इस समाज में बहुत हैं। उसे अपनी बचपन की दोस्त मीता याद है। मीता को किशोरावस्था से ही एक युवक से प्यार हो गया था पर वह युवक लम्पट निकल गया ।उसने मीता को धोखा दे दिया।मीता डिप्रेशन में चली गई।काफी इलाज के बाद वह ठीक हुई तो उसकी माँ ने उसे उसके ननिहाल भेज दिया।बिहार के एक गांव में मीता का ननिहाल था। मीता को अपने ननिहाल के ...और पढ़े

35

एक रूह की आत्मकथा - 35

मीता की माँ परेशान थी।बेटी के मुसलमान के साथ भागने की खबर पर उसने माथा पीट लिया था ।उसने और को यह बात नहीं बताई थी।किस मुँह से बताती,बेटी ने मुँह दिखाने लायक छोड़ा ही कहाँ था । अब तो किसी तरह बात संभालनी थी। कुछ दिन बाद मीता की माँ अपने नैहर गई और एक माह के बाद वहां से लौटी।आते ही उसने यह हवा फैला दी कि उसने मीता की शादी कर दी है और वह अपने ससुराल में बहुत खुश है। पास -पड़ोस के लोगों और दूसरे रिश्तेदारों को आश्चर्य हुआ,पर किसी ने कुछ नहीं पूछा।मीता ...और पढ़े

36

एक रूह की आत्मकथा - 36

मीता की माँ अपने घर लौट गई।वह चिंतित थी।उसे किसी अनहोनी की शंका हो रही थी।दिन गुजरते जा रहे उसने हीरो के खिलाफ़ पुलिस कम्प्लेन लिखा दी।उसने पुलिस को बताया कि हीरो उसकी बेटी को उसके ननिहाल से फुसलाकर भगा ले गया था।वह अमुक शहर के एक कॉलोनी में उसके साथ रह रहा था।वह उसे घर में कैद करके रखता था और किसी से मिलने -जुलने नहीं देता था।काफी समय से कॉलोनी वालों ने उसकी बेटी मीता को देखा नहीं है। उसे शक है कि उसकी बेटी के साथ कुछ अनहोनी हुई है। कम्प्लेन लिखाते ही पुलिस ने अपनी ...और पढ़े

37

एक रूह की आत्मकथा - 37

दिलावर सिंह समर से मिलने जेल पहुंचे।अब वह हॉस्पिटल से डिस्चार्ज हो चुका था।जेल में उसके लिए विशेष व्यवस्था गई थी। दिलावर सिंह ने अकेले में उससे देर तक बात की। वे समर से सवाल करते जाते थे पर वह चुप ही रहा।आखिर में उनका धैर्य जवाब दे गया। "आखिर क्या चाहते हो तुम?जवाब क्यों नहीं देते?मैं जानता हूँ कि तुम अपना जीवन खत्म कर देना चाहते हो।तुम्हारे जीने की इच्छा खत्म हो गई है।कामिनी के बिना तुम्हें जीवन बेकार लग रहा है पर ये तो सोचो,तुम्हारे इस तरह चुप रहने से असल हत्यारा साफ बच जाएगा।क्या तुम नहीं ...और पढ़े

38

एक रूह की आत्मकथा - 38

दिलावर सिंह की योजनानुसार समर ने मयंक को फोन किया और उसे बताया कि वह बाईज्जत वरी हो गया का कोई सूत्र न मिलने से कामिनी हत्या -कांड की फाइल को ही बंद कर दिया गया है। वह आजाद तो हो गया है पर कामिनी की यादों से आज़ाद नहीं हो पा रहा।वह अवसाद का शिकार है।उसे अपने मित्र की जरूरत है। क्या वह इंडिया आ सकता है?न आ पाए तो वही अमेरिका आ जाए।कुछ दिन का बदलाव जरूरी है।उसके बाद ही वह अपने जीवन में आगे बढ़ पाएगा। समर की बातें सुनकर मयंक ने राहत की सांस ली।वह ...और पढ़े

39

एक रूह की आत्मकथा - 39

नशे में धुत्त कामिनी को मयंक किसी तरह होटल के उसके कमरे तक ले आया था।ज्यों ही उसने उसके पर लिटाया,वह समर.. समर कहती हुई उससे लिपट गई। बड़ी मुश्किल से उसने उससे खुद को छुड़ाया।उसने सोचा कि उसे नशा काटने वाली सुई लगा दे।वह अपने कमरे में गया और अपना मेडिकल बैग लेकर आया।उसमें फस्ट एड बॉक्स से लेकर इमरजेंसी में सर्जरी करने तक का सामान था। जब वह दुबारा कामिनी के कमरे में आया ,तो उसे देखता ही रह गया।कामिनी बेसुधी में अर्धनग्न हो गईं थी। उसकी सफेद संगमरमर -सी जांघें और सुडौल वक्ष रोशनी में चमचमा ...और पढ़े

40

एक रूह की आत्मकथा - 40

मैं कामिनी ...मिस कामिनी बहुत खुश हूँ।मेरा हत्यारा पकड़ा गया है और मेरा प्रिय समर बाइज्जत वरी हो गया रूह तड़प रही थी,जब तक वह जेल में था।अब मेरी मुक्ति का समय आ गया है पर मैं अपने प्रिय समर को छोड़कर नहीं जाना चाहती।मेरा मन उसमें ही अटका हुआ है पर सोचती हूँ कि यह तो अच्छी बात नहीं।यह तो सच्चा प्यार नहीं।सच्चा प्यार तो मुक्त करता है ..आजादी देता है।मैं क्यों उसे बाँधना चाहती हूँ?मेरी भौतिक देह अब नहीं रही पर समर की भौतिक देह है।उसे जीवन में आगे बढ़ना चाहिए पर वह मेरी यादों से जकड़ा ...और पढ़े

41

एक रूह की आत्मकथा - 41

माँ को सामने देखकर अमृता उससे लिपट गई और फूट फूटकर रोती हुई बोली--"तुम बहुत बुरी हो माँ,तुम मुझे कहाँ चली गई थी?तुम्हें एक बार भी मेरा ख्याल नहीं आया।एक बार भी नहीं सोचा कि बिना तुम्हारे कैसे जीऊँगी मैं....!""मेरी बच्ची,मैं अपनी मर्ज़ी से नहीं गई थी।मुझे ज़बरन तुमसे दूर भेजा गया था पर मैं सिर्फ़ देह से तुमसे दूर थी।मेरी आत्मा तो तेरे ही पास थी।"कामिनी ने बेटी के सिर पर हाथ फेरा।"अब मैं तुम्हें नहीं जाने दूँगी माँ,मुझे कहीं भी और कुछ भी अच्छा नहीं लगता।मैं अभी इतनी बड़ी नहीं हुई माँ कि अकेले जी सकूँ.....।"अमृता ने ...और पढ़े

42

एक रूह की आत्मकथा - 42

लीला ने सुबह -सुबह ही रेहाना के दरवाजे पर दस्तक थी।रेहाना अभी सो रही थी।आज रविवार था और उसे नहीं जाना था,इसलिए निश्चिंत थी।लीला को आया देखकर उसे मन ही मन गुस्सा आया।'फिर कोई नई प्रॉब्लम लेकर आई होंगी देवी'। ऊपर से मुस्कुराईं और उसे भीतर आने को कहा। "अभी तक सो ही रही थी ।?"लीला ने उससे पूछा "आज रविवार है छुट्टी का दिन।"रेहाना ने जम्हाई लेते हुए कहा। "छुट्टी का दिन है तो क्या,अपना रूटीन नहीं खराब करना चाहिए।मैं तो छह बजे तक नहा लेती हूँ।" "ठंड में भी!" "और क्या!" "बाप रे!" "जाओ जल्दी से फ्रेश ...और पढ़े

43

एक रूह की आत्मकथा - 43

आज मेरे बंगले पर बड़ी गहमागहमी है।सभी रिश्तेदार आ गए हैं।एक- एक कर मित्र भी आ रहे हैं।मेरी सास देवी पूजा पर बैठी हैं।मेरी माँ नन्दा देवी भी उनके पास ही बैठी हैं।मेरी आत्मा की शांति का आयोजन है।आज मेरी आत्मा सारे मोह -माया से मुक्त हो जाएगी और फिर यहाँ लौटकर कभी नहीं आ पाएगी। मेरी बेटी अमृता बहुत उदास है।इस बंगले में उसने मेरे साथ बहुत ही सुंदर और सुखद दिन गुजारे हैं।यह पहला अवसर है जब वह अकेली है। उसे विश्वास है कि मेरी आत्मा यहीं कहीं भटक रही होगी।मेरी आत्मा आज भर यहाँ रहेगी फिर ...और पढ़े

44

एक रूह की आत्मकथा - 44

कामिनी की भाभी उमा अपने पति स्वतंत्र के साथ खुश नहीं थी फिर भी उससे अलग नहीं हो पा थी।इस बात के लिए वह खुद को अपराधिनी मानती थी।उसकी बचपन की एक दोस्त थी जया।जया की जिंदगी से उसे सबक मिलती थी। दो दिन पहले ही जया उससे मिलकर गई थी। जया परेशान थी। इस बार उसकी परेशानी का कारण कोई विजय थे। इस स्त्री में सारी अच्छाईयों, अपार सौन्दर्य व चुम्बकीय आकर्षण के बावजूद एक बड़ा दोष यह है कि यह ऐसा पुरुष मित्र चाहती है, जिससे वह सब कुछ तो शेयर करे, पर देह नहीं। देह को ...और पढ़े

45

एक रूह की आत्मकथा - 45

पहले तो जया इस बात को नहीं समझ पाई कि उसका पति क्यों रात को उसके करीब आने से है? क्यों दिन भर उसका व्यवहार ठीक रहता है, पर शाम ढलते ही किसी न किसी बात पर लड़ना शुरु कर देता है। वह तो खुद के प्रति ही हीन-भावना से भरने लगी थी। बार-बार शीशे में अपना चेहरा देखती और रोती। एक दिन वह उससे पूछ ही बैठी-‘मुझमें क्या कमी है?’ वह अकड़ कर बोला-‘क्या चाहती है, बैठकर तुम्हारा मुँह निहारता रहूँ... इतना नामर्द नहीं हूँ।’ जया सोचती रही कि यह कैसा मर्द है, जिसकी पत्नी रात भर जल ...और पढ़े

46

एक रूह की आत्मकथा - 46

चाचा-चाची जब चले गए, तो जया के पति ने जया को बहुत मारा। उसका शरीर जगह-जगह टूट-फूट गया, पर भी हाथ-पाँव चलाती रही। मारकर जब वह चला गया, जया ने मांग का सिन्दूर धो डाला, चूड़ियाँ तोड़ डालीं और अपने मन से इस निरर्थक रिश्ते को धो-पोंछ डाला। लौकर पति ने उसकी यह हालत देखी तो वह मुहल्ले की गँवार औरतों को बुलाकर उसे दिखाने लगा कि ‘कोई सुहागिन स्त्री ऐसा करती है।’ सभी औरतों ने उसे कोसा....बुरा-भला कहा। वह असती व बुरी स्त्री करार दे दी गई पर वह वैसे ही पत्थर बनी बैठी रही। उसका दिमाग बस ...और पढ़े

47

एक रूह की आत्मकथा - 47

उमा सोचने लगी थी कि कल की गऊ -सी सीधी जया आज कितनी बोल्ड व मुखर हो गई है कहती- "होना पड़ता है ,वरना पुरूष भेड़िए नोंचकर खा जाएँ|" कभी-कभी उमा सोचती -'इतनी बोल्ड छवि भी क्या बनाना कि लोग आपको गलत समझने लगें |' पर उमा इतना तो जानती थी कि जया को अपने शरीर और मन पर बड़ा नियंत्रण है |एक दिन उमा ने उसे छेड़ा –‘क्या तुम्हें पुरूष की आकांक्षा नहीं होती जया,सब तुम पर फिसल जाते हैं पर तुम किसी पर नहीं फिसलती ,ऐसी कौन सी साधना करती हो तुम ...|’ वह हँस पड़ी -’ऐसा ...और पढ़े

48

एक रूह की आत्मकथा - 48

जया ने उमा को बताया कि उसके पति स्वतंत्र अक्सर किसी न किसी बहाने जया के घर पहुँचने लगे |जब भी वे आते घर-गृहस्थी का कोई न कोई सामान अवश्य लाते |टोकने पर कहते –"क्या मेरा इतना भी हक नहीं ?तुम क्या जानो ,मेरे मन में तुम्हारे लिए कैसी भावनाएँ हैं ?" जया सोचती कि हो सकता है वे सहानुभूति -वश ये सब कर रहे हों पर पुरूष ज्यादा देर अपने ऊपर आवरण चढ़ाए नहीं रह सकता |वह प्रकृति से ही स्वतंत्र होता है ,इसलिए कुछ ही मुलाकातों के बाद उसकी नीयत साफ दिख जाती है |एक दिन स्वतंत्र ...और पढ़े

49

एक रूह की आत्मकथा - 49

"स्त्री जब तक गुलाम बनी रहती है तब तक पुरूष की प्रिय रहती है पर जब वह अपनी बुद्धि,तर्क सहारे अपने वजूद को साबित करती है ,अपने होने को दिखाती है तो पुरूष उसका दुश्मन हो जाता है |कारण साफ है कि स्त्री के इस कदम से उसकी सत्ता खतरे में पड़ जाती है ।वह उस स्त्री का तिरस्कार करने लगता है ।उसे पीड़ा पहुँचकर आनंद का अनुभव करने लगता है |परपीड़क तो पुरूष हमेशा से रहा है और इससे वह कभी ग्लानि का अनुभव भी नहीं करता। पुरूष अपनी अक्षमता ,निकम्मेपन और तर्कहीनता को क्रूरता के आवरण में ...और पढ़े

50

एक रूह की आत्मकथा - 50

मानव मन विचित्र होता है,इसको समझना सबके बस की बात नहीं । फ्रायड ने सबसे पहले मनोविश्लेषण को विज्ञान रूप दिया था |वे मानव –मन के तीन स्तर मानते थे –चेतन,अर्धचेतन और अवचेतन |अवचेतन की खोज उनके मनोविश्लेषण का आधारभूत सिद्धान्त था |वे कहते थे कि मानव –मन का 3/4 भाग अवचेतन है |इसी अवचेतन के द्वारा मनुष्य के स्वभाव ,व्यवहार तथा विचारादि रूप पाते हैं |चेतन हमारे मन का वह भाग है जो सामाजिक जीवन में सक्रिय रहता है तथा जिसकी क्रियाओं का हमें ज्ञान रहता है |अवचेतन में होने वाली क्रियाओं का हमें ज्ञान नहीं होता |चेतन ...और पढ़े

51

एक रूह की आत्मकथा - 51

प्रेम एक खूबसूरत अहसास है।कब, कहाँ,किससे, कैसे, क्यूँ जैसे तर्कों से परे।हजारों की भीड़ में कोई एक चेहरा आँखों रास्ते दिल में उतर जाता है और फिर वहाँ से तभी निकलता है,जब दिल ही टूट जाए। अमृता को भी लगता था कि उसे समर के बेटे अमन से प्रेम हो गया है।शिमला के स्कूल टूर के समय वे एक -दूसरे के काफी करीब आ गए थे।बोर्डिंग स्कूल के कठोर अनुशासन के कारण वे एक -दूसरे से मिल नहीं पाते थे।वहाँ लड़के और लड़कियां के लिए अलग छात्रावास थे।सिर्फ किसी खास इवेंट के समय ही लड़के लड़कियाँ इकट्ठे होते थे ...और पढ़े

52

एक रूह की आत्मकथा - 52

अमन को विश्वास नहीं था कि अमृता उसकी पार्टी में आएगी फिर भी वह उसके इंतज़ार में था।वह उससे पुरानी गलतियों के लिए सॉरी बोलना चाहता था।दरअसल अपनी माँ लीला की आंसुओं ने उसे कामिनी आंटी पर गुस्सा दिला दिया था।उसने अपना वह गुस्सा अमृता पर उतार दिया था। हालांकि कामिनी आंटी की हत्या के बाद से ही वह उससे बात करने के लिए बेचैन था,पर पिता समर के जेल चले जाने से वह फिर गुस्से में आ गया।उसके अनुसार कामिनी आंटी मरकर भी उसके पिता को परेशान कर रही थीं।पुलिस ने तो आंटी कामिनी की हत्या के लिए ...और पढ़े

53

एक रूह की आत्मकथा - 53

अमृता के चले जाने के बाद अमन उदास हो गया।उसके दिमाग में अमृता का एक ही शब्द गूंज रहा जो उसने उससे फिर मिलने के सम्बंध में कहा था-'शायद'।क्या वह उससे अभी तक ख़फ़ा है?या फिर उसके 'किस' कर लेने पर बुरा मान गई है।उसने किसी गलत उद्देश्य से उसे किस नहीं किया था।वह तो उसे बस इतना संकेत देना चाहता था कि वही उसकी बैलेंटाइन है। वह उससे बहुत प्यार करता है।और उसके साथ पूरी जिंदगी गुजारना चाहता है।अमृता के गुलाबी होंठों का पहला चुम्बन उसके तन- मन को उद्वेलित कर गया है।उसका पूरा शरीर झनझना रहा है।अजीब- ...और पढ़े

54

एक रूह की आत्मकथा - 54

"पापा मैं अमी से प्यार करता हूँ।" अमन की आँखों में आँसू थे। "तो तुम्हें इस प्यार की परीक्षा होगी।अमृता जल्द ही लंदन चली जाएगी।ग्रैजुशन वहीं करेगी।फिर बिजनेस कोर्स।सात वर्ष बाद ही लौटेगी।इस बीच तुम्हें उसे बिल्कुल डिस्टर्ब नहीं करना है।न तो फ़ोन न चिट्ठी। अगर सात वर्ष उससे दूर रहने के बाद भी तुम्हारा प्यार यूँ ही बरकरार रहता है तो मैं इस प्यार को अपनी स्वीकृति दे दूंगा।" समर ने दृढ़ स्वर में कहा।अमन का चेहरा उतर गया। -"पर पापा मैं इतने दिन क्या करूंगा?" "अपनी पढ़ाई पूरी करोगे फिर बिजनेस कोर्स" समर ने उसकी आँखों में ...और पढ़े

55

एक रूह की आत्मकथा - 55

उमा ने जब 'कामिनी प्राइवेट लिमिटेड' में नौकरी के ऑफर की बात सास नंदा देवी को बताई तो वे से चीखने- चिल्लाने लगीं।शोर सुनकर स्वतंत्र भी अपने कमरे से निकलकर वहाँ आ गया। "आखिर तुम्हें ही क्यों नौकरी का ऑफर मिला?इतने दिनों से मेरा बेटा इसके लिए रिक्वेस्ट कर रहा था,पर किसी ने उसकी बात नहीं सुनी।क्या तू मेरे बेटे से ज्यादा योग्य है?" "कौन -सी नौकरी माँ?"स्वतंत्र ने अपने कमरे से निकलकर माँ से पूछा। " इसे 'कामिनी प्राइवेट लिमिटेड' में काम करने का ऑफर मिला है।अमृता आज इसीलिए तो आई थी।उसने मुझे भी इस बारे में नहीं ...और पढ़े

56

एक रूह की आत्मकथा - 56

स्वतंत्र के एक्सीडेंट की खबर जब उमा को मिली तो वह घबरा गई।नन्दा देवी तो रोने -चीखने ही लगीं।दोनों हुई उस स्थान पर पहुँची,जहाँ स्वतंत्र घायल अवस्था में पड़ा हुआ था।चूँकि वह स्थान उनके घर से ज्यादा दूर नहीं था,इसलिए स्वतंत्र की पहचान आसानी से हो गई थी।उनके पड़ोस का एक लड़का भागता हुआ उनके पास इस बात की सूचना लेकर आ गया था।किसी ने एम्बुलेंस के लिए फोन कर दिया था।उमा के पहुंचते ही एम्बुलेंस आ गई। स्वतंत्र को लेकर उमा सिटी हॉस्पिटल चली।उसने नंदा देवी घर जाने को कह दिया।नन्दा देवी भी साथ जाना चाहती थीं,पर उन्हें ...और पढ़े

57

एक रूह की आत्मकथा - 57

रेहाना लीला के लिए खुश है कि उसने खुद को 'लड्डू गोपाल' के हाथों समर्पित कर दिया है ।लड्डू यानी कृष्ण का बाल रूप।इधर हर दूसरे हिन्दू घर में लड्डू गोपाल पूजे जा रहे हैं। उनके लिए उन घरों में विशेष स्थान निर्धारित है।कहीं वे सिंहासन पर तो ,कहीं झूले पर विराजमान हैं।अपनी सामर्थ्य के हिसाब से उनको जेवर -कपड़ों से सजाया जाता है।जाड़े में गर्म कपड़ों व गर्मी में सूती या रेशमी कपड़े पहनाए जाते है।उनके लिए पर्याप्त रोशनी,हवा,भोजन आदि की व्यवस्था की जाती है।बिल्कुल किसी नन्हे बच्चे की तरह उनकी देखभाल की जाती है।वे औरतें भी,जो अपने ...और पढ़े

58

एक रूह की आत्मकथा - 58

स्वतंत्र अभी तक कोमा में था ।ब्रेन के ऑपरेशन के बाद भी उसे होश नहीं आया था। उसकी एक भी नहीं हिली थी।वह बेंटिलेटर पर ही था।डॉक्टर उमा को दिन में तीन से चार बार उसके पास जाने की इजाज़त दे रहे थे।जाने से पहले वह अपने कपड़ों के ऊपर से ही सिर से पैर तक सिनेजाइटर किए गए प्लास्टिक ड्रेस पहनती, फिर स्वतंत्र के बेड तक जाती।वह हल्के हाथों उसके चेहरे की नारियल से सफाई करती।डॉक्टर के हिसाब से ऐसा करने से मरीज को लाभ हो सकता था ।पत्नी का जाना -पहचाना स्पर्श उसके ब्रेन को जगा सकता ...और पढ़े

59

एक रूह की आत्मकथा - 59

हॉस्पिटल में स्वतंत्र को देखने प्रथम अपने मित्र परम के साथ आया।स्वतंत्र की हालत देखकर वह बहुत दुःखी हुआ।उसे पर बड़ी दया आई।उसने सोचा कि अगर स्वतंत्र को कुछ हो गया तो वह बेचारी दो बच्चियों के साथ कैसे जीवन काटेगी।अभी तो उसकी उम्र भी इतनी कम है। पूरी तरह सेनेटाइज होकर ही वह स्वतंत्र के रूम में गया था।उसने देखा कि स्वतंत्र की आंखें बंद हैं और मुंह खुला हुआ है। उसके गले से पैर तक का शरीर सफेद चादर से ढका हुआ है।चादर के ऊपर से भी उसका सीना ऊपर -नीचे हो रहा है साथ ही मशीन ...और पढ़े

60

एक रूह की आत्मकथा - 60

हॉस्पिटल में स्वतंत्र को देखने प्रथम अपने मित्र परम के साथ आया।स्वतंत्र की हालत देखकर वह बहुत दुःखी हुआ।उसे पर बड़ी दया आई।उसने सोचा कि अगर स्वतंत्र को कुछ हो गया तो वह बेचारी दो बच्चियों के साथ कैसे जीवन काटेगी।अभी तो उसकी उम्र भी इतनी कम है। पूरी तरह सेनेटाइज होकर ही वह स्वतंत्र के रूम में गया था।उसने देखा कि स्वतंत्र की आंखें बंद हैं और मुंह खुला हुआ है। उसके गले से पैर तक का शरीर सफेद चादर से ढका हुआ है।चादर के ऊपर से भी उसका सीना ऊपर -नीचे हो रहा है साथ ही मशीन ...और पढ़े

61

एक रूह की आत्मकथा - 61 - अंतिम भाग

मैं कामिनी ,हाँ वही मिस कामिनी ,जिसकी रूह की आत्मकथा आप पढ़ रहे थे।सात साल बाद एक बार फिर आई हूँ ।बस थोड़ी देर के लिए अपनी बेटी से मिलने।उसको आखिरी बार देखने।उसको एस्टेब्लिश देखने का बड़ा मन था।मैं यहां सब कुछ ठीक देखकर बहुत खुश हूं। कुछ परिवर्तन मुझे दिख रहे हैं।कामिनी प्राइवेट लिमिटेड का नाम में अमृता का नाम शामिल हो गया है।अब वह कम्पनी 'अमृता कामिनी प्राइवेट लिमिटेड' के नाम से जानी जाती है।कम्पनी पहले से ज्यादा ऊंचाई पर पहुंच गई है।समर और उमा की मेहनत की वज़ह से ही ऐसा सम्भव हुआ है। समर और ...और पढ़े

अन्य रसप्रद विकल्प